1. संकट मोचन मंदिर , BHU
संकट मोचन मंदिर ( sankatMochan mandir ) उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है ।
यह मंदिर हिन्दुओ के प्रिय आराध्य पवनपुत्र हनुमान जी का है।
यह मंदिर वानरों का घर है इसी कारण इस मंदिर को वानर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है ।
संकट मोचन का शाब्दिक अर्थ होता है – दुखों को हरने वाला।
ऐसी मान्यता है की जो कोई भी भक्त किसी भी दुःख से ग्रसित होता है यदि वह एक बार हनुमान जी के दर्शन कर ले तो उतने मात्रा से ही उसका उद्धार हो जाता है।
पवनपुत्र हनुमान अपने भक्तो के सारे कष्टों को हर लेते है।
2. SankatMochan Temple Timing
Opening Time | Early morning = 4.00 A.M |
Closing at afternoon | 2 P.M = 3 P.M |
Closing Time | Night = 12.00 P.M |
3. संकट मोचन मंदिर Location (स्थान)
संकट मोचन मंदिर ( sankatMochan mandir ) दुर्गाकुंड एवं BHU ke के मध्य में स्थित मंदिर है ।
यह मंदिर पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों के लिए पुरे बनारस में प्रख्यात (Famous) है ।
संकट मोचन मंदिर ( sankatMochan mandir ) location है –
4. संकट मोचन मंदिर History | इतिहास
संकट मोचन मंदिर की आधारशिला प्रसिद्द गोस्वामी तुलसीदास ने रखी थी। इन्होने ने ही प्रसिद्ध रामचरित मानस की रचना की थी।
ऐसा माना जाता है की जिस जगह पर तुलसीदास जी ने इस मंदिर की आधारशिला रखी उन्हें यही पर स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए थे।
इस मंदिर का पुनर्निर्माण BHU के संस्थापक मदन मोहन मालवीय जी ने सन 1900 में करवाया था।
संकट मोचन मंदिर का सञ्चालन एवं देखरेख एक संस्था करती है, इसका नाम है – संकट मोचन फाउंडेशन ( SankatMochan Foundation ) .
इस संस्था की स्थापना वर्ष 1982 में मंदिर के महंत श्री वीरभद्र मिश्रा जी ने की थी।
4.1 Donate money
यदि आप संकटमोचन मंदिर को दान देना चाहते है तो आप संकट मोचन फाउंडेशन के website पर जाकर Donate कर सकते है।
4.2 Goswami Tulsidas | गोस्वामी तुलसीदास
गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तरप्रदेश के राजपुर ( चित्रकूट ) में हुआ था।
इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता जी का नाम हुलसी था।
जमते समय बालक तुलसीदास रोये नहीं बल्कि उनके मुख से ” राम “ शब्द निकला। उनके मुख में 32 दांत मौजूद थे।
इसप्रकार के अध्भुत बालक को देखकर माता पिता दोनों ही अमंगल की शंका से भयभीत हो गए।
बालक की आशंका से उनकी माता ने अपनी दासी( चुनियाँ ) के ससुराल पंहुचा दिया। चुनियाँ ने उस बच्चे का बड़े ललन पालन के साथ बड़ा किया ।
जब तुलसीदास 5 वर्ष के हुए तब दासी चुनियाँ का भी देहांत हो गया । अब वह अनाथ हो गए थे. 1573 में उनका विवाह हुआ । –
एक बार उनकी स्त्री अपने भाई के सात मायके चली गयी पीछे पीछे तुलसीदास भी जा पहुंचे ।
तब उनकी पत्नी ने इस बात पर धिक्कारा और कहा की –
मेरे इस हांड मांस के शरीर में जितनी तुम्हारी आसक्ति है उससे यदि आधी भी यदि भगवान में होती तो तुम्हारा बेडा पर हो गया होता “
तुलसीदास जी को यह बात लग गयी और वह काशी पहुचें.
संत तुलसीदास एक प्रसिद्द रचनाकार थे। दक्षिण भारत से आये भक्ति आंदोलन के फलस्वरूप उत्तर भारत में इन्होने भी अपना योगदान दिया।
गोस्वामी तुलसीदास जी जब रामचरितमानस लिख रहे थे तो उन्होंने एक प्रसिद्ध चौपाई लिखी ।
वह चौपाई इस प्रकार है –
सियाराममय सब जग जानी ||
करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ||
Meaning | अर्थ
पुरे संसार में प्रभु श्रीराम जी का निवास है सभी चीजों में भगवन बसे है और हम उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करते है।
4.3 Sant Tulsidas composition | रचनाएँ
संत तुलसीदास ने अपना सम्पूर्ण जीवन प्रभु श्रीराम के चरणों में अर्पित कर दिया था। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है –
- श्रीरामचरित मानस
- विनय पत्रिका
- दोहावली
- कवितावली
- हनुमान चालीसा
- वैराग्य संदीपनी
- जानकी मंगल
- पारवती मंगल. इत्यादि |
4.4 Ramcharit Manas | रामचरित मानस
रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने बड़े ही भावुकता से प्रभु श्रीराम की उपासना करते हुए उनका वर्णन किया है।
यह महाकाव्य अवधि भाषा में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित एक महान रचना मानी गयी है।
श्री रामचरित मानस पुरे भारत में बड़े ही प्रेम से पढ़ी जाती है। शरद नवरत्रि में सुन्दरकाण्ड का 9 दिनों तक पाठ किया जाता है।
श्रीरामचरित मानस प्रभु श्रीराम के मर्यादारूपी एवं उनके पुरुषोत्तम रूप को दर्शाया गया है।
श्रीरामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदास जी ने सात भागो में विभाजित किया है जिसे सात काण्ड के नाम से भी जाना जाता है –
बालकाण्ड | अयोध्या एवं चारो भाइयों का बचपन |
अयोध्याकाण्ड | श्रीराम का विवाह एवं कैकेयी द्वारा वनवास की मांग |
अरण्यकाण्ड | वनवास एवं माता सीता का रावण द्वारा अपहरण |
किष्किन्धाकाण्ड | हनुमान एवं सुग्रीव से मिलन |
सुन्दरकाण्ड | माता सीता की खोज |
लंकाकाण्ड | रावण वध एवं श्री राम सीता मिलन |
उत्तरकाण्ड | लव कुश का जन्म , माता सीता की अग्नि परीक्षा , श्रीराम का जल समाधी |
4.5 lanka kaand | लंका कांड
प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण में लंका कांड के दौरान जब हनुमान जी अशोक वाटिका में माँ सीता की खोज कर रहे थे ।
तब उस दौरान उनकी नजर एक कालकोठरी में बंद एक व्यक्ति पर पड़ी जो की चमगादड़ की भांति उल्टा लटका हुआ था ।
हनुमान जी उस व्यक्ति को नीचे उतारा और प्रणाम किया और पूछा की प्रभु आप कौन हैं ?
हनुमान जी की आदर देखकर उस व्यक्ति ने कहा की मैं शनिदेव हूँ और दुष्ट रावण ने उन्हें कैद करके रखा है।
शनिदेव जी ने वचन दिया की वह रावण के विनाश के लिए अहम् भूमिका निभाएंगे।
4.7 Black day of SankatMochan Temple
संकट मोचन मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर 7 मार्च 2006 की रात को भक्तगण जब हनुमान जी एवं प्रभु श्रीराम जी की आराधना कर रहे थे तभी उसी समय मंदिर में आतंकवादी हमला हुआ था।
यह हमला काफी भीषण था पर अगले ही दिन भक्तगण मंदिर में एक बार फिर से दर्शन के लिए आने लगे ।
मंदिर की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी एवं अन्य sequrity को फिर से दुरुस्त किया गया।
संकटमोचन पर आतंकवादी हमले की जानकारी यहां मिल जाएगी –
4.8 parking facilities | पार्किंग
मंदिर परिसर के बाहर ही आपको पार्किंग की सुविधा भी मिलेगी साथ ही नगर निगम की parking की सुविधा भी मिलेगी।
5. Lets take a walk | आइये सैर करें
हमारी यात्रा शुरू होती है कैंट रेलवे स्टेशन से । स्टेशन से हम सीधे दुर्गाकुंड पहुंचे यही पास ही में लगभग 500m की दुरी पर स्थित है संकट मोचन मंदिर
मंदिर में प्रवेश के पहले आप यदि कार बाइक इत्यादि से आये है तो आप मंदिर के बाहर स्टैंड में अपना vehicle पार्क कर सकते है ।
उसके बाद आप अपना पर्स और मोबाइल जमा करवाकर ही आप मंदिर में प्रवेश पा सकते है ।
मंदिर में प्रवेश करते ही आपको ढेर सारे बंदरों की फ़ौज देखने को मिलेगी जो की चारों तरफ उछल – कूद करते है।
मंदिर परिसर में ही आप प्रसाद ले सकते है। यहाँ का प्रसाद खासकर “पेड़ा” हमें बेहद पसंद आया ।
हाथों एवं पैरों को धोकर हमने प्रसाद लिया और हनुमान जी के दर्शन को चले । हनुमान जी की मूर्ति मिटटी की बानी हुयी है ।
हनुमान जी हाथ जोड़े प्रभु श्रीराम जी की और खड़े है ।
मंदिर परिसर में आपको हनुमान चालीसा भी मिलेगी जो की निःशुल्क है । हमने मंदिर की परिक्रमा की और एक चबूतरे पर बैठकर हनुमानचालीसा पढ़ी।
cantt railway station | 10.5 km |
Sigra | 5 km |
BHU | 1.6 km |
Sarnath | 15 km |
Babatpur Airport | 29.5 km |
6. संकट मोचन मंदिर की स्थापत्य कला | Architecture
उत्तर भारत के अन्य मंदिरों की भाँती संकटमोचन मंदिर ( sankat mochan mandir ) भी नागर एवं द्रविड़ शैली के मिश्रण से बना है।
7. Experience / अनुभव
हमारा अनुभव काफी शानदार रहा। हनुमान जी दर्शन करके मंदिर परिसर में ही हमने हनुमान चालीसा पढ़ी।
मंदिर परिसर में एक बड़ा सा बरगद का वृक्ष भी है जहाँ पर लोग धागा भी बाँध रहे थे ।
खैर यह मेरा अनुभव रहा , आपका अनुभव कैसा रहा comment करके जरूर बताएं । धन्यवाद |
8. How to reach | कैसे पहुंचे
8.1 By Road / सड़क द्वारा
वाराणसी शहर राष्ट्रीय राजमार्ग -2 से लगभग सभी छोटे एवं बड़े शहर एक दूसरे से जुड़े हुए है।
यदि आप बनारस में रहते है तो आप सीधे BHU ke के लिए आइये और यही पास ही में स्थित है – संकट मोचन मंदिर (sankatmochan mandir)।
ज्यादा जानकारी के लिए आप google बाबा से संपर्क कर सकते है.
8.2 By Air / वायु मार्ग
आप देश में कही पर भी रहते हो , वाराणसी आने के लिए आपको बाबतपुर हवाई अड्डे तक आना पड़ेगा ।
यहाँ से फिर बस या ऑटो से आप बनारस के लिए आ सकते है । Toll free no – 0542-2623060 एवं 0542-2622155
8.3 By Train / ट्रेन द्वारा
संकट मोचन मंदिर (sankatmochan mandir) घूमने के लिए आपको सीधे वाराणसी जंक्शन ( cantt railways station )पर आना होगा ।
वाराणसी जंक्शन लगभग सभी बड़े एवं छोटे शहरो एवं महानगर से जुड़ा हुआ है ।
वाराणसी जंक्शन पर आने के बाद आप ऑटो से सीधे BHUआ जाइएगा । यही पास ही में स्थित है संकटमोचन मंदिर।
9. Hotels and lounge
संकट मोचन मंदिर हो या वाराणसी केGhats । आप किसी अच्छे होटल या lounge की तलाश में है तो आप कुछ जगह checkout कर सकते है ।
Hotel Utsav Residency | |
Hotel yash Residency near Assi ghat and BHU | |
Banjara House | |
Moustache Hotels | |
Hotel Ganesh |
10. Some Queries | सवाल जवाब
- मंदिर में आरती का समय होता है – ४ बजे
- हनुमान जयंती सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है इस बार यह आयोजन होगा – २७ अप्रैल .
- मंदिर में प्रतिदिन कीर्तन होता है.
- मोबाइल पर्स कैमरा और अन्य किसी भी प्रकार की वस्तुएं नहीं ले जा सकते है .
- प्रसाद की व्यवस्ठा मंदिर परिसर में ही है .