Ibrahim Suri Tomb | जाने इब्राहिम सूरी के मकबरे का इतिहास

भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के पश्चात बाबर ने जब अपनी सैन्य शक्ति और राज्य विस्तार के बारे में सोचा तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। मुग़ल साम्राज्य के अगले वारिस के रूप में जब हुमायूँ राजगद्दी पर बैठा तब उसके सामने वही चुनौती आयी जो उसके पिता बाबर के सामने आयी थी।
उसने भी अपने साम्राज्य के विस्तार और सैन्य शक्ति को बढ़ने के लिए प्रयास करना प्रारम्भ किया लेकिन वह इतना दयालु और परोपकारी था जिससे उसके सारे कार्य धीरे-धीरे विफल होने लगे। वह अपनी दयालुता और परोपकारी होने के कारण अपना राज्य अपने तीन भाइयों में क्रमशः बाँट दिया जिसका अर्थ हुआ की मुग़ल साम्राज्य बनने के पहले ही पहले ही बिखरा गया था जिसका परिणाम यह हुआ की हुमायूँ न तो अपने साम्राज्य को सुदृण बना पाया और ना ही वह पारिवारिक सुख भोग पाया। अक्सर युद्ध में ही जीवन व्यतीत करने लगा।उसके इसी परिस्थिति का लाभ एक अफगान राजा शेरशाह सूरी ने उठाया।

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