Thiruvalluvar statue | जानें तिरुवल्लुवर मूर्ति का इतिहास

1. तिरुवल्लुवर मूर्ति [Tiruvalluvar statue in Hindi]

तिरुवल्लुवर मूर्ति तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी में स्थित है। यह प्रतिमा मशहूर तमिल कवि और दार्शनिक वल्लुवर के सम्मान में बनाया गया है।

2. कौन थे वल्लुवर [who was valluvar]

तिरुवल्लुवर का जन्म मायलापुर, तमिलनाडु में हुआ था। उन्हें थेवा पुलवर, वल्लुवर और पोयामोड़ी पुलवर इत्यादि नामो से भी जाना जाता है।

तिरुवल्लुवर का शाब्दिक अर्थ होता है सम्मान्नित व्यक्ति। उनके जन्म और धर्म के बारे में इतिहासकार एकमत नहीं है।

कुछ इतिहासकार उनका जन्म 200 ईस्वी पूर्व और 30 ईस्वी पूर्व मानते है।

इनके ज्यादातर साक्ष्य हमे भाषाई साबुत यानि की उनके द्वारा लिखी गयी रचनाये या उनके समकालीन कवियों या दार्शनिको द्वारा लिखी गयी पुस्तकों और कविताओं के माध्यम से चलता है।

उनका मानना था की कोई भी व्यक्ति सन्यास न धारण करे और गृहस्थ जीवन में ही वह भगवान के प्रति सच्चा प्रेम में लगा रह सकता है।

उन्होंने सभी लोगों को शुद्ध और पवित्रता का जीवन व्यतीत करने की सलाह दी थी।

यही कारण है की तिरवुवल्लुर जी से अनेकों भक्त जुड़े और उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतो को अपनाकर भगवान के प्रति पूर्ण भक्ति में लीन रहे।

उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को तिरुक्कुरल नमक पुस्तक के जरिये संगृहीत किया गया है।

इस पुस्तक का उद्देश्य था की ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी बातो को समझे और गृहस्थ जीवन जीते हुए भी वह शुद्ध और पवित्रता का जीवन जी सकें।

ऐसा माना जाता है की तमिल पंचांग या कैलेंडर की शुरुवात उनके द्वारा की गयी थी।

3. तिरुवल्लुवर की रचना तिरुक्कुरल [tiruvalluvar book name tirukkural]

तिरुवल्लुवर जी ने एक प्रसिद्ध पुस्तक तिरुक्कुरल लिखी थी।

यह पुस्तक उन्होंने तमिल भाषा में लिखी थी।

आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है की गीता बाइबिल और कुरान इन तीनो के बाद जिस किताब का सबसे अधिक विभिन्न भाषाओ में अनुवाद हुआ है उसका नाम है तिरुक्कुरल।

तिरुक्कुरल को तीन खंड है-

खंडमहत्व
प्रथम खंड व्यक्ति के विवेक और आचरण पर ध्यान
द्वितीय खंड सांसारिक मामलो की जांचपड़ताल
तृतीया खंड पुरुष एवं स्त्री के बीच के प्रेम सम्बन्ध

4. तिरुवल्लुवर मूर्ति का इतिहास [Thiruvalluvar statue History]

इस मूर्ति की आधारशिला हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई द्वारा सन1979 को रखी गयी थी और लगभग 20 सालों बाद यह प्रतिमा अपने पूर्ण अवस्था में आयी।

तब इस प्रतिमा का अनावरण तमिलनाडु के मुक्यमंत्री श्री येदुरप्पा द्वारा किया गया था।

5. तिरुवल्लुवर मूर्ति की स्थापत्य कला [Architecture of Thiruvalluvar statue]

तिरुवल्लुवर जी प्रतिमा 95 फ़ीट ऊँची एक पत्थर की मूर्ति है।

इस मूर्ति का आधार लगभग 38 फीट ऊँची है इस प्रकार इस मूर्ति की कुल लम्बाई 133 फ़ीट हो जाती है और तो और इसका वजन भी 7000 टन है।

तिरुवल्लुवर जी की प्रतिमा पर उनके द्वारा कही गयी बातो को या उपदेशो को इस पर उकेरा गया है।

तिरुवल्लुर जी की इस प्रतिमा के बारे में सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है की इस प्रतिमा में तिरुवल्लुवर जी का सिर जिस पत्थर से बनाया गया था वह केवल और केवल एक ही पत्थर का उपयोग करके किया गया था।

प्रतिमा के शुरुआत में मंडप है जिसे लगभग 140 सीढियाँ चढ़कर लोग अंदर को जाते है और यह द्वार तिरुवल्लुवर जी के चरणों पर समाप्त होता है।

इस प्रतिमा के शिल्पकार है – डॉ वि गणपति स्थापति

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