शेरशाह सूरी के मकबरे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sher shah suri tomb

भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के पश्चात बाबर ने जब अपनी सैन्य शक्ति और राज्य विस्तार के बारे में सोचा तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

मुग़ल साम्राज्य के अगले वारिस के रूप में जब हुमायूँ राजगद्दी पर बैठा तब उसके सामने वही चुनौती आयी जो उसके पिता बाबर के सामने आयी थी।

उसने भी अपने साम्राज्य के विस्तार और सैन्य शक्ति को बढ़ने के लिए प्रयास करना प्रारम्भ किया लेकिन वह इतना दयालु और परोपकारी था जिससे उसके सारे कार्य धीरे-धीरे विफल होने लगे।

वह अपनी दयालुता और परोपकारी होने के कारण अपना राज्य अपने तीन भाइयों में क्रमशः बाँट दिया।

जिसका नतीजा यह हुआ की मुग़ल साम्राज्य बनने के पहले ही पहले ही बिखरा गया था ।

हुमायूँ न तो अपने साम्राज्य को सुदृण बना पाया और ना ही वह पारिवारिक सुख भोग पाया। अक्सर युद्ध में ही जीवन व्यतीत करने लगा।

उसके इसी परिस्थिति का लाभ एक अफगान राजा शेरशाह सूरी ने उठाया।

उसके राजवंश का नाम था – सुर वंश उसने हुमायूँ को कई बार युद्ध में पराजित करके उसे भारत से बाहर खदेड़ा।

शेरशाह सूरी कहा करता था की अगर उसे कुछ भारतीय राजाओ का सहयोग प्राप्त हो जाये तो वह मुग़लों के भारत से बाहर खदेड़ देगा।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है शेरशाह सूरी के मकबरे के इतिहास को ढूढने और जानेंगे की उनके शासनकाल में कला एवं संस्कृति में क्या महत्वपूर्ण विकास हुए थे।

तो आइये चलते है बिहार के सासाराम जिले में जहाँ पर शेरशाह सूरी के मकबरा स्थित है।

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शेरशाह का मकबरा कहां स्थित है ? [shershah suri location]

शेर शाह सूरी का मकबरा बिहार राज्य के सासाराम शहर में स्थित है।

इस मकबरे का निर्माण बिहार के एक अफगान सम्राट शेर शाह सूरी की याद में किया गया था, जिन्होंने मुगल साम्राज्य को हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य की स्थापना की थी।

वर्ष 1545 ई. को कालिंजर के प्रसिद्ध युद्ध में जब उसका सामना एक बार फिर से मुग़ल सम्राट हुमायूँ से हुआ तो उसमे अंत तक शेरशाह सूरी उस पर भरी पड़े थे लेकिन इस किले में अचानक से बारूद विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई।

इस मकबरे का वास्तुकार उस समय के प्रसिद्ध अफगान मीर मोहम्मद अलीवालाग खान था।

इस मकबरे का बनाने में एक सदी से ज्यादा का वक्त लग गया। इस मकबरे को पूर्णतः बनाने का श्रेय शेरशाह के बेटे इस्लामशाह को जाता है।

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सुर वंश [Sur Dynasty]

सुर वंश की वास्तविक स्थापना एक अफगान वीर शेरशाह सूरी ने किया था।

शेरशाह के बचपन का नाम फरीद था। उसके पिता एवं दादा दोनों ही जन घोड़ो के व्यापारी थे।

फरीद के जन्म के समय उसके पिता सिकंदर लोधी के यहाँ पर जौनपुर की जागीर संभाल रहे थे।

उसके पिता हसन सुर अपनी चौथी पत्नी से बेहद प्रभावित रहते थे और उसके ही कहने पर फरीद को उन्होंने जौनपुर की जागीर को सँभालने के लिए दिया।

मुहम्मदशाह की मृत्यु के पश्चात उसके राज्य पर कब्ज़ा करके उसे हथिया लिया।

चुनार का किला

उसने अपने राज्य और धन सम्पदा को बढ़ने के उद्देश्य से ही चुनार के किलेदार ताजखां की विधवा पत्नी लाढ मलिका से विवाह करके चुनार किले पर अपना अधिकार सुरक्षित कर लिया।

इस प्रकार से उसने धीरे धीरे अपने साम्राज्य को सुदृण और सेना को संगठित करके मुग़लों यानी हुमायूँ से भी लड़ने चल दिया।

इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहा।

यदि भाग्य ने उसका साथ दिया होता तो आज शायद इतिहास कुछ और ही होता। कालिंजर के किले में हथगोले में विस्फोट के पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी।

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शेरशाह सूरी कौन था ? [who was Shershah suri]

शेरशाह का बचपन का नाम फरीद था। उसके बाबा इब्राहिम घोड़ों के व्यापारी थे।

फरीद के पिता हसन सुर भी पिता के काम में हाथ बढ़ाते थे। उसकी माता एक अफगान थी।

शेरशाह का जन्म 1472 में नारनौल परगने में हुआ था। फरीद का बचपन सुखी नहीं था।

उसे उसकी सौतेली माता और पिता दोनों का ही साथ नहीं मिला।

1498-1518 तक उसने अपने पिता की जागीर की देखभाल की और उस जागीर को उसने फिर से हरा-भरा किया यानि उसमे जान डाल दी और साथ ही उसने शासन का अनुभव भी प्राप्त कर लिया।

फरीद ने सूबेदार बहारखां लोहानी की एक शेर से उसकी जान बचाई जिस वजह से उसका नाम फरीद से शेरखान पड़ा।

शेरखान ने बाबर के यहाँ पर नौकरी की थी जहाँ पर उसने मुग़ल सेना के संगठन और रणनीति को समझा।

वह उनके साथ चंदेरी के युद्ध में भाग भी लिया था। बाद में वह वहां से भागकर बिहार चला गया।

बिहार आकर उसने मुहम्मद शाह के यहाँ पर आकर नौकरी कर ली।

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शेरशाह सूरी के मकबरे की स्थापत्य कला [shershah suri tomb architecture]

शेरशाह सूरी के मकबरे का निर्माण उसके पुत्र इस्लामशाह ने वर्ष 1540 – 45 के समय में करवाया था।

इस मकबरे के वास्तुकला के लिए उन्होंने उस समय के प्रसिद्ध अफगान मीर मोहम्मद अलीवालाग खान जी को इस कार्य में लगाया था।

जब यह मक़बर बनकर तैयार हुआ तब इसकी खूबसूरती देखते ही बनती थी।

इस मकबरे की खूबसूरती का अंदाजा आप इस प्रकार से लगा सकते है की इसके बारे में एक प्रसिद्ध इतिहासकार कनिघम ने इसे विश्वप्रसिद्ध ताजमहल से भी सुन्दर बताया था।

बात करें इसकी स्थापत्य कला की तो हमें पता चलता है की इसे बनाने में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग लिया गया था।

शेरशाह सूरी के मकबरे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sher shah suri tomb

यदि आप मध्यकालीन इमारतों को आप गौर से देखेंगे तो आपको पता चलता है की ज्यादातर भवन लाल बलुआ पत्थर से ही बनाया गया था।

दोस्तों क्या आप बता सकते हो की मध्यकालीन भारत के ज्यादातर भवन लाल बलुआ पत्थर से ही क्यों बनाये गए थे ? कमेंट में जरूर बताइयेगा।

यह मकबरा एक झील के बीचों-बीच बनायीं गई है, जो की आज एक तालाब का रूप ले चूका है।

इसमें एक बड़ा सा चबूतरा बनाया गया था जिसपर यह पूरा का पूरा मकबरा स्थापित है।

इस मकबरे का प्रमुख हिस्सा अष्टकोणीय संरचना के आधार पर बनाया गया है, जिसके शीर्ष पर एक गुंबद है, जो 22 मीटर लंबा है और चारों ओर से सजावटी गुंबददार संरचना है जिसमे रंगीन पत्थरों से सजावट की गयी थी।

विश्व के सबसे बड़े गुम्बज यानि गोलगुम्बज के बाद शेरशाह के मकबरे के गुम्बज का नाम आता है।

इसीलिए इसे ऐतिहासिक धरोहरों में से एक माना जाता है।

इस मकबरे में स्थित एक शिलालेख के अनुसार शेरशाह के जीवित रहने के समय से ही इसका निर्माण हो रहा था।

लेकिन कालिंजर के युद्ध में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद से ही उनके पुत्र इस्लामशाह ने इसका निर्माण पूर्ण कराया।

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शेरशाह सूरी द्वारा किये गए भवन निर्माण कार्य [Shershah suri fort name]

शेरशाह सूरी ने अपने थोड़े से शासनकाल में कई इमारते बनवाने का काम भी किया।

उसने अपनी राज्य के सुरक्षा के लिए रोहतासगढ़ नाम का किला बनवाया था।

दिल्ली का पुराना किला बनवाया वही यमुना नदी के किनारे एक शहर भी बसाया। कन्नौज नगर को बर्बाद करके शेरसुर नामक शहर को बसाया।

दिल्ली के पुराने किले में बनायीं गयी उसकी मस्जिद भारतीय और इस्लामी कला का मिला जुला एक उदाहरण है।

एक भवन निर्माता के रूप में शेरशाह द्वारा निर्मित सासाराम के मकबरे को पूर्वकालीन स्थापत्य शैली की पराकाष्ठा पर पहुंचाया।

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अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place in Sasaram]

दोस्तों बिहार राज्य में कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जिनमे बोधगया का महाबोधि मंदिर से लेकर नालंदा महाविहार जैसे ऐतिहासिक धरोहर स्थापित है।

चूँकि आज हम सासाराम की बात कर रहे है तो मैं आपको बता दू की सासाराम में भी कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद है

जहाँ पर आप पर्यटन के लिए जा सकते है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है। यह जगहे इस प्रकार है –

  • शेरशाह सूरी का मकबरा
  • हसन खान सूरी का मकबरा
  • जन्नत वॉटरफॉल
  • तारा चंडी मंदिर

परिवहन सुविधा [How to reach Shershah suri tomb]

सड़क परिवहन आप राष्ट्रीय राजमार्ग – 2 या NH-2 का प्रयोग कर पाएंगे
नजदीकी रेलवे स्टेशनसासाराम रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा गया हवाई अड्डा

शेरशाह सूरी के मकबरे की तस्वीर [Shershah suri tomb Images]

निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों शेरशाह ही वह अकेला शासक था जिसके अंदर मुग़लों को भारत से खदेड़ने की हिम्मत थी और काफी हद तक सफल भी रहा।

दोस्तों इतिहास में जितना शेरशाह सूरी का स्थान है उतना उसके उत्तराधिकारियों का नहीं है।

इसका प्रमुख कारण है की अपने राज्य को उन्होंने संगठित नहीं किया और अपने ही दरबार के षड्यंत्रों में फंसे रह गए

जहाँ शेरशाह ने अपनी स्थिति को सुदृण रखने के लिए हुमायूँ तक से युद्ध किया वही उसके उत्तराधिकारी युद्ध तो दूर जितना उनका राज्य था उसे ही बचाकर नहीं रख पाए।

शेरशाह द्वारा बनवाया गया उसके मकबरे के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार कनिंघम ने ताजमहल से भी सुन्दर बताया है।

यह मकबरा झील के बीच में एक चबूतरे पर बना हुआ है। शेरशाह का मकबरा वाकई एक सर्वश्रेष्ठ इमारत है।

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सबसे जरुरी बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

शेरशाह सूरी के मकबरे की लोकेशन [shershah suri tomb google map]

सवाल जवाब [FAQ]

1. दिल्ली के शासक शेरशाह सूरी का मकबरा कहाँ स्थित है ?

शेरशाह सूरी का मकबरा बिहार के सासाराम में स्थित है।

2. क्या यहाँ पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है ?

हाँ बिलकुल यहाँ पर आपको पार्किंग की सुविधा मिलेगी निश्चित रहें और आपकी यात्रा का आनंद लें

3. शेरशाह सूरी कौन था ?

शेरशाह सूरी एक अफगान शासक था जिसने अपने विराट और बुद्धिमत्ता के बल पर मुग़ल सम्राट हुमायूँ को भी निर्वासित जीवन जीने पर मजबूर कर दिया था।

4. शेरशाह का मकबरा कितने बजे खुलता है ?

शेरशाह का मकबरा सुबह 6 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है इसके आलावा यह सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है। आप कभी भी यहाँ पर पर्यटन के लिए आ सकते है

5. हुमायूँ का मकबरा कहाँ पर स्थित है ?

हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है।

6. इब्राहिम सूरी कौन थे ?

इब्राहिम सुर खान शेरशाह सूरी के दादाजी थे। वह सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के बहनोई थे।

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