अलाई दरवाजे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Alai Darwaza History

आज अगर हम उत्तर भारत में नजर डालें तो हमें ज्यादातर इमारतें मुग़ल सम्राटों द्वारा निर्मित दिखलाई पड़ती है। जिनमे अगर सबसे ज्यादा योगदान किसी सम्राट ने दिया है तो वो है मुगल साम्राज्य का पांचवा शासक, शाहजहां।

मुग़ल साम्राज्य के इस दौर को हम कला और संस्कृति का स्वर्ण काल के नाम से भी जानते है।

लेकिन मुग़ल साम्राज्य से पहले भी कुछ साम्राज्यों ने अपने शासनकाल में महत्वपूर्ण एवं भव्य इमारतों का निर्माण करवाया था। फिर चाहे बात गुलाम वंश की हो या फिर खिलजी वह की।

गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा उसके काल में कुतुबमीनार की भवन की नींव रखी गयी थी जिसे उसके अगले शासक यानी इल्तुतमिश द्वारा पूरी की गयी थी।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है अलाउद्दीन द्वारा निर्मित अलाई दरवाजा को करीब से देखने। इसमें हम अलाई दरवाजे के इतिहास और उसके वास्तुकला के साथ-साथ हम अलाउद्दीन खिलजी के भी बारे में जानेंगे।

1. अलाई दरवाजा कहाँ पर स्थित है ? [Alayi darawaja location]

अलाई दरवाजा भारतवर्ष की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। असल में यह दरवाजा कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद का दक्षिणी दरवाजा है। इसका निर्माण खिलजी वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी ने किया था।

यह एक ऐसा परिसर है जहां पर कई ऐतिहासिक इमारते स्थित है। जैसे – कुतुबमीनार, कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद, लौह स्तम्भ, इल्तुतमिश का मकबरा, अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा, अलाई मीनार और अलाई दरवाजा।

इस परिसर को Qutub-Group-Of-Monuments के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1993 में इस परिसर को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूचि में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में रखा गया था।

यूनेस्को द्वारा इस परिसर को विश्व विरासत की सूचि में रखने के बाद से ही यहां पर प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा में पर्यटक इसे देखने के लिए आते है।

1.1 अलाउद्दीन खिलजी कौन था ?

अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश का सबसे महत्वपूर्ण व शक्तिशाली शासक था जिसने उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत पर भी हुकूमत करने का सफल प्रयास किया था।

वर्ष 1296 में उसने अपने श्वशुर जलालुद्दीन खिलजी का वध करके इस राजगद्दी को धोखे से हथिया लिया था। राजगद्दी पर बैठने के साथ ही उसने ” अबुल मुजफ्फर सुल्तान अलौद्दुनिया वा दीन मुहम्मद शाह खिलजी की “ उपाधि धारण की।

अलाउद्दीन ने अपने शासनकाल के दौरान सैन्य शक्ति और राज्य के निर्माण पर अच्छा खासा ध्यान दिया था।

इसके लिए उसने एक अच्छे गुप्तचर विभाग की स्थापना की थी जिस वजह से अपने शासनकाल के दौरान उसने अपने प्रतिद्वंदियों द्वारा किये जा रहे कई विद्रोहों को दबाने में मदद की।

इसके आलावा उसने अपने शासनकाल में निरंकुशता की स्थापना की, जिस वजह से कोई भी उसके खिलाफ नहीं बोलता था, अगर कभी कोई उसके विपरीत बोलता था तो उसे वह मृत्युदंड देता था।

इसके आलावा उसके शासनकाल के दौरान मंगोल आक्रमण काफी हद तक बाद चुके थे जिन्हे रोखना बेहद ही जरुरी था।

ये मंगोल आक्रमणकारी ना सिर्फ उस जगह को लुटते थे बल्कि उस जगह को तहस-नहस भी कर देते थे ताकि जो बचे भी रहें वह किसी भी अन्य संसाधनों का प्रयोग ना कर पाएं और मृत्युं को प्राप्त हो जाये।

इस समस्या से निपटने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को काफी मजबूत बनाया उन्हें अनुशासित किया और तो और उनके खर्चे के लिए राजस्व में भी बढ़ोत्तरी की गयी जिस वजह से उसकी सेना तुलनात्मक रूप से काफी मजबूत हो गयी थी।

1.2 अलाउद्दीन खिलजी और महारानी पद्मावती [Alauddin khilaji & Queen Padmavati]

दोस्तों इतिहास में अलाउद्दीन खिलजी और राणा रतन सिंह जी की धर्मपत्नी यानी महारानी पद्मावती जी के बारे में एक कथा मिलती है जिसका आधार मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पुस्तक पद्मावत है।

अमीर खुसरो ने सुलेमान और रानी शैबा के प्रेम प्रसंग का उल्लेख अपने ग्रन्थ में किया था और उसने संकेतों के जरिये अलाउद्दीन की तुलना सुलेमान से तथा पद्मिनी जी की तुलना शैबा से की थी।

ऐसा अनुमान लगाया जाता है की इसी को आधार मानकर मालिक मुहम्मद जायसी ने अपनी पुस्तक पद्मावत की रचना की थी और इसी आधार पर राणा रतनसिंह की रानी पद्मावती की कहानी मिलती है।

पद्मावत के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतनसिंह की सुन्दर पत्नी रानी पद्मावती को प्राप्त करने के लिए किया था।

जब अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ जीतने में नाकामयाब रहा तब उसने यह शर्त रखी की यदि उसे महारानी पद्मिनी सिंह जी की छवि एक दर्पण में दिखा जाये तो वह अपनी सेना की घेराबंदी ख़त्म कर देगा और वापस चला जायेगा।

राणा रतनसिंह जी ने अपने राज्य और लोगों की सुरक्षा के लिए लिए यह शर्त मान गए। राणा रतनसिंह जी ने रानी की छवि दिखाकर जब अलाउद्दीन खिलजी को वापस उसे छोड़ने के लिए गए तो उन्हें खिलजी ने धोखे से कैद कर लिया।

तब वीर राजपूतों ने राणा रत्नसिह जी को वापस लाने के लिए एक योजना बनायीं और और उन्होंने अपने सैनिकों को 1600 पालकियों में बैठाकर युद्धस्थल पर पहुचें और खिलजी सेना को खदेड़ कर अपने महाराजा राणा रतनसिंह जी को वापस छुड़ा लाये।

इस दौरान राणा रत्नसिह जी के सबसे विश्वासपात्र गोरा ने खिलजी के सैनिकों को रोकने के लिए भयकंर युद्ध शुरू किया जबकि दूसरे विश्वासपात्र बादल ने उन्हें वापस चित्तौड़ ले आये।

इस दौरान कुम्भलगढ़ के शासक देवपाल ने भी महारानी पद्मावती जी को प्राप्त करने का प्रयास किया इसलिए राणा रतनसिंह जी ने देवपाल को हराया और उसे मृत्यु के घाट पंहुचा दिया।

लेकिन इस युद्ध में वह खुद भी बुरी तरह से घायल हो गए और कुछ दिनों के पश्चात उनकी मृत्यु हो गयी। तब महारानी पद्मावती जी ने राणा रतनसिंह जी के साथ सती हो गयी और इतिहास में उनका नाम अमर हो गया।

महारानी पद्मावती जी के बारे में इतिहासकारों के बीच कई मतभेद आज भी है, लेकिन इतना तय है की यह कहानी भले ही पूरी तरह से सच ना हो लेकिन यह झूठा भी नहीं है। [Source-medieval-India-L.P.Sharma]

2. अलाई दरवाजा की स्थापत्य कला [Alai Darwaja architecture]

अलाई-दरवाजा की ऊंचाई 17 मीटर है। गेट की चौड़ाई करीब 10 मीटर है। लंबाई 17 मीटर है और गेट 3 मीटर मोटा है। इस इमारत में चार खुले दरवाजे है जो चार दिशों की ओर खुलते है।

कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के दक्षिणी हिस्से में खुलने के कारण इस दरवाजे का खासा महत्व है।

अलाई दरवाजे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Alai Darwaza History

यह ईमारत इंडो-इस्लामी कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इस ईमारत के निर्माण में बाकी के अन्य मध्यकालीन इमारतों की तरह लाल बलुई पत्थरों का उपयोग लिया गया है।

दोस्तों क्या आप बता सकते हो की मध्यकालीन भारत में ज्यादातर इमारतें लाल बलुई पत्थरों से ही क्यों बनवायी जाती थी ?

कमेंट सेक्शन में अपना जवाब जरूर दें।

लाल बलुई पत्थरो के साथ-साथ इसमें सफ़ेद संगमरमर का भी प्रयोग लिया गया था।

अलाई दरवाजा में एक गुम्बद भी है, जिसका निर्माण अष्टकोणीय आधार पर किया गया है और इसे बहुत ही सूक्ष्मता से डिजाइन किया गया है।

इस गुम्बद के बारे में कहा जाता है की गुम्बदनुमा आकृति का पहला नमूना यही ईमारत बना था। जबकि इसके पहले गुम्बद तो बनाये गये थे लेकिन वे सभी उस कलाकृति या फिर उस मुकाम तक नहीं पहुंचे जितना अलाई दरवाजे के बारे में कहा जाता है।

भवनों पर गुम्बद बनाने की पद्धति का विकास तुर्की कलाकरों ने शुरू किया था।

इस दरवाजे की मेहरबो पर घोड़े के नाल की आकृति जैसी संरचना का प्रयोग किया गया है। यदि आप गौर से इसके मेहराबों को देखेंगे तो आपको कमल के फूलों की आकृति दिखाई देगी।

इसके आलावा दरवाजे पर खूबसूरत नक्काशियां की गयी है वही इसके झरोखे और खिड़कियों में जालीदार आकृतियों के जरिये इसे एक खूबसूरत आकर दिया गया है।

Source : www.wildfilmsindia.com/ YouTube

इसकी खिड़कियां धनुष के आकार ( एक प्राचीन हथियार जिसे धनुष और बाण के नाम से भी जाना जाता है ) की बनायीं गयी है। जो दिखने में आकर्षक भी लगती है,जो इसके खूबसूरती में चार चाँद भी लगाता है।

जालीदार खिड़कियों का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इसमें हवा का प्रबंधन सुचारु रूप से होता है जिससे हवा बिना रोक टोक के अंदर और बाहर प्रवेश कर सके और भवन या इमारत को ठंडा रखा जा सके।

हवाओं के प्रबंधन का यह सिद्धांत हमें राजपूत कालीन इमारतों में भी दिखलाई पड़ता है। राजस्थान के जयपुर में स्थित हवामहल को तो आप लोग जानते ही होंगे।

राजस्थान की कड़कती धुप और गर्मी से बचने के लिए इस भवन को बनाया गया था जिसमे कुल 953 खिड़कियां बनायीं गयी थी।

2.1 दिल्ली में स्थित अन्य दर्शनीय स्थल [Tourist place in Delhi]

दोस्तों राजधानी दिल्ली, कई ऐतिहासिक इमारतों की स्थली रही है जहाँ पर एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है जो आपको मनोरंजन के साथ-साथ आपके ज्ञान में वृद्धि भी करेंगी।

दिल्ली के कुछ पर्यटन स्थल इस प्रकार है –

लाल किला राष्ट्रपति भवन
जामा मस्जिद जंतर-मंतर
विश्वप्रसिद्ध कुतुबमीनार अग्रसेन की बावली
हुमायूँ का मकबरा राज घाट
लोटस टेम्पललक्ष्मी नारायण मंदिर
अक्षरधामपुराना किला

3. परिवहन सुविधा [How to reach alai darwaja]

सड़क परिवहनराज्य सरकार द्वारा कई बसें चलायी जाती है.
नजदीकी रेलवे स्टेशन क़ुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा इंदिरा गाँधी अंतरष्ट्रीय हवाई अड्डा

4. सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा अलाई दरवाजा के बारे में कुछ सवाल पूछे गए है। जिनमे से कुछ को हमने इस आर्टिकल में सबमिट किया है। उम्मीद है हमारे द्वारा दिए गए जवाबों से आप सभी संतुष्ट हो पाएंगे।

यदि फिर भी आपके मन में अलाई दरवाजा के बारे में कोई भी क़्वेरी हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर पूछें।

1. क्या अलाई दरवाजा एक मकबरा है ?

जी नहीं अलाई दरवाजा मकबरा नहीं है। असल में यह दरवाजा कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद का दक्षिणी दरवाजा है। इसका निर्माण खिलजी वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी ने किया था।

2. अलाई दरवाजे का निर्माण किस राजा ने करवाया था ?

अलाई दरवाजा अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।

3. अलाई दरवाजे को किस शैली में बनाया गया था ?

अलाई दरवाजे को इंडो-इस्लामी शैली में निर्मित किया गया था।

4. क्या इसे यूनेस्को की विश्व विरासत की सूचि में रखा गया है ?

हाँ बिलकुल यूनेस्को ने वर्ष 1993 में इस परिसर में स्थित कई इमारतों को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में रखा गया था। इस परिसर को Qutub-Group-Of-Monuments के नाम से भी जाना जाता है।

5. सीरी का किला किसने बनवाया था ?

सीरी का किला अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था।

5. अलाई दरवाजा की तस्वीर [Alai Darwaza images]

6. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल के दौरान कई भव्य इमारते बनवायी थी। जिनमे अलाई दरवाजे के साथ साथ सीरी किले का नाम भी आता है।

इस किले के निर्माण के पीछे मंगोल आक्रमणकारिओ का आतंक था।

इन आक्रमणकारियों से बचने और अपने राज्य की सुरक्षा के लिए उसने इस किले की मरम्मत की और इसे काफी हद तक अजेय बना दिया था।

इस दौरान वह लगातार युद्धों में जुझा रहा।

उसने अपने सैनिक व्यवस्था, राज्य का सञ्चालन और सबसे महत्वपूर्ण बाजार के नियम इत्यादि के लिए कई नए नियम बनाये।

इसके अलावा उसने जासूसी के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी जिसका प्रयोग वह राज्य में होने वाले विद्रोहों को नियंत्रित करने के लिए करता था।

6. अलाई दरवाजा की लोकेशन [Alai darwaza on map]

7.सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है। इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

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