सास-बहु मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sasbahu temple Gwalior

दोस्तों हमारे देश में मंदिरों का प्राचीन इतिहास रहा है। ये मंदिर ना सिर्फ भारतीय संस्कृति को दर्शाते है बल्कि ये वास्तुकला के अद्भुत दर्शन भी करवाते है।

मंदिरों के विकास में गुप्तकाल के राजाओं ने काफी योगदान दिया। गुप्तकाल के दौरान हुए कला और संस्कृति के विकास ने उन्हें मंदिरों के निर्माण में एक अभूतपूर्व उपलब्धि दिलाई।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है ग्वालियर स्थित सास-बहु मंदिर के दर्शन करने। उम्मीद है आपको यह पसंद आएगा।

1. सास बहु मंदिर का इतिहास [Saas bahu temple Gwalior , Rajasthan history]

सास-बहु मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है।

यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण वर्ष 1093 में कच्छपघाट राजवंश के राजा महिपाल जी द्वारा किया गया था। यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।

सास-बहु मंदिर को सहस्त्रबाहु मंदिर एवं हरिसदानाम मंदिर इत्यादि नामो से भी जाना जाता है।

सास-बहु नाम से एक और मंदिर का उल्लेख हमें राजस्थान के नागदा गांव में मिलता है।

सास-बहु मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sasbahu temple Gwalior

राजस्थान के इस प्रसिद्ध मंदिर को भी सहस्राबाहु मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भी भगवान् विष्णु जी को समर्पित है।

असल में सास-बहु मंदिर दो अलग-अलग मंदिर है, जिसमे बहु मन्दिर एक खँडहर की भांति खड़ा है वही सास मंदिर कुछ आमूलचूल परिवर्तन के साथ विभिन्न हालत के बीच अपना सामंजस्य बनाये हुए है।

ग्वालियर स्थित सास-बहु मन्दिर के बारे में एक रोचक कथा है।

कहते है की महाराजा महिपाल जी की पत्नी भगवान विष्णु जी की परम भक्त थी इसलिए राजा जी ने भगवन विष्णु जी के सम्मान में मंदिर का निर्माण करवाया।

वक्त बीतने के साथ-साथ जब महाराजा महिपाल जी का पुत्र विवाह योग्य हुआ। तब राजा जी राकुमार के विवाह के लिए योग्य वधु की तलाश में लग गये और जल्द ही राजकुमार का विवाह हो गया।

भावी राजकुमार की पत्नी शिव जी की भक्त थी इसलिए उन्होंने विष्णु मंदिर के पास ही में शिव जी का मंदिर भी निर्मित करवाया।

चूँकि इन मंदिरो को सास और बहु के द्वारा बनाया गया था इसलिए इसका नाम सास-बहु मंदिर पड़ा।

इस मंदिर को अंग्रेजी में Mother-in-law-Temple और Daughter-in-law-Temple के नाम से भी जाना जाता है।

स्थानीय लोग इस प्रकार के मंदिरों को जुड़वाँ मंदिर के नाम से सम्बोधित करते है।

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2. सास बहु मंदिर की स्थापत्य कला [sas bahu temple architecture]

सास बहु मन्दिर एक तीन मंजिला मंदिर है।

लगातार युद्धों में परिणत होने के कारण इस मंदिर का शिखर और गर्भगृह नष्ट हो चूका है।

इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए राज्य सरकारों द्वारा उचित प्रबंध ना करने के कारण यह अपनी अंतिम अवस्था को प्राप्त होता दिख रहा है।

लेकिन एक ख़ुशी की बात यह है की इस मंदिर के स्थापत्य कला और वास्तुकला और संरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन आप ज्यादा उम्मीद न रखें।

सास-बहु मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sasbahu temple Gwalior

बात करें इस मंदिर के निर्माण परियोजना और इसके आकार की तो हमें पता चलता है की इसका जगती मंच जिस पर मंदिर की नीव रखी गयी है वह लगभग 30 मीटर की लम्बाई और चौड़ाई में बनाया गया था।

इतने लम्बे और चौड़े चबूतरे का इस्तेमाल करना वाकई अपने आप में एक बेहतरीन Engineering का नमूना है।

कुछ प्रमुख इतिहासकारों की माने तो इस मंदिर के निर्माण में उत्तर भारतीय भूमिजा शैली का प्रयोग किया गया था।

असल में भूमिजा शैली, वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है। इस शैली में मनको [ छोटे छोटे मोती या रुद्राक्ष ]की भांति छोटे-छोटे शिखरों का निर्माण किया जाता है।

यदि आप इस शैली के बारे में और भी अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे साथ बने रहिये।

इस मंदिर में प्रवेश के लिए मुख्यतः तीन द्वार बनाये गए है, जो तीन दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते है।

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर के गर्भगृह तक बेहतरीन नक्काशी की गयी है।

गर्भगृह में भगवान विष्णु जी की प्रतिमा के साथ उनके बगल में ही ब्रह्मा जी की वेद लिए हुए प्रतिमा उपस्थित है वही विष्णु जी के बायीं और भोले-भंडारी हाथ में त्रिशूल लिए मुस्कुरा रहे है।

इसके साथ ही साथ मंदिर की दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु और माँ सरस्वती जैसे देवी-देवताओं के चित्र को उकेरा गया है।

मंदिर के स्तम्भों पर भी हमें वैष्णव और शिव सम्प्रदाय से सम्बंधित बेहतरीन नक्काशीदार प्रतिकीर्ति दिखलाई पड़ती है।

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2.1 भूमिजा शैली [Bhumija shaili]

भूमिजा शैली वास्तुकला की वह शैली है जिसका प्रयोग अधिकतर मंदिरों के निर्माण में ही हुआ है।

इस शैली का प्रयोग अधिकतर उत्तर भारत के प्रमुख क्षेत्रों में दिखलाई पड़ता है। या यूँ कहें की इस शैली की जन्मदाता उत्तरभारत ही है।

इस शैली का प्रयोग हमें अधिकतर मंदिर के गर्भगृह के ऊपरी हिस्से यानी की शिखर पर दिखती है। इसमें शिखर को एक वृत्त की आकार में बनाया जाता है।

जिस सिद्धांत का प्रयोग करके इस शिखर का निर्माण किया जाता है उसे हम The-Rotating-Square-Circle-Principle के नाम से जानते है।

इतिहासकारों की माने तो इस शैली के जन्मदाता परमार राजवंश थे।

उन्होंने ने ही इस शैली का प्रयोग मध्य भारत और उत्तर पूर्व भारत के कुछ प्रमुख मंदिरों के निर्माण के लिए किया था।

इस शैली में निर्मित मंदिरो और ऐतिहासिक इमारतें हमें राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश के कुछ चुनिंदा हिस्सों में ही दिखलाई पड़ता है।

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3. अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place near to me]

दोस्तों यूँ तो ग्वालियर शहर ही एक पर्यटन स्थल है। लेकिन आज हम उन चुनिंदा पर्यटन स्थलों को जानेंगे। यह जगहें इस प्रकार है –

  • ग्वालियर का किला
  • जय विलास पैलेस
  • सास बहु मंदिर
  • तेली का मंदिर
  • मान सिंह पैलेस
  • तानसेन का मकबरा

4. परिवहन सुविधा [How to reach sas bahu temple]

सास बहु मंदिर के सबसे नजदीक ग्वालियर रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन से मंदिर के बीच की कुल दुरी लगभग 2 – 3 किमी है।

यदि आप हवाई जहाज का प्रयोग करके आना चाहते है तो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है – ग्वालियर हवाई अड्डा

4.1 कब जाएँ

वैसे तो सास बहु मंदिर वर्ष भर खुला ही रहता है लेकिन यदि आप इस मंदिर की भव्यता और खूबसूरती से रूबरू होना चाहते तो आप फरवरी महीने से लेकर अप्रैल तक आ सकते है।

इस समय आने पर आपको प्रकृति के कुठाराघात का आभास नहीं होगा और तो और आप अच्छे से अपने सफर को आनंददायक बना पाएंगे।

वही इस मन्दिर को घूमने में आपको लगभग 1 घंटे का समय लग जायेगा। यदि आप वास्तुकला प्रेमी है तब तो शायद आपको घंटे भी कम पड़ जाये।

5. सास बहु मन्दिर की फोटो [Sas bahu temple photo]

6. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों ग्वालियर स्थित सास बहु मंदिर एक अनोखी वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है। इसे हम भूमिजा शैली के नाम से जानते है।

कहते है की इस प्रकार की कला शैली का प्रयोग इतना अनूठा और पेचीदा था की जिसका प्रयोग परमार राजवंशो के बाद गिने चुने राजा ही करवा पाए।

सास-बहु के मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Sasbahu temple Gwalior

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संभालकर रखना हमारी जिम्मेदारी होती है लेकिन उतनी ही जिम्मेदार हमारे द्वारा चुनी गयी सरकारों का होता है।

हमारे देश में ना जाने कितने ही प्राचीन इमारते आज भी लोगों के संपर्क में नहीं है, कुछ को बचाया गया लेकिन, बहुतों को हमने गवां भी दिया।

यदि आप इस आर्टिकल के अंतिम चरण तक पहुंचे है तो निश्चित ही आप एक वास्तुकला प्रेमी हैं और आपको ऐतिहासिक इमारतों में काफी रूचि है।

कमेंट बॉक्स में आप अपने क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जरूर बताएं ताकि हम इस वेबसाइट की माध्यम से आपके शहर और क्षेत्र के ऐतिहासिक इमारतों को लोगो के सामने प्रस्तुत कर सकें।

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7. सास बहु मंदिर की लोकेशन [Sas bahu temple location]

Credit : wildfilmsindia / YouTube

7. सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा सास-बहु मंदिर के बारे में अनेक सवाल पूछे गए है।

इनमे से कुछ सवालों के जवाब हमने हमने इस आर्टिकल में प्रस्तुत किया है उम्मीद है आपको पसंद आएगा।

यदि आपके मन में इस मंदिर से सम्बंधित कोई भी प्रश्न हो तो बेझिझक पूछें।

1. सास बहु मंदिर कहाँ पर है ?

सास-बहु मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है।

2. भारत में कितने सासबहू मंदिर है ?

भारत में कुल दो ही सास-बहु मंदिर है जिनमे एक मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित है वही दूसरा राजस्थान के नागदा में स्थित है।

3. नजदीकी रेलवे स्टेशन का नाम बताएं ?

ग्वालियर रेलवे स्टेशन

4. नजदीकी हवाई अड्डा का नाम बताएं ?

ग्वालियर हवाई अड्डा

5.सास बहु मंदिर के निर्माण किस राजा ने करवया था ?

इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1093 में कच्छपघाट राजवंश के राजा महिपाल जी द्वारा किया गया था।

6. सास बहु मंदिर किस देवता को समर्पित है ?

यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।

7. क्या यह एक ऐतिहासिक धरोहर है ?

नहीं सास बहु मंदिर ऐतिहासिक धरोहर नहीं है।

8. सास-बहु मंदिर को किस वास्तुकला का प्रयोग किया गया था ?

इस मंदिर के निर्माण में भूमिजा कला शैली का प्रयोग किया गया था।

9. मंदिर में प्रवेश का समय बताइये ?

यह मंदिर सुबह के 8 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है।

10. सास-बहु मंदिर को और किन नामो से जाना जाता है ?

सास-बहु मंदिर को सहस्त्रबाहु मंदिर एवं हरिसदानाम मंदिर इत्यादि नामो से भी जाना जाता है।

8. सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

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