झाड़ुओं का इतिहास बताने वाला भारत का एकमात्र संग्रहालय | The Broom museum

क्या आपने कभी भी झाड़ुओं का संग्रहालय सुना है ? शायद नहीं । यहाँ तक की मैंने भी इस प्रकार के किसी भी संग्रहालय के बारे में नहीं सुना था।

लेकिन बीते कुछ दिनों से मैंने कुछ संग्राहलयों के बारे में आपसे जो कुछ भी साझा किया था उम्मीद करता हूँ की आपको लाभप्रद रहा होगा।

दोस्तों मुझे एक मित्र ने इस म्यूजियम के बारे में पूछा था। चूँकि मैं भी उत्सुक था क्यूंकि मैंने कभी भी इस प्रकार का संग्रहालय नाम तो क्या देखा भी नहीं था। और इस कोरोना के काल में तो उम्मीद भी नहीं कर सकते है।

तो दोस्तों मैंने इस झाड़ू के संग्रहालय के बारे में रिसर्च की तो मुझे इस म्यूजियम के बारे में और भी बहुत कुछ जानने को मिला जिसे मैं आपके सामने इसे प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ की यह आपको पसंद आएगा।

1. झाड़ुओं का संग्रहालय कहाँ पर स्थित है ? [The Broom museum in Hindi]

दोस्तों झाड़ू का संग्रहालय राजस्थान के जोधपुर शहर से 15 किमी दूर मोकलवास नामक क्षेत्र में स्थित है। यहां पर लगभग 200 प्रकार के झाड़ू रखे हुए है।

यह झाड़ू पुरे राजस्थान राज्य के विभिन्न इलाको में प्रयोग किये जाते है और इन्हे इकठ्ठे करके The broom Museum में रखा गया है।

इस संग्रहालय की देखरेख कुलदीप कोठरी जी करते है। वह बतलाते है की झाड़ुओं का भी लिंग होता है यानि की झाड़ू भी पुलिंग और स्त्रीलिंग होते है। यह संग्रहालय लगभग 10 एकड़ के बृहद क्षेत्र में फैला हुआ है।

कुलदीप कोठरी जी के पिता का नाम था- कोमल कोठरी। दोस्तों कोमल कोठरी जी को स्वदेशी परम्परों पर उनके द्वारा किये गए कार्यों के लिए पद्म विभूषण जैसे बड़ी सम्मान से भी नवाजा गया था।

1.1 पुलिंग और स्त्रीलिंग झाड़ू [singular and plural form of Brooms]

पुलिंग झाड़ू वह होते है जो घर से बाहर उपयोग में लिए जाते है। इस प्रकार के झाड़ुओं को बुहारा भी कहा जाता है।

वही घर के अंदर भी झाड़ू प्रयोग में लिया जाता है ये झाड़ू स्त्रीलिंग होते है, इस प्रकार के झाड़ुओं को हम बुहारी के नाम से जानते है।

2. संग्रहालय में रखी हुयी वस्तुएं [Things to store in The Broom Museum, Jodhpur]

इस संग्रहालय के कर्त्ता-धर्ता कुलदीप कोठरी जी के कहते है की इस प्रकार का संग्रहालय बनाना उनके पिता कोमल कोठरी जी की इच्छा थी।

उन्होंने अपने पिता की इच्छा की पूर्ति के लिए इस 10 एकड़ भूमि पर पुरे राजस्थान राज्य में प्रयोग की जाने वाली झाड़ुओं का संग्रह किया।

इसके लिए उन्होंने पुरे राजस्थान के लगभग 29000 गांवों में घर-घर जाकर झाड़ुओं को इकट्ठा किया और इसे एक म्यूजियम का रूप दे दिया।

कोमल कोठरी जी ने सबसे पहले राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर, झाड़ुओं के बारे में लोगों के विचारों को जाना और साथ ही यह भी जाना की प्रत्त्येक राज्य खाद्य पदार्थ यानि फसल के हिसाब से थोड़ा अलग था।

इस प्रकार उन्होंने खाद्य पदार्थो के आधार पर पुरे राजस्थान को मुख्यतः तीन हिस्सों में बाँटा।

  1. बाजरा
  2. ज्वार
  3. मक्का

इस प्रकार उन्होंने राजस्थान की परम्परा को समझा और फिर उन्होंने यह पता लगाया की प्रत्येक खाद्य क्षेत्र में झाड़ू को बनाने के लिए लोग मुख्यतः झाड़ियों का प्रयोग करते थे।

कुछ झाड़ू इस प्रकार है-

  • दांत खोदने के लिए झाड़ू
  • घर के अंदर के लिए झाड़ू
  • घर के बहार के लिए झाड़ू
  • पटलों से बनी हई झाड़ू
  • झाड़ियों से बनी हई झाड़ू
  • खजूर की डालियों से पतले सिक का निर्माण करके उसे झाड़ू की शक्ल दिया जाना
  • कुश से बनी हई झाड़ू

3. झाड़ुओं का संग्रहालय का प्रवेश शुल्क [Entry fee in The Broom Museum]

खुलने का समय- सुबह 8 से शाम 6 बजे तक। 

प्रवेश शुल्क– बच्चो के लिए 30 रूपये और बड़ों केलिए 50 रूपये शुल्क लगता है। इसके आलावा यहां पर भोजन की भी व्यवस्था है

4. राजस्थान में पर्यटन स्थल कौन-कौन से है ? [Tourist place in Rajasthan]

दोस्तों राजस्थान देश का ऐसा राज्य है जहां पर आपको पग पग ढेरों स्मारक, किले, मंदिर इत्यादि मिलेंगे जो शायद ही किसी अन्य राज्यों में मिले।

इस राज्य में इतने ज्यादा घूमने लायक या यु कहें की पर्यटन स्थल काफी ज्यादा है जिन्हे सिर्फ एक पोस्ट में लिख पाना संभव नहीं है।

कुछ जगहों के बारे में मैंने विस्तार से बतलाया है उनका लिंक में नीचे दे दूंगा जहाँ से आप इन इमारतों के बारे में जान पाएंगे।

इस राज्य की विजयगाथा तो आप सभी तो जानते ही होंगे। यहाँ पर राज करने वाले वीर राजपूतों ने बड़े बड़े किले बनवाये जो आज भी उतनी ही मजबूती से खड़े है जैसे अपने बने थे।

राजस्थान में पर्यटन की दृस्टि से स्थल इस प्रकार है-

5. जोधपुर में स्थित अन्य संग्रहालय कौन-कौन से है ? [Tourist place in Jodhpur ]

  • उम्मेद हेरिटेज कला स्कूल
  • चौहान आर्ट गैलरी
  • अरना झरना संग्रहालय
  • सरदार गवर्नमेट म्यूजियम
  • ओरिएण्टल आर्ट गैलरी
  • बालाजी आर्ट पैलेस

6. परिवहन सुविधा [How to reach]

नजदीकी रेलवे स्टेशन जोधपुर जंक्शन
नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा
सड़क सुविधा राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही बस सेवा

7. सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा झाड़ुओं का संग्रहालय के बारे में कुछ सवाल पूछे गए है।

इन सवालों में से जो भी महत्वपूर्ण सवाल है उन्हें हमने इसमें शामिल किया है तथा इनके जवाब देने की हमने कोशिश की है उम्मीद करता हु की यह आप सभी को बेहद पसंद आएगा।

अगर फिर भी आपके मन में The-Broom-Museum के बारे में कोई सवाल है तो जरूर पूछें।

1. क्या यह संग्रहालय बच्चो के लिए अच्छी जगह है ?

हां बिलकुल आप निश्चिन्त रहे यह जगह पूर्णतः सुरक्षित है और हाँ अपने साथ खाने-पीने की वस्तुए साथ ले आये क्यूंकि राजस्थान की जलवायु के कारण आपको जल्दी ही प्यास और भूख लगनी शुरू हो जाती है ध्यान रखें।

2. इस प्रकार का संग्रहालय को बनाने का उद्देश्य क्या है ?

झाड़ुओं के विभिन्न प्रकर के बारे में लोगों को जानकारी देना इस म्यूजियम का उद्देश्य है।

3. क्या अरना-झरना किसी किसी प्रपात पर स्थित है ?

जी नहीं यह स्थान एक मरुस्थलीय जगह है।

4. टिकट के बारे में बताएं ?

बच्चो के लिए 30 रूपये और बड़ों केलिए 50 रूपये शुल्क लगता है। इसके आलावा यहां पर भोजन की भी व्यवस्था है

5. यह संग्रहालय पर्यटकों के लिए कितने बजे खुलता है ?

खुलने का समय- सुबह 8 से शाम 6 बजे तक। 

8. संग्रहालय की फोटो [The broom museum image]

9. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों मुझे उम्मीद है अपने कभी भी इस प्रकार का म्यूजियम के बारे में नहीं सुना होगा। यह संग्रहालय अपने आप में भारत के अनोखे संग्रहालय में से एक है।

एक तरफ जहाँ यह संग्रहालय विभिन्न प्रकार के झाड़ुओं के बारे में जानकारी देता है वही यह राजस्थान संस्कृति के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।

मेरा मानना है की ऐसी जगहों पर आप सभी को जानना चाहिए।

आपको घूमना-फिरना चाहिए क्यूंकि इससे हमारे दिमाग का प्रॉपर तरीके से विकास होता है और वही नए नए लोगों से मिलने पर हमारी बात करने की कला का भी विकास होता है जो आज कला के समय में तो बेहद जरुरी हो जाता है।

इसे जरूर पढ़ें – भारत के 17 अनोखे संग्रहालय

झाड़ुओं का संग्रहालय जोधपुर का मैप [The broom museum jodhpur map]

10. सबसे महत्वपूर्ण बात [Very important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

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