प्राचीन वस्तुओं एवं धरोहरों को संभलकर रखना एवं इसे अगली पीढ़ी को बिना किसी बदलाव के सौपना एक संग्रहालय की अहमियत को दर्शाता है।
आज हमारे देश में लगभग सभी जगह अलग अलग विषयों पर आधारित आपको संग्रहालय दिखलाई देते है, जैसे राजस्थान के जोधपुर में स्थित झाड़ुओं का इतिहास बताने वाली संग्राहलय, नवाबों के जीवन से सम्बंधित तथ्यों को दर्शाने वाली सालारजंग संग्राहलय।
इन सभी संग्रहालयों की खासियत इनमे रखी प्राचीन वस्तुओं का संग्रह ही है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जाने वाले है उत्तर प्रदेश में स्थित सारनाथ संग्रहालय।
इस संग्रहालय की सबसे खूबसूरत बात ये है की यह संग्राहलय वर्ष 1904 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। आइये चलते है इस अभूतपूर्व संग्रहालय की एक यात्रा पर जो भगवान् गौतम बुद्ध जी को समर्पित है।
सारनाथ संग्रहालय का इतिहास [Sarnath museum history]
सारनाथ संग्रहालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह संग्रहालय भारतीय पुरात्तव विभाग द्वारा संचालित किया जाता है। इस संग्रहालय में लगभग 6832 मूर्तियां एवं अवशेष रखे गए है।
यह मूर्तियां एवं अवशेष बौद्ध धर्म के सांस्कृतिक विकास को बखूबी दर्शाते है। वर्ष 1904 में इस संग्रहालय को स्थापित किया गया था। इस संग्रहालय के निर्माण में सर जॉन मार्शल की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
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सारनाथ संग्रहालय का टिकट [Sarnath museum ticket price]
सारनाथ संग्रहालय का टिकट मात्र 5 रूपये है। इस टिकट को आप केवल और केवल ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकते है। इसके लिए आपको अपने स्मार्टफोन पर एक QR code को स्कैन करना होगा और वहां से आपको एक दूसरे पेज पर ले जाया जायेगा जहाँ पर आपको अपनी डिटेल्स जैसे की आधार कार्ड एवं अपना नाम दर्ज करना होगा।
इसके बाद आपको अगले पेज पर ले जाया जाएगा जहाँ पर आपको अपने गूगल पे अकाउंट से लॉगिन करके पैमेंट करना होगा।
पैमेंट पुरे होने के बाद आपके स्मार्टफोन पर एक लिंक आएगा जिस पर आपको क्लिक करके उसे डाउनलोड करना होगा। इस डॉक्यूमेंट को डाउनलोड करने के बाद आपको इसे गार्ड साहब को दिखाकर एंट्री ले लेनी होगी।
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आइये घूमने चले [Lets have a look on museum]
सारनाथ जाने के लिए आपको सबसे पहले कैंट रेलवे स्टेशन आना होगा। यहाँ से आप सारनाथ जाने के लिए किसी ऑटो या फिर ओला कर सकते है जो आपको सीधा ही सारनाथ पंहुचा देगा। रेलवे स्टेशन से सारनाथ की दुरी लगभग 10km की है।
सारनाथ पहुंचने से पहले ही आपको भगवान् बुद्ध जी की 80 फ़ीट ऊंची मूर्ति देखने को मिलेगी। संग्रहालय में प्रवेश के लिए आपके पास टिकट का होना बेहद जरुरी है। यह टिकट मात्र 5 रूपये प्रति व्यक्ति है।
लेकिन इसे प्राप्त करने के आपके पास स्मार्टफोन का होना बेहद जरुरी है। ऊपर मैंने टिकट को प्राप्त करने के तरीको को साझा किया है उसे जरूर पढ़ें। टिकट कन्फर्म होने के बाद आपको गेट के पास खड़े गॉर्ड साहब को टिकट को दिखाना होगा।
जहाँ आपको प्रवेश मिलते ही आपको फिर से टिकट को कन्फर्म करना होगा। यह कन्फोर्मशन आपको अंदर बैठे एक कर्मचारी द्वारा कराना पड़ता है। जब वह कर्मचारी आपके टिकट को स्कैन कर लेता है तब आपको अंदर जाने की इजाजत मिलती हैं।
टिकट स्कैन करने के बाद आपको अपना बैग और स्मार्टफोन इत्यादि चीजें वही एक लॉकर में रखना पड़ता है जो की निःशुल्क है। हालाँकि आप अपने साथ पेन और डायरी रख सकते है। हमने भी डायरी और पेन साथ में रखा और निकल पड़े सारनाथ संग्रहालय की ओर।
लेकिन यहाँ एक बाद बताना ही भूल गए। दोस्तों आप चाहे तो अपने साथ एक पानी की बोतल भी रख सकते है यहाँ सामने की तरफ ही आपको पानी भरने के लिए वाटर कूलर की भी व्यवस्था की गयी है।
इसके आलावा यही पर आपको शौचालय की भी व्यवस्था की गयी है जो की पूर्णतः निःशुल्क है। खैर आगे बढ़ते है। आगे बढ़ने पर हमे सारनाथ संग्रहालय के दोनों तरफ पानी के फव्वारों ने हमारा मन मोह लिए और साथ ही हरी भरी घास को देखकर वहां बैठने का भी मन किया लेकिन यहां बैठने नहीं दिया जाता है।
गॉर्ड साहब बराबर पर्यटकों को देख रहे थे और मैदान में प्रवेश करने को मना भी कर रहे थे। संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर ही आपको करीब 9 से 10 फ़ीट ऊँचा अशोक पिलर देखने को मिलेगा जिसपर चक्र के साथ साथ चरों तरफ हाथी, घोडा, बैल और शेर की तस्वीरें बहुत ही खूबसूरती के साथ उन्केरी गयी थी।
यह अशोक पिलर 272-2332 BCE का है। इस संग्रहालय में प्रवेश के बाद आपको दो गैलरी देखने को मिलेगी। इन दोनों ही गैलरी में भगवान् गौतम बुद्ध जी से सम्बंधित वस्तुएं दिखलाई देंगी।
गैलरी में प्रवेश से पहले ही आपको एक बड़ी सी बोधिसत्व जी की प्रतिमा के दर्शन होंगे साथ ही एक बड़ी सी छतरी (लगभग 9-10 फ़ीट) दिखलाई देगी। बोधिसत्व जी यह प्रतिमा 2nd सदी की है। यह मूर्ति बालू पत्थर से बनायीं गयी है जिसकी खूबसूरती आज भी बरक़रार है।
आगे बढ़ने पर हमें एक बड़ी सी भाषायी विकास की एक टेबल देखने को मिली जिसपर हमारी भाषा हिंदी की लिपि यानी देवनागरी के विकास को दिखलाया गया है।
देवनागरी लिपि का विकास सम्राट अशोक से लेकर विजयनगर साम्राज्य यानी की राजा कृष्णदेवराय तक के काल तक गया है। इस भाषायी टेबल पर एक बात काफी रोचक लगी। दरअसल में इस भाषायी टेबल पर लगभग 9 हिंदी के अक्षर नहीं थे जो की वर्तमान में हिंदी भाषा में देखते है।
यह हिंदी अक्षर इस प्रकार से है – ऊ, ऐ, औ, अं, अः, ङ, क्ष, त्र, एवं ज्ञ। आप भी यदि इस सग्रहालय में जायेंगे तो इन चीजों को जरूर ध्यान से देखें। आगे बढ़ने पर हमें गौतम बुद्ध जी की अभय मुद्रा में मूर्ति देखने को मिली। इस मूर्ति को देखकर हम खो से गए थे। यह मूर्ति काफी आकर्षक लगी।
इसके आलावा एक चीज जो मुझे सबसे आकर्षक लगी और वो थी तारा नामक मूर्ति। दोस्तों क्या आप तारा नाम से किसी को जानते है जो भगवान् गौतम बुद्ध जी से सम्बंधित हो या फिर उस काल से सम्बंधित हो ? कमेंट में जरूर बताएं।
हमें इस मूर्ति के बारे में ज्यादा तो जानकारी तो नहीं मिली लेकिन इस मूर्ति के निर्माण काल के बारे में जरूर जानकरी मिली। इस मूर्ति को 11 सदी के दौरान बनाया गया था।
इसके आलावा इस सारनाथ संग्रहालय में सिद्धकबीर, मैत्रेयि, सवार युक्त व्याल, वसुंधरा इत्यादि खूबसूरत मूर्तियां देखने को मिली। मूर्तियों के आलावा हमें कुमारदेवी जी की अभिलेख को देखने को मिली।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए हमें और भी अधिक रोचक जानकरियां देखने को मिली। जगह जगह दीवारों पर हमे बुद्ध जी सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को देखने को मिला। बौद्ध धर्मावलम्बियों के अनुसार हमारा संसार – संज्ञा, विज्ञान, वेदना, रूप एवं संस्कार इत्यादि चीजों से मिलकर बना है।
इसके आलावा हमें 5 प्रमुख ध्यानी रूपों के बारे में जानकारी मिली। यह रूप इस प्रकार है –
- अमिताभ
- अक्षोभ्य
- बैरोचन
- अमोघसिद्धि एवं
- रत्न संभव
गैलरी के सबसे अंत में हमे शुद्ध सोने से बने आभूषणों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन आभूषणों को म्यानमार से 31-05-1990 को भारत लाया गया था और साथ ही इन्हे इस संग्रहालय में सम्मान पूर्वक रखा गया था।
इन आभूषणों में गले के हार वाली आभूषण काफी रोचक लगी। इसके आलावा यहाँ मंद आवाज में बुद्धम शरणम गच्छामि मंत्र का उच्चारण भी किया जा रहा था।
इस भ्रमण के दौरान हमे बुद्ध जी के कालावधि के दौरान प्रयोग में लाये गए प्रमुख औजारों की भी जानकरी मिली। इन प्रमुख औजारों में कुल्हाड़ी, चाक़ू, एवं तीर धनुष भी देखने को मिली। खैर हमारी यात्रा पूरी हुयी और भगवान् बुद्ध जी को समर्पित वस्तुओं को देखकर धन्य महसूस किया।
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सारनाथ संग्राहलय की स्थिति [Sarnath museum location]
निष्कर्ष [Conclusion]
दोस्तों, सारनाथ स्थित इस संग्रहालय में रखी वस्तुएं बुद्ध धर्म के विकास को चरणबद्ध तरीके से दर्शाती है। इन प्राचीन वस्तुओं में आपको गौतम बुध जी एवं सम्राट अशोक से सम्बंधित चीजे देखने को मिलेगी।
इन प्राचीन धरोहरों को जानने के लिए आपको इस संग्रहालय जरूर जाना चाहिए। यदि आपको इन वस्तुओं एवं आकृतियों के बारे में और भी विस्तारपूर्वक जानना हो तो आप टूर गाइड की मदद भी ले सकते है। वह इन चीजों के बारे में आपको और भी अच्छे से एवं विस्तारपूर्वक जानकारी दे पाएंगे।
तो दोस्तों कैसे लगा आज का यह आर्टिकल। कमेंट सेक्शन में अपना एक्सपीरियंस जरूर साझा करें। इसके आलावा यदि आपके मन में भगवन गौतम बुद्ध जी एवं उनसे सम्बंधित वस्तुओं के बारे में किसी भी प्रकार का प्रश्न हो तो उसे कमेंट सेक्शन में जरूर पूछें।
धन्यवाद !
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सवाल जवाब [Some FAQ]
सारनाथ संग्रहालय भगवान् गौतम बुद्ध जी को समर्पित है।
इस संग्रहलाय में बौद्ध धर्म से सम्बंधित आभूषण अभिलेख एवं मूर्तियां है।
टिकट शुल्क मात्र 5 रूपये है
जी हाँ
नहीं
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जी हाँ
जी हाँ
जी हाँ