पूरी दुनिया में अनेकों ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जिन्हे चिन्हित करके उसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत करना अपने आप में एक चैलेंज है।
इसी चैलेंज को देखते हुए पूरी दुनिया ने एक हल खोज निकाला जिसे हम आज यूनेस्को के नाम से जानते है।
यूनेस्कों द्वारा लगभग सभी देशों के ऐतिहासिक या धार्मिक स्थलों के बारे में लोगों को जागरूक करना प्रारंभ किया और लोगों को इसे संरक्षित रखने के लिए अनेक प्रयास करने प्रारम्भ किये।
आज के इस आर्टिकल में हम यही जानने की कोशिश करेंगे की आखिर कैसे, यूनेस्को किसी भी स्थल को ऐतिहासिक या उसकी इम्पोर्टेंस को लोगों के सामने लेकर के आती है और लोगों को इसके प्रति जागरूक करती है।
इसके आलावा हम अपने प्यारे देश भारत के प्रमुख विश्व धरोहर स्थलों की भी चर्चा करेंगे।
चूँकि सभी विरासत स्थलों के बारे में पूरी जानकारी दी जाये तो यह काफी ज्यादा बड़ी हो जाएगी जिसे पढ़ें शायद आपके लिए मुश्किल हो।
इसलिए हमने इसमें विरासत स्थलों के बारे में थोड़ा ही बताया है, यदि आप इसके बारे में और अधिक जानना चाहते है तो आप इसे पढ़ें नामक headline पर क्लिक करें , तो उसे भी पढ़ पाएंगे।
1. यूनेस्को क्या है ? [What is Unesco]
यूनेस्को एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसका मुख्यालय पेरिस में है।
यह संस्था दुनिया भर के तमाम महत्वपूर्ण स्थलों को सुरक्षित रखने का प्रयास करती है जिससे आने वाली पीढ़ियां इन्हे देख सकें और इनसे कुछ सीख सकें।
इसकी स्थापना 16 नवंबर 1945 को हुआ था। इसका मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है।
यूनेस्को की फुल फॉर्म है – United nations educational scientific and cultural organization या इसे हिंदी में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन के नाम से जानते है।
इस संस्था से वर्तमान में 195 देश जुड़े हुए है। वर्ष 1945 में भारत इस संगठन का सदस्य बना था।
इस संगठन को बनाने का उद्देश्य यह था की पुरे विश्व में शिक्षा, संस्कृति और विज्ञान की सहायता से पुरे विश्व में शांति और विकास से सम्बंधित कार्यों को बढ़ावा देना था।
इसे पढ़ें – सऊदी वीजा के बारे में पूरी जानकारी
2. यूनेस्को थीम 2021 [UNESCO theme 2021]
यूनेस्को प्रतिवर्ष एक Theme को चुनती है जिसके आधार पर इस संस्था से जुड़े हुए प्रत्येक देश कार्य करते है।
इस बार की थीम रखी गयी है – Complex Pasts: Diverse Future‘
वर्ष 2019 का theme था – Engage the past Through sound and images
वर्ष 2020 का theme था- “Shared Culture, Shared Heritage and Shared Responsibility.
3. भारत के विश्व धरोहर स्थल 2021 [Indian world heritage sites]
भारतवर्ष में अभी तक कुल 39 (31+7+1) यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल थे लेकिन 25 जुलाई 2021 के दिन यूनेस्को द्वारा भारत में एक और धरोहर को इसमें शामिल किया गया है।
अब भारत में इनकी कुल संख्या 40 है। यह पुरे भारतवर्ष के लिए काफी गर्व की बात है।
यह नया विश्व धरोहर स्थल तेलंगाना में स्थित 800 साल पुराना रामप्पा मंदिर है।
इस मंदिर के बारे में यदि आपकी जिज्ञासा है तो बने रहिये हमारे साथ।
1. अजंता की गुफा [Ajanta caves]
अजंता की गुफाये महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास में स्थित है यह वाघोरा नदी के तट के काफी करीब है।
अजंता में कुल 29 गुफाये है जिनमे सभी बौद्ध धर्म से सम्बंधित है। हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी अजंता गुफा की पेंटिंग्स की चमक फीकी नहीं पड़ी है।
यह आज भी वैसे है जैसी प्राचीन काल में थी। अजंता की गुफाओं के निर्माण का श्रेय बौद्ध धर्म के अनुयायियों को जाता है।
इस गुफा को 29 चट्टानों को काटकर दो चरण में बनाया गया था।
यह गुफाये औरंगाबाद शहर से लगभग 107 किमी दूर स्थित है तथा इसे घोड़े की नाल के आकर में इसको काटकर बनाया गया था।
इन गुफाओ में मठ बनाये गए थे जहाँ पर बौद्ध भिक्षुक ध्यान करते थे साथ ही साथ भगवान गौतम बुद्ध की दी हुयी शिक्षा का अनुसरण करते थे।
दोस्तों गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात उनके अनुयायिओ में काफी मतभेद होने प्रारम्भ हो गए।
कुछ अनुनायियों ने उन्हें भगवान के रूप में पूजने के लिए उनकी मूर्तियां बनानी प्रारम्भ कर दी।
यह अनुयायी महायान कहलाये, वही कुछ अनुयायी सिर्फ उनके ही एक रूप यानि शुन्य में विश्वास करते हुए सादा जीवन व्यतीत करने लगे, ये अनुयायी हीनयान कहलाये।
इस गुफा को 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूचि में रखा गया था और आज भी यह इस सूचि में उपस्थित है।
यदि आप इस गुफा के बारे में और भी अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को पढ़ें –
इसे पढ़ें- अजंता की गुफाओं का इतिहास
2. एलोरा की गुफा [Ellora caves Maharashtra]
एलोरा की गुफा भी महाराष्ट्र में स्थित है।
यह गुफा हिन्दू बौद्ध और जैन तीनो ही धर्म का मिश्रण है यानि इस गुफा में इन तीनो ही धर्मो से रिलेटेड वस्तुए कलाकृतियां दिखाई देती है।
यहां पर कुल 34 गुफाएं स्थित है। पुरातत्विद बतलाते है की इन गुफाओ को काटकर पांचवी और दसवीं शताब्दी के बीच में बनाया गया था।
इन गुफाओ में 17 तो हिन्दू धर्म से सम्बंधित है वही, 12 गुफाएं बौद्ध धर्म से सम्बंधित है, और तो और बाकी पांच गुफाएं जैन धर्म से सम्बंधित है।
ध्यान देने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की ये सभी गुफाएं यानि हिन्दू बौद्ध और जैन की गुफाएं आपस में ही स्थित है यह उस काल के धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाती है।
एल्लोरा की गुफाएं लगभग 2 किमी के विशाल क्षेत्र में फैले हुए है।
इस गुफा को वर्ष 1983 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में नामांकित किया गया था।
इसे पढ़ें- एलोरा की गुफाओं का इतिहास
3. आगरा का किला
भारत में सर्वाधिक प्रचलित जगहों में से एक है आगरा का किला जिसे हम अंग्रेजी में Agra fort के नाम से जानते है।
यह किला उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में आगरा नामक जिले में स्थित है। इस किले का हमारे इतिहास में काफी महत्व रहा है।
आगरे के किले पर विभिन्न राजवंशों का अधिपत्य रहा है। पर इस किले पर सर्वाधिक समय तक राज सिर्फ और सिर्फ मुग़ल राजवंशों का रहा है।
इस किले पर मुग़ल राजवंशों ने 1638 ईस्वी तक राज किया था उसके बाद अपनी राजधानी दिल्ली स्थानांतरित कर ली थी।
यहां पर बाबर, हुमायूँ इब्राहिम लोधी शेरशाह सूरी आदिल शाह सूरी विक्रमादित्य हेमू इत्यादि राजाओ ने इस किले पर फतह स्थापित किया था।
इन सभी राजाओ और मुग़ल सल्तनत का वीर मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर ने तो इस किले को अपनी राजधानी के रूप में भी चयनित किया था।
इस किले Agra fort के निर्माण के लिए 4000 कारीगरों ने लगातार 8 सालों तक कार्य किया और इस प्रकार यह किला अपने वास्तविक रूप में हमारे सामने आया।
अकबर के बाद शाहजहां और उसके बाद मराठा साम्राज्य ने इस किले पर अपना वास्तविक अधिकार स्थापित किया।
लेकिन इस पर मराठाओं ने ज्यादा समय तक राज नहीं किया या यु कहें की इस पर अंग्रेजों ने काफी लम्बे समय तक राज स्थापित किया।
इस किले को मुग़ल राजाओं ने अपने खजाने के रूप में संभाल कर रखा था।
यही पर विभिन्न राज्यों को जीत कर जो धन इकठ्ठा की जाती थी यही पर रखी जाती थी।
चूँकि आगरा का किला भारतवर्ष के उत्तर दिशा में स्थित था इस वजह से यहां से अन्य राज्यों पर मुग़ल राजाओं का नियंत्रण आसानी से स्थापित था।
इसे जरूर पढ़ें- मुग़ल साम्राज्य का RBI था आगरा का किला
4. ताजमहल
उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित इस ऐतिहासिक इमारत को युवा दिलों की धड़कन के नाम से भी जाना जाता है।
इसे प्रसिद्द मुग़ल वंशी शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल के याद में बनवाया था।
यह मकबरा 42 एकड़ में फैला हुआ है। जिसमे एक मस्जिद, एक गेस्ट हाउस के साथ साथ एक बगीचा भी शामिल है।
इस मकबरे का निर्माण 1643 ईस्वी में हुआ है। इस मकबरे के निर्माण में 10 वर्षों से ज्यादा का समय लगा था।
वर्ष 1666 में मुमताज महल के कब्र के पास ही में शाहजहां को भी दफनाया गया था।
आज जिस जगह हम ताजमहल को देखते है कभी उस जगह पर राजस्थान के कछवाहा वंश के राजाओ की हवेलियां हुआ करती थी।
इन्ही स्थानों पर ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। इस बात का प्रमाण हमें अब्दुल हामिद लाहौरी की पुस्तक बादशाहनामा में मिलता है।
यमुना नदी के मुहाने पर मकबरे का निर्माण या आधार रखा गया था। यह इमारत लकड़ी पर टिका हुआ है।
इस लकड़ी को जैसे जैसे नमी मिलती जाती है वह उतना ही मजबूत होता चला जाता है। ताजमहल के चारों तरफ चार मीनारें बनायीं गयी है जो इसका संतुलन बनाये रखती है।
ताजमहल की अद्भुत कलाकारी और खूबसूरती के लिए UNESCO द्वारा वर्ष 1983 में विश्व विरासत सूची के रूप में नामित किया गया था।
इसके साथ ही इस इमारत को दुनिया के सात अजूबों में भी स्थान मिला है।
इसे पढ़ें- मोहब्बत और खूबसूरती की निशानी है ताजमहल
5. कोणार्क का सूर्य मंदिर
कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के कोणार्क नामक शहर में स्थित है।
यह भगवान सूर्य देव को सम्पर्पित एक हिन्दू मंदिर है। प्राचीन धर्मग्रंथों में सूर्य देव को ग्रहों का राजा भी माना गया है।
यह मंदिर अपनी भव्यता के कारण पुरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
यह सूर्य मंदिर जगन्नाथ पूरी में स्थित चंद्रभाग नदी के तट पर स्थित है।
यहाँ के स्थानीय लोग सूर्य देव को बिरंची नारायण के नाम से पुकारते है। यह सूर्य भगवान के 7 घोड़ो के साथ एक रथ के रूप में एक मंदिर है।
जिसे हम सूर्य देव का रथ मंदिर के नाम से जानते है। साथ ही इस मंदिर को यूरोपियन्स ब्लैक पैगोडा के नाम से पुकारते है।
इस मंदिर में कुल 24 पहिये है जिन्हे 7 घोड़े खिंच रहे है। इस मंदिर को वर्ष 1984 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
कोणार्क स्थित इस सूर्य मंदिर का निर्माण 1250 ईस्वी में नरसिंह देव-1 द्वारा किया गया था। इस मंदिर में कुल 24 पहिये है। 12 पहिये एक तरफ और 12 पहिये दूसरी तरफ स्थित है।
कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है की इस मंदिर के ये 24 पहिये 12 महीनो यानि वर्ष को बतलाते है।
जबकि कुछ का मानना है की यह 24 पहिये पुरे दिन के घंटे या 24 घंटे को दर्शाते है, साथ ही इसे 7 घोड़े खिंच रहे है इसका तात्पर्य है- सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते है।
इसे भी पढ़ें- कोणार्क का सूर्य मंदिर जाने इतिहास
6. महाबलीपुरम के मंदिर
इस ऐतिहासिक स्थल का निर्माण पल्लव वंशी राजाओ ने 7-8 वि शताब्दी में करवाया था। यह तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है।
इस मंदिर को वर्ष 1984 में Unesco की विश्व धरोहर की cultural सूची में रखा गया था।
7. काज़ीरंगा राष्ट्रीय अभ्यारण्य
काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क north east राज्य असम में स्थित है। यह नेशनल पार्क असम राज्य की गंगा यानी ब्रह्मपुत्र के किनारे पर स्थित है।
इस नेशनल पार्क में एक सींग वाले गैंडे पाए जाते है।
इस मंदिर को वर्ष 1985 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
8. मानस राष्ट्रीय अभ्यारण्य
यह senctuary भी असम राज्य में स्थित है। यह करीब 50000 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
मानस नदी के किनारे पर स्थित होने के करना इसका नाम Manas wildlife senctuary पड़ा।
Manas wildlife senctuary को वर्ष 1985 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
9. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
यह पार्क राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। यह लगभग 2783 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
यह पार्क unesco के साथ साथ Ramasar sites की सूचि में भी उपस्थित है।
इस पार्क में ये birds अफगानिस्तान तुर्कमेनिस्तान चीन और साइबेरिया जैसे इलाको से आते है।
keoladeo national park को वर्ष 1985 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
10. पुराने गोवा के चर्च
गोवा में सर्वाधिक famous ऐतिहासिक स्थलों में से एक इन चर्च का नाम भी आता है।
यह एक ईसाई धर्मस्थल है। इसे पुर्तगालियों द्वारा 16-18 शताब्दी के बीच बनाया गया था।
Churches and convents of Goa को वर्ष 1986 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
11. खजुराहो मंदिर
खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। इस मंदिर को चंदेल राजाओ द्वारा बनाया गया था।
यह मंदिर दो प्रमुख धर्म हिन्दू और जैन धर्म से सम्बंधित है।
खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध है कंदरिया का महादेव मंदिर।
Khajuraho Temples को वर्ष 1982 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
12. हम्पी के स्मारक
हम्पी, प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है जहाँ पर अनेको मंदिर आपको देखने को मिलेंगे।
यह कर्नाटक के बल्लारी जिले में स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण 14-16 वि सदी के बिच किया गया था।
यह स्थल भी हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मो का प्रतिनिधित्व करता है।
Hamp Monuments को वर्ष 1986 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
13. फतेहपुर सीकरी
इस ऐतिहासिक ईमारत का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर ने अपनी विजयोत्सव में बनवाया था।
इसीलिए इसे The city of victory के नाम से भी जाना जाता है।
फतेहपुर सीकरी मुगलो की राजधानी भी थी हालाँकि यह राजधानी सिर्फ 14 वर्षों के लिए थी इसके बाद इसे स्थानांतरित कर दिया गया।
फतेहपुर सीकरी को वर्ष 1986 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
14. पत्तदकल के मंदिर
यह monuments कर्नाटक के बगलकोट जिले में स्थित है।
इन मंदिरों में सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर विरुपाक्ष मंदिर है जिसे 740 c में महारानी लोकमहादेवी द्वारा बनाया गया था।
पत्तदकल के मंदिरों को वर्ष 1987 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
15. एलिफेंटा की गुफाएं
महाराष्ट्र में कुल तीन विश्व धरोहर इमारते है जिनमे एलोरा की गुफा अजंता की गुफा और हाथी गुफा ।
यह गुफा एक द्वीप पर स्थित है जिसे elephant island या घारापुरी के नाम से भी जाना जाता है।
यह गुफा बुद्ध धर्म से सम्बंधित है। इस गुफा को 5-8 वी शताब्दी के बीच बनाया गया था।
एलिफेंटा की गुफाओं को वर्ष 1987 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
16. चोल मंदिर तमिलनाडु
इसके तहत मंदिरों की कई श्रृंखलाएं है जिनमे बृहदिश्वर मंदिर और ऐरातेश्वरा मंदिर प्रमुख रूप से प्रसिद्ध है।
इन मंदिरो को चोल वंशीय राजाओ ने 11-12 सदी के बीच में बनवाया था।
इन मंदिरों में विभिन्न प्रकार की paintings , कलाकृतियां की गयी है जो यह बतलाती है की चोल वंशीय राजा का शासनकाल कला सम्पन्न था।
इन मंदिरो को को वर्ष 1987 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
16.1 बृहदीश्वर मंदिर
बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु राज्य के तंजौर में स्थित है।
शुरुवाती दिनों में यह मंदिर राजराजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता था लेकिन धीरे धीरे यह मंदिर अपने वृहद् यानि बड़े आकर के रूप में जाना जाने लगा तब लोग इस मंदिर को प्यार से बृहदेश्वर मंदिर के नाम से सम्बोधित करने लगे।
यह मंदिर 1000 सालों से भी ज्यादा पुराना है।
यह मंदिर देवो के देव भगवान् शिव जी को समर्पित है।
इन्हे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत में भी पूजा जाता है। इन्हे नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के दिन इसी मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
इसे जरूर पढ़ें- बृहदेश्वर मंदिर तंजावुर की कहानी
17. सुंदरबन राष्ट्रीय पार्क
सुंदरवन नेशनल पार्क पश्चिम बंगाल में स्थित है। यह पार्क 10000km2 में फैला हुआ है।
इसी सुंदरवन पार्क में बंगाल टाइगर पाया जाता है।
इस पार्क को वर्ष 1982 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
18. नंदा देवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य और फूलों की घाटी
नंदा देवी हिमालय की प्रमुख शिखरों में से एक है। हिमालय के पश्चिम में फूलो की प्रसिद्ध घाटी स्थित है।
यही पर नंदा देवी नेशनल पार्क भी स्थित है। इनमे प्रमुख रूप से एशिया के काले भालू , तेंदुआ और भेड़ें पायी जाती है।
इसे वर्ष 1988 से 2005 के बीच में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
19. साँची का बौद्ध स्तूप
मध्य प्रदेश के भोपाल में यह स्थित है इसे साँची का बौद्ध स्तूप के नाम से भी जाना जाता है।
इस स्तूप का निर्माण मौर्या वंशी सम्राट अशोक ने 200-100BC के बीच किया गया था।
इसे वर्ष 1989 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
20. हुमायूँ का मकबरा
हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है। इसका निर्माण हुमायु की विधवा बेगम जिसे हाजी बेगम के नाम से भी जाना जाता है, बनवाया था।
इस मकबरे की स्थापत्य कला और इतिहास में इसकी महत्ता को देखते हुए यूनेस्को द्वारा वर्ष 1993 में विश्व विरासत सूची में रखा गया है।
हुमायूँ के मकबरे को मुग़लों का शयानगर के रूप में जाना जाता है। क्यूंकि यहाँ पर 150 से अधिक मुग़ल परिवार निवास करते थे।
यह कब्र 14 वि सदी के महान सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह के पास ही में स्थित है।
चूँकि इस्लाम धर्म में सूफी संतों के पास ही में दफ़न होना शुभ माना जाता है इसलिए यहां पर ज्यादातर मुग़ल परिवारों की कब्रगाह हमें देखने को मिलता है।
इस मकबरे Humayun’s Tomb का निर्माण, वर्ष 1562 में ,मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम के निर्देशानुसार हुआ था।
इस ईमारत को पूरा करवाने के लिए मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम ने अफगानिस्तान से सैयद मुबारक इब्र मिराक घियाथुद्दीन एवं उनके पिता दोनों को ही भारत बुलाया था।
इस मकबरे सबसे खास बात यह थी की पहली बार इस चारबाग शैली का प्रयोग, भारत में किसी मुग़ल बादशाह को दफ़नाने के लिए किया गया था।
इसे वर्ष 1993 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
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21. दिल्ली का क़ुतुब मीनार
क़ुतुब मीनार भारत देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह भारतवर्ष की सबसे ऊँची लम्बी मीनार है।
क़ुतुब मीनार की स्थापना का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक की दिया जाता है। लेकिन इसे पूर्ण करने का श्रेय कुतुबुद्दीन के दामाद इल्तुतमिश को जाता है।
इल्तुतमिश द्वारा इस मीनार को 1310 में पूर्ण करवाया था।
इस ईमारत का प्रयोग अल्लाह की अजान देने के लिए किया गया था। यह मीनार कुल 5 मंजिलो से मिलकर बनी है।
जहाँ पर पहली मंजिल का प्रयोग ही अजान के लिए किया जाता था वही बाकी के तीन मंजिल इल्तुतमिश ने बनवाया था।
वर्ष 1368 में फ़िरोजशाज तुग़लक़ द्वारा इस मीनार का 5 वां और अंतिम मंजिल का निर्माण करवाया गया था।
यह ईमारत 72.5 मीटर ऊँचा है वही इसकी चौड़ाई 14.32 मीटर है।
यही पर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद अलतमिश, अलाउद्दीन खिलजी तथा इमाम जामिन का मकबरा, अलाई मीनार और लौह स्तम्भ जैसे ऐतिहासिक स्थल भी है।
जिनका इतिहास और वर्त्तमान दोनों ही खास है। इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
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22. भारतीय पर्वतीय रेल
Mountain railways of india के अंतर्गत यूनेस्को ने तीन प्रमुख रेलमार्गों को रखा है-
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
- नीलगिरि माउंटेन रेलवे
- कालक शिमला रेलवे
यूनेस्को द्वारा इस रेलमार्गों को इंजीनियरिंग का बेहतरीन example लेते हुए वर्ष 1999,2008,2005 में इन्हे विश्व धरोहर की सूची में रखा है।
23. महाबोधि मंदिर बोधगया
महाबोधि मंदिर भारत के बिहार राज्य में बोधगया में स्थित एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल है।
यह बौद्ध धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली जगहों में से एक है।
यह वह जगह है जहाँ पर बौद्ध धर्म के प्रणेता गौतम बुद्ध जी को ज्ञान की प्राप्ति हुयी थी।
दोस्तों उत्तर प्रदेश के बनारस, वाराणसी जिले में भी गौतम बुद्ध जी की प्रतिमा स्थापित है।
यहाँ पर न सिर्फ आपको गौतम बुद्ध जी के जीवन से सम्बंधित वस्तुए मिलेंगी बल्कि बौद्ध भिक्षु जहां पर अपना ध्यान लगते थे यानि बौद्ध स्तूप भी मिलेंगे।
ऐसा माना जाता है की बोधगया में इसी स्थान पर गौतम बुद्ध जी ने ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात सात सप्ताह या 49 दिन तक यही पर रहकर लोगों को बौद्ध धर्म के प्रति जागरूक किया।
चूँकि बौद्ध धर्म में जाति-पाती और काला-गोरा का भेद के बिना उस धर्म में सभी लोगों का स्वागत कर रहा था तो ज्यादातर हिन्दू धर्म के जो निम्न वर्ग थे वह बौद्ध धर्म को अपनाने लगे।
यहाँ तक की कई प्रसिद्ध राजा जैसे की सम्राट अशोक भी बौद्ध धर्म को अपना लिया। यह परिवर्तन कलिंग पर विजय प्राप्त करने के पश्चात हुआ।
इसे वर्ष 2002 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
इसे जरूर पढ़ें- बौद्ध धर्म का ऐतिहासिक स्थल महाबोधि विहार
24. भीमबेटका के प्रस्तरखण्ड
भीमबेटका Bhimbetka की गुफाएं भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।
यह गुफा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है।
यह गुफा हमारे पूर्वजों से सम्बंधित है यानि जब से मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन शुरू किया है तब से वह इन्ही गुफाओं में रहा करता था और शिकार करता था।
आप सब ने हड़प्पा सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता का तो नाम सुना ही होगा।
इन सभ्यताओं में हमने देखा था की ये सभ्यताएं काफी विकसित थी।
फिर चाहे इनके सड़कों की बात हो या फिर घरों और नालियों की, सभी चीज़ों में ये सभ्यताएं काफी आगे थी
भीमबेटका की ये गुफाएं विंध्य की पहाड़ियों में स्थित है। यह गुफाएं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 46 किमी की दुरी पर स्थित है।
पुरातत्विदों ने बतलाया है की ये गुफाएं नव पाषाण काल से सम्बंधित है।
इन गुफाओं की खोज का श्रेय डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर ने अपने साथियों के साथ की थी।
इसे वर्ष 2003 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
इसे जरूर पढ़ें- भीमबेटका की गुफाओ का इतिहास
25. छत्रपति शिवजी टर्मिनस
यह महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित है। यह एक ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है।
इस स्टेशन का आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम स्टीवन्स था उसी ने इसका डिज़ाइन बनाया था।
इसे वर्ष 2004 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
26. चम्पानेर पावागढ़ पुरातत्व उद्यान
यह गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित है। यह एक पुरातात्विक स्थल है इसलिए इस स्थान का विशेष महत्व है।
इसे वर्ष 2004 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
27. लाल किला
लाल किला जिसे Red fort के नाम से भी जाना जाता है भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।
इस किले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहां ने करवाया था।
इस किले को बनाने के लिए लाल बलुई पत्थर का इस्तेमाल किया गया था जिस वजह से यह लाल रंग का दिखलाई पड़ता है यही कारण है की इस ऐतिहासिक इमारत का नाम लाल किला पड़ा।
शाहजहां ने अपने शासनकाल के अंतर्गत कई खूबसूरत इमारते बनवायी जिनमे से आगरा का किला, लाल किला, ताजमहल, मोती मस्जिद, इत्यादि कुछ प्रमुख है।
ये इमारते न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी इनकी अलग ही पहचान है।
यही कारण है की इन इमारतों को देखने केलिए भरी संख्या में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
दिल्ली का लाल किला, आगरा और ताजमहल की भांति यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।
जब शाहजहां अपनी राजधानी आगरा दिल्ली स्थानांतरित कर रहे थे तब उन्होंने इस किले के महत्व को समझा और अपने सबसे योग्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को चुना।
उस्ताद लाहौरी जी ने ही ताजमहल को को डिज़ाइन किया था। उनका पुरे मुग़ल सल्तनत में बड़ा नाम था।
इसकी खूबसूरती और स्थापत्य कला के लिए इस किले को वर्ष 2007 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में रखा गया था।
इसे पढ़ें- दिल्ली का लाल किला क्यों है इतना ख़ास
28. जंतर-मंतर
जंतर मंतर खगोलीय घटनाओ की गणना करने वाली एक प्राचीन ईमारत है।
इस ईमारत का प्रयोग उस समय के विद्वानगण समय, ब्रह्माण्ड और पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगने वाले समय और ज्योतिष विद्या में हुआ करता था।
यह राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था।
जंतर का अर्थ होता है- यन्त्र या मशीन और मंतर का अर्थ होता है- विद्या या जानकारी।
जयसिंह एक विद्वान राजा थे इन्हे गणित भूगोल ब्रह्माण्ड इत्यादि का ज्ञान अपने समकालीन राजाओ से ज्यादा था।
वे कछवाहा राजवंश से सम्बन्ध रखते थे। जैसा की मैंने बताया सवाई राजा जयसिंह अपने समकालीन राजाओ से बुद्धिमत्ता में सबसे आगे थे।
इनके द्वारा खगोलीय क्षेत्र में किये गए कार्यों को देखकर उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने अपनी पुस्तक भारत एक खोज या Discovery of India में जिक्र किया और उनकी बुद्धि को भी प्रणाम किया।
इसे वर्ष 2010 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
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29. Western Ghats
पश्चिमी घाट को हम सह्याद्रि पहाड़ियों के नाम से भी जानते है।
इसे वर्ष 2012 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
30. राजस्थान के किले
राजस्थान का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण रहा है। यहाँ एक से बढ़कर एक शूरवीरों ने जन्म लिया जिन्होंने विदेशी अक्रान्ताओ को अनेक युद्धों में पराजित किया।
ये राजा ना सिर्फ बुद्धि और बल के स्वामी थे बल्कि ये अपने राज्य के निवासियों के लिए किसी भगवान से कम नहीं थे।
अपने प्रजा और अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए इन राजाओ ने ना सिर्फ इन्हे अपनी परिक्रमा का लोहा मनवाया साथ ही भारत वर्ष को लूटने वाली आखों को भी करारा जवाब दिया।
राजथान राज्य में एक से बढ़कर एक किले है जो उस समय उन वीर राजपूतों द्वारा बनाया गया था।
पूरा का पूरा राजस्थान राज्य ही पर्यटन क्षेत्र है। राजस्थान के 33 राज्यों में से किसी भी राज्य में आप चले जाये आपको कुछ ना कुछ अनोखा और अद्भुत देखने को मिलेगा।
राजस्थान के किलों को वर्ष 2013 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
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31. रानी की वाव
भारत के गुजरात राज्य में अनेकों ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जिनका इतिहास के साथ साथ आधुनिक भारत में भी बड़ा महत्व है।
रानी की वाव एक प्राचीन कुआ था। इसकी स्थापना वर्ष 1063 में सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम की महारानी रानी उदयमति ने अपने पति की स्मृति में बनवाया था।
इस कुएं में सीढियाँ एक पैटर्न के अंतर्गत बनाई गयी थी। यह 64 मीटर लम्बा 20 मीटर चौड़ा और 27 मीटर गहरा है।
वर्ष 2018 में इसे RBI द्वारा 100 रूपये के नोट पर चिन्हित करके इसे भारतवासियों के बीच में प्रस्तुत किया और गुजरात राज्य के पर्यटन को बढ़ावा दिया।
इसे वर्ष 2014 में Unesco की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
32. ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान
ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान हिमांचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है।
यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जानवर और वनस्पतियां पायी जाती है और Biodiversity के लिए यह काफी अच्छी जगह है।
Great Himalayan national park को वर्ष 2014 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
33. नालंदा विहार
नालंदा के बारे में शायद ही कोई ना जानता हो। कारण है इसका ऐतिहासिक महत्व।
प्राचीन भारत में मुख्यतः दो ही महाविहार या विश्वविद्यालय थे जो अपनी ज्ञान और समृद्धि के लिए जाने जाते थे।
ये विहार एक प्रकार से बौद्ध मठ थे जहाँ पर बौद्ध भिक्षु शिक्षा ग्रहण करते थे।
इसके आलावा इस जगह पर अन्य योग्य व्यक्तियों को शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति मिलती थी।
हालांकि आज इन महाविहार या विश्वविद्यालय का महत्व नहीं रह गया है जितना की प्राचीन भारत में था।
लेकिन एक इतिहास का विद्यार्थी होने के नाते और पर्यटक की दृस्टि से यह जगह एक जन्नत है।
- तक्षशिला महाविद्यालय
- नालंदा महाविद्यालय
इसे वर्ष 2016 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
34. कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क
कंचनजंगा जिसे हिमालय का दिल के नाम से जानते है सिक्किम में स्थित है।
कंचजंगा पहाड़ियों पर स्थित होने के कारण इस राष्ट्रीय पार्क का नाम कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क पड़ा।
यह पहाड़ी दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत शिखर है।
इस राष्ट्रीय पार्क में हिम तेंदुआ, हिमालयी काला भालू तिब्बती एंटीलोप जंगली गधा, लाल पांडा इत्यादि प्रमुख जानवर पाए जाते है।
इस पहाड़ी क्षेत्र में मैग्नोलिया बुरुंश और देवदार जैसे सदाबहार पेड़ पाए जाते है। इन्ही वृक्षों के कारण ये जंगल काफी हरे-भरे होते है।
कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क वर्ष 2016 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
35. The architectural work of Le Corbusier
यह चंडीगढ़ में स्थित एक पुरातात्विक जगह है जहाँ पर भारत पुरातत्व विभाग द्वारा रिसर्च किया जाता है।
इसे वर्ष 2016 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
36. अहमदाबाद शहर के ऐतिहासिक स्थल
गुजरात के अहमदाबाद शहर में कई ऐसे प्राचीन ऐतिहासिक इमारते मौजूद है जो पर्यटन की दृस्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
इस शहर की स्थापना सुलतान अहमद शाह ने 15 वि सदी में की थी। इस शहर में कई सारे मस्जिद, मकबरे, महल और मंदिर स्थित है।
दोस्तों मैंने अहमदाबाद के कुछ प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा है उम्मीद करता हु की आपको यह पसंद आएगा।
यह जगह इस प्रकार है-
वर्ष 2017 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
37. मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको एन्सेम्बल
The Victorian and art deco Ensemble of Mumbai यह एक प्रकार का कलेक्शन है जिनमे कई ऐतिहासिक इमारते शामिल है।
- मुंबई हाई कोर्ट | Mumbai high court
- राजबाई क्लॉक टावर |Rajabai clock tower
- इरोस सिनेमा | Eros cinema
- कनवोकेशन हॉल | Convocation hall
- मुंबई विश्वविद्यालय | university of Mumbai
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ लाइब्रेरी मुंबई | university of library Mumbai
वर्ष 2018 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
38. जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में बहुत सारे ऐतिहासिक स्थल आज भी मौजूद है।
इन ऐतिहासिक स्थलों में प्रमुख रूप से किले , तालाब , महल इत्यादि अभी भी मौजूद है और इन्हे देखने के लिए भरी मात्रा में पर्यटक आते है।
जयपुर को pink city या गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है। इसे वर्ष 2019 में UNESCO की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था।
जयपुर शहर में एक से बढ़कर एक महल और किले देखने को मिलेंगे जिसे देखकर आपकी आँखे फटी की फटी रह जाएँगी।
चूँकि इस आर्टिकल में मैंने इन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में सिर्फ जानकारी साझा की है।
यदि आप इनके बारे में और अधिक जानना चाहते है तो इन पर क्लिक करें और उस प्राचीन इमारत के बारे में आपको जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
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- भारत का सबसे महंगा होटल है राजस्थान का रामबाग महल
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- नाहरगढ़ के किले का इतिहास
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39. मध्य प्रदेश का ओरछा और ग्वालियर शहर
ओरछा और ग्वालियर भारतवर्ष के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।
हाल ही में इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों को UNESCO द्वारा विश्व विरासत स्थल की सूची में रखा गया है जो अपने आप में इस जगह की महत्ता को दर्शाता है।
39.1 ग्वालियर शहर
- मध्य प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर पर प्राचीन काल से ही तोमरों गुर्जर प्रतिहारों कछवाहों सिंधियाँ इत्यादि बड़े बड़े राजवंशों का इस पर राज रहा है.
- इन सभी राजाओ ने अपने अपने हिसाब से इस जगह पर विभिन्न प्रकार की कला एवं संस्कृति का विकास किया था.
- ग्वालियर के सबसे प्राचीन शिलालेख में हमें मिहिरकुल का नाम दिखाई देता है.
- ग्वालियर शहर में कई प्राचीन महल और किले है.
- जिनमे गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा बनवाये गये प्रभु विष्णुजी का मंदिर कछवाहा राजा मानसिंह द्वारा बनवाया गया मानमंदिर जयविलास महल तानसेन स्मारक गोपचल पर्वत इत्यादि शामिल है.
- 1375 ईस्वी में ग्वालियर के नए शासक हुए – राजा वीर सिंह . इन्होने ने ही तोमरवंश की स्थापना की और जैन मतावलम्बी होने के कारन ग्वालियर के किले में जैन मूर्तियां स्थापित करवाई.
- इस शहर की स्थापना 9 वि शताब्दी में हुयी थी.
- यही पर प्रसिद्ध सास-बहु मंदिर भी है.
39.2 ओरछा शहर
- ओरछा शहर बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है। जिस प्रकार राजस्थान अपने किलो के लिए प्रसिद्ध है
- उसी प्रकार यह क्षेत्र मंदिरो और महलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर बेतवा नदी के किनारे पर स्थित है। जी हाँ यह वही बेतवा नदी है जिसकी दो सहायक नदिया है- जामनी और धसान
- ओरछा शहर निम्न चीज़ों के लिए जाना जाता है – लक्ष्मीनारायण मंदिर राज महल जहांगीर महल और राय प्रवीण महल इत्यादि.
- 16 वी सदी में ओरछा बुन्देल साम्राज्य की राजधानी थी.
इसे पढ़ें – मध्य प्रदेश के ओरछा और ग्वालियर हुए विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल।
39. रामप्पा मंदिर तेलंगाना
रामप्पा मंदिर भारतवर्ष के तेलंगाना राज्य में स्थित है।
यह मंदिर सनातन धर्म की ऐतिहासिक निशानी है जिसे काकतिया वंश के राजाओं द्वारा 13 वि शताब्दी में निर्मित किया गया था।
यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है और आज भी उसी प्रकार से व्यवस्थित है। इस मंदिर को रुद्रेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से लगभग 220 किमी है।
इस मंदिर को बनाने के लिए सैंडबॉक्स तकनीक का प्रयोग किया गया था।
असल में इस तकनीक का प्रयोग, मंदिरों को भूकंप या प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए किया जाता था।
इसे जरूर पढ़ें- रामप्पा मंदिर शामिल हुआ विश्व विरासत स्थल की सूचि में
4. भारत के सांस्कृतिक स्थल [cultural site in india]
भारत में यूनेस्को द्वारा कुल 32 स्थलों को सांस्कृतिक स्थल के रूप में चुना गया है।
यह जानकारी 29.07.2021 तक का है आगे जब भी यूनेस्को द्वारा किसी भी स्थल को जोड़ा जायेगा तब हम इस पोस्ट को अपडेट कर देंगे।
यह स्थल इस प्रकार है-
आगरा का किला | एलिफेंटा की गुफाएं | अहमदाबाद शहर के ऐतिहासिक स्थल | भारतीय पर्वतीय रेल |
अजंता की गुफा | एल्लोरा की गुफा | हुमायूँ का मकबरा | लाल किला |
नालंदा महाविहार | फतेहपुर सीकरी | जयपुर सिटी | भीमबेटका |
साँची का बौद्ध स्तूप | चोल मंदिर तमिलनाडु | रामप्पा मंदिर | कोणार्क का सूर्य मंदिर |
चम्पानेर पावागढ़ पुरातत्व उद्यान | हम्फी के स्मारक | खजुराहो के मंदिर | ताजमहल |
छत्रपति शिवजी टर्मिनस | महाबलीपुरम के मंदिर | महाबोधि मंदिर | जंतर मंतर |
पुराने गोवा के चर्च | पत्तदकल के मंदिर | रानी की वाव | मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको एन्सेम्बल |
धौलावीरा | राजस्थान के किले | क़ुतुब मीनार | The architectural work of Le Corbusier |
5. भारत के प्राकृतिक स्थल [Natural site in india]
भारत में यूनेस्को द्वारा कुल 7स्थलों को प्राकृतिक स्थल के रूप में चुना गया है।
यह जानकारी 29.07.2021 तक का है आगे जब भी यूनेस्को द्वारा किसी भी स्थल को जोड़ा जायेगा तब हम इस पोस्ट को अपडेट कर देंगे।
यह स्थल इस प्रकार है-
ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान | नंदा देवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य और फूलों की घाटी |
काज़ीरंगा राष्ट्रीय पार्क | सुंदरबन राष्ट्रीय पार्क |
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | पश्चिमी घाट |
मानस वाइल्डलाइफ सेंचुरी |
6. भारत में स्थित प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थल [Mixed site in india]
भारत में यूनेस्को द्वारा सिर्फ 1 स्थल को प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में चुना गया है।
यह जानकारी 29.07.2021 तक का है, आगे जब भी यूनेस्को द्वारा किसी भी स्थल को जोड़ा जायेगा तब हम इस पोस्ट को अपडेट कर देंगे।
यह स्थल इस प्रकार है-
कंचनजंगा राष्ट्रीय पार्क |
6.1 भारत के विश्व विरासत स्थल 2021 pdf Download [Indian Heritage sites pdf download]
दोस्तों आप सभी के द्वारा भारत के विश्व विरासत स्थल pdf की मांग की गयी थी।
इसीलिए मैंने इस आर्टिक्ल के सभी डाटा को pdf में कन्वर्ट करके आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उम्मीद करता हु की आप सभी को यह पसंद आएगा। आप इस pdf को डाउनलोड कर सकते है और हाँ इसे शेयर जरूर करें-
8. यूनेस्को के बारें में कुछ तथ्य [UNESCO facts]
- यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 को हुआ था
- इस संगठन को बनाने का उद्देश्य यह था की पुरे विश्व में शिक्षा संस्कृति और विज्ञान की सहायता से पुरे विश्व में शांति और विकास से सम्बंधित कार्यों को बढ़ावा देना था।
- इस संगठन की स्थापना के समय इसके सदस्य देशों की संख्या मात्रा 37 थी लेकिन अब वर्तमान में 195 देश इसमें शामिल हो चुके है.
- इस संगठन की पहली मीटिंग 19 नवंबर 1946 से 10 दिसम्बर 1946 तक चली थी.
- इसी संगठन द्वारा पुरे दुनिया के विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों को सजोंकर रखने के लिए एक प्रोग्राम भी चलती है जिसे हम विश्व धरोहर स्थल के नाम से भी जानते है.
- विश्व धरोहर की सूचि में सर्वाधिक धरोहरों की संख्या यूरोपीय देश इटली की है जहाँ पर ४७ धरोहर सम्मिलित है.
9. निष्कर्ष [Conclusion]
दोस्तों UNESCO द्वारा विभिन्न जगहों इमारतों इत्यादि को सुरक्षित रखने का प्रयास करता है साथ ही यह उस देश में पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य भी करता है।
पर्यटन के क्षेत्र में विकास होने पर रोजगार भी बढ़ता है।
World Heritage Sites में यदि किसी ईमारत का नाम आ जाता है तो सरकारें उन स्थानों की सुरक्षा में लगा जाती है ताकि उस जगह को कोई नुकसान वगैरह न पहुंचे।
इसके साथ ही उस ऐतिहासिक स्थल की फिर से रंगाई पुताई या कायाकल्प होने लगता है ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आएं और उस राज्य में रोजगार बढ़ाएं।
तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी।
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7. यूनेस्को का मुख्यालय [UNESCO HQ]
इसे पढ़ें –
7. सवाल जवाब [FAQ]
UNESCO की फुल फॉर्म है – United nations educational scientific and cultural organization या इसे हिंदी में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन के नाम से भी जानते है।
विश्व में सर्वाधिक विश्व धरोहर स्थल इटली देश के पास में है। इस देश के पास कुल 47 विश्व धरोहर स्थल मौजूद है।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में।
2021 में यूनेस्को का अध्यक्ष आड्रे अजौली जी है। ये एक फ्रांस की प्रतिष्ठित राजनेता भी है।
वर्ष 2019 का theme था – Engage the past Through sound and images
वर्ष 2020 का theme था- “Shared Culture, Shared Heritage and Shared Responsibility.
वर्ष 2021 का theme है – ‘Complex Pasts: Diverse Future’