Tughlaq Abad Fort in Hindi | तुगलकाबाद किला का इतिहास

भारत में खिलजी वंश के पश्चात गियासुद्दीन तुगलक के द्वारा एक नए राजवंश की नीव रखी गयी जिसे हम तुग़लक़ वंश के नाम से भी जानते है।

इसी का पुत्र जिसे हम मुहम्मद बिन तुग़लक़ के नाम से जानते है उसके द्वारा किये गए सुधारों को हालाँकि वह असफल हुए लेकिन कमाल के सुधार थे यदि वह अपने योजना में सफल हो जाता तो उसकी गिनती विश्व के महानतम शासकों में होती।

दोस्तों आज हम चलने वाले है ग़ियासुद्दीन तुग़लक़ द्वारा बनवाया गया किले की सैर करने। यह किला वर्त्तमान समय में एक खँडहर के रूप में उपस्थित है।

1. तुगलकाबाद किला कहाँ पर स्थित है ? [Tughlaq Abad Fort location]

तुगलकाबाद किला [ Tughlaq Abad Fort ]भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

यह दिल्ली के तुगलकाबाद शहर के महरौली-बदरपुर मार्ग पर स्थित है। इस किले की स्थापना गियासुद्दीन तुग़लक़ ने किया था।

गियासुद्दीन तुग़लक़ ने ही तुग़लक़ वंश की स्थापना की थी और वह प्रथम शासक था। आज के समय में यह किला एक खँडहर के रूप में ही जिन्दा रह गया है।

1.1 गियासुद्दीन तुग़लक़ कौन था ? [who was Ghiyasuddin Tughluq]

गियासुद्दीन तुग़लक़ ने ही तुग़लक़ वंश की स्थापना की थी। उसका असली नाम गाजी तुग़लक़ या गाजीबेग तुग़लक़ था।

यही कारण है की ज्यादातर इतिहासकार उसके उत्तराधिकारियों को तुग़लक़ बुलाने लगे और उसका वंश का नाम पड़ा तुग़लक़ वंश।

गियासुद्दीन तुग़लक़ के बाद उसका उत्तराधिकारी मोहम्मद बिन तुग़लक़ बना जिसे पूरा इतिहास उसे एक पागल और सनकी राजा के रूप में जानता है।

उसके द्वारा लिए गए फैसले हालाँकि दूरगामी थे लेकिन उसके योजना कभी सफल नहीं हुयी और तो और उसके राज्य को अधिक हानि ही हुयी।

गियासुद्दीन तुग़लक़ ने खुसरोशाह को ख़त्म करके 8 सितम्बर 1320 को दिल्ली के राजगद्दी पर बैठा। दिल्ली की राजगद्दी पर पर बैठने के दौरान ही उसने एक नया शहर बसाया जिसे हम तुगलकाबाद के नाम से भी जानते है।

गियासुद्दीन के बारे में कहा जाता है की एक बार उसका मतभेद प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से हो गया और तब आलिया जी ने उसे कहा था की दिल्ली अभी दूर है।

जिसका अर्थ यह है की गियासुद्दीन तुग़लक़ कभी भी दिल्ली की बागडोर शांतिपूर्वक नहीं संभल पाया और उसकी मृत्यु 1325 में हुआ।

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2. तुगलकाबाद किले का इतिहास [Tugalakabad fort history]

भारतवर्ष पर लगातार मंगोलो के आक्रमणों ने भारतीय राजाओं के सकते में ला दिया था। ये मंगोल आक्रमणकारी जहाँ पर भी जाते थे उस जगह को पूरी तरह से नष्ट करते जाते थे।

नदियों और तालाबों में जहरीली चीज़े मिलाकर पानी को दूषित कर देते थे और तो और घरों को भी नष्ट करते जाते थे।गियासुद्दीन तुगलक के समय में भी यह समस्या बढ़ने लगी थी।

भारत के उत्तरी और पश्चिमी द्वारों से मंगोल आक्रमणकारियों के आतंक बढ़ने लगे थे जिनसे निपटने के लिए दिल्ली के निकट तुगलकाबाद शहर को बसाया और उसे अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया।

चूँकि यह जगह दिल्ली के पास ही थी इस वजह से जल्दी ही वह अपनी सेना भेजकर मंगोल आक्रमकारियों को रोक सकते थे और अपने राज्य और प्रजा को होने वाली क्षति को कम कर सकते थे।

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3. तुगलकाबाद किले की कुछ तथ्य [Tugalakabad fort facts]

  • तुगलकाबाद किला [ Tughlaq Abad Fort ] भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।
  • इस किले की स्थापना गियासुद्दीन तुग़लक़ ने किया था।
  • इसकी स्थापना मंगोलो के आक्रमणो से बचने और उसके प्रभाव को रोकने के लिए बनाया गया था.

प्रवेश शुल्क – भारतीयों, BIMSTEC और SAARC के सदस्यों के लिए 20 रूपये और विदेशियों के लिए 250 रूपये

खुलने का समय- सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक।

4. परिवहन सुविधा [How to reach Tughalakbad fort]

नजदीकी रेलवे स्टेशन हजरतगंज रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डाइंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
सड़क परिवहन सुविधाराज्य सरकार की बसे चलती है।

5. तुग़लक़ाबाद किले की लोकेशन [Tughalakabd fort location, map]

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