जोधाबाई पैलेस का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Jodha bai Palace

दोस्तों भारत में मुग़ल शासकों द्वारा बनवायी गयी इमारते आज भी पर्यटकों के मन को लुभाती है। फिर चाहे बात बाबर के मकबरे की हो या फिर अकबर द्वारा बनवाये गए इमारतों की।

यहाँ तक की शाहजहां के काल को तो मुग़ल सल्तनत का स्वर्ण काल के नाम से भी जाना जाता है। उसके शासनकाल में तो ताजमहल जिसे विश्व का सातवां अजूबे के तौर पर जाना जाता है, का निर्माण किया।

इसके आलावा उसके ही शासनकाल में दिल्ली का लालकिला और जामा-मस्जिद इत्यादि ऐतिहासिक इमारतों का भी निर्माण हुआ। यह सभी इमारते मुग़ल बादशाहों के कला और संस्कृति के प्रति रूचि का ही परिणाम है।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है मुग़ल साम्राज्य की उस वीरांगना के दर्शन करने जिन्होंने अपने आत्मसम्मान के लिए मुग़ल बादशाह अकबर को भी झुकने पर मजबूर कर दिया था।

जी हाँ हम बात कर रहे है जोधाबाई जी की। आज हम उन्ही के एक महल जिसे जोधाबाई महल के नाम से जाना जाता है, का इतिहास और उसकी वास्तुकला के बारे में बात करेंगे। तो आइये चलते है –

1. जोधा बाई का इतिहास [Jodhabai palace history]

जोधाबाई पैलेस उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी जिले में स्थित एक मुग़लकालीन ऐतिहासिक स्थल है। जिसका सम्बन्ध मुग़ल सम्राट जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के साथ जुड़ा हुआ है।

असल में जोधाबाई अकबर पहली हिन्दू राजपूत रानी थी। मुग़ल हरम में जोधाबाई जी का अत्यधिक महत्ता के कारण ही इस महल का निर्माण किया गया था।

यह महल जोधाबाई जी का विश्राम स्थल था। फतेहपुर सीकरी शहर की स्थापना प्रसिद्ध सूफी संत सलीम चिश्ती की यादगार के रूप में अकबर ने स्थापित किया था।

जोधाबाई पैलेस का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Jodha bai Palace

जोधाबाई पैलेस मुग़ल साम्राज्य की विशिष्ठता को सम्बोधित करता है। यह पैलेस मध्यकालीन युग में स्थापित हिन्दू एवं मुस्लिम की एकता का प्रतिक बना था।

इस ऐतिहासिक इमारत [फतेहपुर सीकरी स्थित विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों को] को वर्ष 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल की सांस्कृतिक सूचि में शामिल किया था।

यूनेस्को द्वारा इन स्थलों के चुनाव के साथ ही इस जगह पर प्रत्येक साल लाखों की संख्या में विभिन्न क्षेत्रों व देशों से पर्यटक घूमने के लिए आते है।

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1.1 जोधाबाई का इतिहास [who was Jodha bai]

जोधाबाई जिन्हे हीर कुंवारी, हरखा बाई इत्यादि नामो से भी जाना जाता है। इनका जन्म आमेर के प्रसिद्ध राजा, राजा भारमल के यहाँ वर्ष 1542 में हुआ था।

अपने राज्य और अपने प्रजा की सुरक्षा के लिए राजा भारमल ने अपनी पुत्री हरखा बाई जी का विवाह मुग़ल सम्राट अकबर के साथ तय कर दिए था जिसका विरोध उस समय के तमाम राजपूत राजाओं ने किया था।

लेकिन राजा भारमल ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर के साथ कर दिया और मुग़ल दरबार में एक सम्मानित पद के साथ अकबर और मुग़ल साम्राज्य के विश्वासपात्र बन गए।

आमेर राजकुमारी हीर कुंवारी जी का विवाह इतिहास के पन्नो में सदा के लिए अमर हो गया है, क्यूंकि इस प्रकार का विवाह मुगल इतिहास की एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना थी।

आधुनिक भारतीय इतिहास लेखन में उन्हें व्यापक रूप से अकबर और मुगल की धार्मिक मतभेदों की सहिष्णुता और एक विस्तारित बहु-जातीय और बहु-सांप्रदायिक साम्राज्य के भीतर उनकी समावेशी नीतियों के उदाहरण के रूप में माना जाता है।

जोधाबाई जी को अकबर ने ही मरियम-उज्जमानी का नाम दिया था। जहांगीर इन्ही के पुत्र थे जिसने अपने शासनकाल के दौरान मुग़ल सल्तनत को चित्रकारी के क्षेत्र में अग्रणीय बना दिया था।

मरियम-उज़-ज़मानी को मुगल सम्राट अकबर व जहांगीर दोनों के ही शासनकाल में , हिंदुस्तान की रानी माँ के रूप में जाना जाता था।

वह सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली पहली हिंदू-मुगल महारानी थीं। उन्होंने लगभग 43 वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य की सेवा की थी।

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2. जोधाबाई पैलेस की स्थापत्य कला [Jodhabai palace architecture]

जोधाबाई जी का महल राजपूत और इस्लामी शिल्पकारी का बेजोड़ नमूना है। इस महल की स्थापना वर्ष 1570 के आसपास बनायीं गयी थी।

यह महल भी बाकी मुग़ल साम्राज्य कालीन महलों की तरह लाल बलुई पत्थरों के इस्तेमाल से बनायीं गयी थी।

यहाँ पर कई महल स्थित है जिनमे जोधाबाई जी प्रत्येक मौसम के दौरान मौसम के प्रभाव से बचने के लिए इन महलों में रहती थी।

यह महल दो मंजिला बनायीं गयी थी। इन महलों को भी इस तरीके से डिज़ाइन किया था की आप देख्नेगे तो दंग रह जायेंगे।

असल में जोधाबाई जी के महल में गर्मी के मौसम के लिए अलग महल था जिसमे गर्मी से बचने के लिए इस महल में खुला और पारदर्शी आवरण लगायी गयी थी जिससे की स्वच्छ हवा बिना रोकटोक के अंदर प्रवेश कर सके।

वही सर्दियों के मौसम के लिए इसके विपरीत महल का निर्माण किया गया था जहाँ एक तरफ गर्मी के लिए खुले और पारदर्शी आवरण की व्यवस्था की गयी थी।

वही सर्दियों के लिए इसकी छतों को सूर्य की किरणों को अवशोषित करने के लिए पारदर्शी शीशों से खास प्रकार का डिज़ाइन किया गया था। ताकि ठण्ड के दिनों में महल के अंदर गर्मी बरक़रार रहे।

महल के बीचों बीच महारानी जोधाबाई जी तुलसी के पौधे की पूजा करती थी। मुग़ल सम्राट अकबर से विवाह के पूर्व ही उन्होंने उनसे दो शर्तें रखी थी-

  • वह अपना धर्म नहीं बदलेंगी
  • उनका अपना रसोईघर होगा जिसमे वह सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करेंगी.

अकबर ने इन दोनों ही शर्तों को माना और उन्होंने महारानी जोधाबाई जी के लिए एक अलग रसोई घर एवं एक पूजा स्थल का निर्माण भी करवाया था जिसमे जोधाबाई जी अपने आराध्य की पूजा करती थी।

अपने आराध्य की पूजा के लिए उन्होंने इसमें उनके लिए चौकोर आधार वाला एक आसान बनाया था। अकबर ने अपने सभी रानियों को अपना अपना धर्म मानने की खुली छूट दे रखी थी।

आगे चलकर अकबर ने सभी धर्मों की अच्छाइयों को एक जगह समाहित करके एक नया धर्म दीन-इ-इलाही की नीव रखी।

जोधाबाई जी जिस महल में अपने आराध्य को पूजती थी यदि उस महल के वास्तुकला के बारे में बात करें तो हमें पता चलता है की उस महल में हिन्दू धर्म की पवित्र चीज़ों जैसे की नारियल, कलश, कमल के फूल और तो और घंटियों इत्यादि की विभिन्न आकृतियों के जरिये उन्हें बहुत ही खूबसूरती के साथ स्तम्भों पर सजाया गया था।

इसके आलावा दीवारों पर नक्काशीदार अलमारियों का निर्माण किया गया था।

महल की दीवारों पर विभिन्न प्रकार के पक्षियों और कमल के फूलों के जरियों की गयी चित्रकारी अद्भुत दिखती है।

कहते है की जिस समय इस महल का निर्माण किया गया था उस समय इन पक्षियों और कमल के फूलों के भीतरी चित्रकारीओं में कई हीरे-जवाहरातों के जरिये सजावट की गयी थी।

लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद उन्होंने इसमें से कीमती पत्थर और हीरे-जवाहरात निकाल कर उसे इंग्लैंड ले कर चले गए। सच में हमारा देश सोने की चिड़िया थी।

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2.1 जोधा बाई महल के खुलने का समय और प्रवेश शुल्क [Jodha bai palace opening time & Ticket price]

  • जोधाबाई महल सुबह के 6 बजे खुलता है और शाम के 6 बजे बंद होता है.
  • यदि आप शुक्रवार को जोधाबाई महल घूमने का मन बना रहे तो आप इस दिन ना आवें इस दिन यह महल बंद रहता है. यह सप्ताह के अन्य दिन खुला रहता है.
  • सार्क बिम्सटेक और भारतीय सदस्यों के लिए 50 रूपये शुल्क लगता है.
  • यदि आप एक विदेशी है तो आपको ५०० रूपये का प्रवेश शुल्क देना पड़ता है.

3. अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place in Fatehpur sikari]

दोस्तों उत्तर प्रदेश का फतेहपुर सीकरी बहुत ही खूबसूरत शहर है। यहाँ पर मुग़ल राजाओं द्वारा एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण किया गया था।

वर्ष 1986 में यूनेस्को द्वारा फतेहपुर सीकरी के ऐतिहासिक इमारतों को विश्व विरासत स्थल के रूप में चुना गया था। तो आइये जानते है फतेहपुर सीकरी के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –

बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी किला
पञ्च महल दीवाने खास
सलीम चिस्ती की दरगाह बीरबल का महल
जोधाबाई महल रंग महल
जामा मस्जिददफ्तर खाना

4. परिवहन सुविधा [How to reach jodhabai Palace]

नजदीकी सड़क परिवहनNH-21 राष्ट्रीय राजमार्ग – 21
नजदीकी रेलवे स्टेशन हजरतगंज सबवे रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डाखेरिया हवाई अड्डा

6. जोधाबाई पैलेस की तस्वीर [Jodhabai palace images]

7. निष्कर्ष [Conlclusion]

दोस्तों जोधबाई महल एक अध्भुत कलाकारी का नमूना है जिसमे हमें राजपूत और इस्लामी वास्तुकला के दर्शन होते है।

इसके आलावा इसमें स्तम्भों, खिड़किओं और अलमारियों इत्यादि में विभिन्न प्रकार की चित्रकारी की गयी है जो अपने समकालीन इमारतों में सर्वश्रेष्ठ है।

दोस्तों यदि आप इस महल में घूमना चाहते है तो आप फतेहपुर सीकरी के अन्य दर्शनीय स्थलों को जरूर देखें।

इस प्रकार से आप मुग़ल कालीन खासकर मुग़ल अकबर के समय में हुए वास्तुकला को ज्यादा गहराई से विश्लेषण कर पाएंगे इसके आलावा आप यदि बच्चो या परिवार के साथ है तब तो आपके लिए यह सोने पे सुहागा होगा।

उन्हें इस जगह के इतिहास के बारे में जरूर बताएं।

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7. जोधा बाई महल की लोकेशन [Jodha bai palace location]

8. सबसे जरुरी बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

5. सवाल जवाब [FAQ]

1. जोधाबाई कौन थी ?

जोधाबाई मुग़ल बादशाह अकबर की धर्मपत्नी थी। वह एक राजपूत हिन्दू महिला थी।

2. जोधाबाई पैलेस के निर्माण में किन पत्थरों का प्रयोग किया गया है ?

जोधाबाई पैलेस के निर्माण में लाल बलुई पत्थरों का प्रयोग किया गया था।

3. महल में प्रवेश शुल्क कितना लगता है ?

जोधाबाई महल में सार्क, बिम्सटेक और भारतीय सदस्यों के लिए 50 रूपये शुल्क लगता है.

  • यदि आप एक विदेशी है तो आपको 500 रूपये का प्रवेश शुल्क देना पड़ता है.
  • 44. जोधाबाई महल कहाँ पर स्थित है ?

    जोधाबाई महल फतेहपुर शहर में स्थित है।

    5. पाकिस्तानियों को आने की इजाजत है ?

    अरे भाई ! भारत में आप किसी भी धर्म के हो, किसी भी देश के हो आपके स्वागत के लिए भारत वर्ष हमेशा तत्पर रहता है। निश्चिंत होकर आइये और हाँ टिकट जरूर ले लेना नहीं तो प्रवेश नहीं मिलेगा।

    6. हुमायूँ का मकबरा भी यही पर स्थित है ?

    नहीं भाई हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है। इसके लिए आप मेरा आर्टिकल पढ़ सकते है।

    7. जी अनमोल की जोधा का क्या नाम है ?

    जी अनमोल पर आप जिस जोधाबाई जी को देखते है उनका असली नाम परिधि शर्मा है।

    वह जी अनमोल के जोधा अकबर सीरियल के द्वारा काफी नाम कमा चुकी है वही इस समय उन्होंने पटियाला बेब्स सीरियल में काम करना शुरू कर दिया है.

    अकबर का अभिनय रजत टोकस ने किया है जिन्होंने अपने प्रतिभा की वजह से इस सीरियल में जान डाल दी है।

    8. दीन-इ-इलाही धर्म की स्थापना किसने की थी ?

    दीन-इ-इलाही धर्म की स्थापना मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा की गयी थी।

    9. जोधाबाई महल का निर्माण किसने करवाया था ?

    जोधाबाई महल का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर ने करवाया था।

    10. सलीम चिस्ती की दरगाह कहाँ पर स्थित है ?

    सलीम चिस्ती जी की दरगाह फतेहपुर सीकरी में सहित है। इस शहर की स्थापना अकबर ने की थी।

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