Konark sun temple Odisha | कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला

हमारे देश में सूर्य को एक भगवान के रूप में पूजा जाता रहा है। उनके सम्मान में मंदिरों का निर्माण प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है।

सूर्य मंदिर के निर्माण का सीधा सा अर्थ यह है की हमारे प्राचीन ग्रंथो में जैसे की वेदों एवं पुराणों में भगवान सूर्य का काफी महत्व रहा है इसीलिए उन्हें ग्रहों का देवता माना गया है।

भगवान सूर्य जब चलते थे तो उनके रथ में सात घोड़े जूते हुए होते थे जो साथ सप्ताह को सम्बोधित करते है।

यदि आपको ध्यान हो की महाभारत में भी देवी कुंती को एक पुत्र पैदा हुआ था, तो उन्होंने लोक लाज से बचने के लिए उस बालक को एक टोकरी में बहा दिया था जिसे दुर्योधन के एक सारथि यानी घोड़ो की देखभाल करने वाला ने देखा और उस बच्चे को भगवान का परोपकार मानकर उसका पालन-पोषण किया।

जी हाँ आप सही सोच रहे है। उस बालक को सूतपुत्र कर्ण के नाम से जाना जाता है।

लेकिन आप लोग बोलेंगे की बात तो सूर्य की हो रही है और बता कर्ण की रहे हो, तो मैं आपको बता दूँ की देवी कुंती ने जिसे जन्म दिया था असल में उन्हें एक ऋषि ने वरदान दिया था की वह जिस भी भगवान का आह्वाहन करेंगी तो उन्हें उनके जैसा ही पुत्र की प्राप्ति होगी।

चूँकि देवी कुंती उस समय इस वरदान का परीक्षण करना चाहती थी इसलिए उन्होंने भगवान सूर्य का आह्वाहन किया और उन्हें उन्ही के जैसा पुत्र प्राप्त हुआ।

लेकिन वह नाबालिग थी , और लोक लाज के भय के कारण उन्होंने उस बालक को एक टोकरी में भरकर उसे नदी में बहा दिया था।

तो इस प्रकार हम देखते है की भगवान सूर्य का हमारे भारतीय इतिहास में काफी महत्व रहा है। उनके महत्व को देखते हुए ही कई राजाओं ने उनके सम्मान में सूर्य मंदिरों का निर्माण किया था।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है उड़ीसा राज्य में स्थित एक ऐसे ही सूर्य मंदिर के दर्शन करने जिसे कोणार्क का सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

1. कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास [konark temple history in hindi]

कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के कोणार्क नामक शहर में स्थित है। यह भगवान सूर्य को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है।

इस मंदिर की स्थापना दक्षिण भारत के महानतम राजवंशों में से एक पूर्वी गंग राजवंश के प्रसिद्ध राजा नरसिंह देव प्रथम ने वर्ष 1250 में करवाया गया था।

यह मंदिर अपनी वास्तुकला और विज्ञान के क्षेत्र में अद्भुत कार्य रखने के कारण ना सिर्फ भारतवर्ष बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है।

यह मंदिर चंद्रभाग नदी के तट पर स्थित होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्व है।

यहाँ के स्थानीय निवासी सूर्य देव को बिरंची नारायण के नाम से पुकारते है।

यह सूर्य भगवान के 7 घोड़ो के साथ एक रथ के रूप में एक मंदिर है। जिसे हम सूर्य देव का रथ मंदिर के नाम से जानते है।

साथ ही इस मंदिर को यूरोपियन्स ब्लैक पैगोडा के नाम से पुकारते है।

इस मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में रखा गया था। वर्त्तमान में इस मंदिर की देखरेख का कार्य भारतीय पुरातत्विद विभाग करती है।

इसे पढ़ें : मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला

1.1 पूर्वी गंग राजवंश [Eastern Ganga Dynasty]

पूर्वी गंग राजवंश भारत का एक प्रसिद्ध राजवंश था जिसने एक समय पर पूर्वी और दक्षिणी भारत के महत्वपूर्ण जगहों या राज्यों पर अपना कब्ज़ा स्थापित किया था। इन्होने अपनी राजधानी कलिंग बनायीं थी।

कलिंग से आपको एक बात याद आ रही होगी की यह वही कलिंग था जिस पर कब्ज़ा करने के पश्चात् सम्राट अशोक ने अपना धर्म त्याग दिया और बौद्ध धर्म की और अग्रसर हुए।

उस समय गंग राजवंश का काफी वृहद् क्षेत्र पर कब्ज़ा हुआ करता था जिनमे उड़ीसा के साथ साथ पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ का क्षेत्र शामिल था।

पूर्वी गंगा वंश के शासकों के शासनकाल के दौरान लगातार हुए मुस्लिम शासकों के हमलों से अपने राज्य की रक्षा की।

लेकिन वह काफी हद तक सफल नहीं हुए नतीजा यह हुआ की इस राजवंश द्वारा बनाये गए अनेकों मंदिर इन युद्धों में ढह गए, या इन्हे मुस्लिम शासकों द्वारा लूट लिया गया था।

चूँकि यह समुद्र के किनारे पर स्थित था इस वजह से व्यापार में वृद्धी होने से यह राजवंश काफी फल-फूल रहा था।

इस वजह से इन्होने कला और संस्कृति के विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इस वंश के अंतिम शासक के रूप में राजा भानुदेव-4 का नाम आता है।

1.2 कौन थे नरसिंह देव प्रथम [Who was Narsinghdev-i]

नरसिंहदेव प्रथम पूर्वी गंग राजवंश का सबसे प्रतापी शासक था। इनका शासनकाल 1238 – 1264 तक रहा था।

इनके शासनकाल के दौरान तुर्की और अफगान मुस्लिम आक्रमणकारियों की काफी ज्यादा हमले बढ़ गए थे।

लेकिन फिर भी इन्होने हार नहीं मानी और अंत तक अपने राज्य की रक्षा अपने पिता अनंगभीम देव तृतीया की भांति की और इन सभी आक्रमणकारियों को राज्य से बाहर खदेड़ा।

इसके आलावा वह उड़ीसा के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने गजपति की उपाधि धारण की थी।

तुर्की और अफगान मुस्लिम आक्रमणकारियों से युद्ध का प्रमाण हमें कपिलाश मंदिर के एक शिलाखंड से प्राप्त होता है।

नरसिंहदेव प्रथम ने अपने शासनकाल के दौरान कोणार्क सूर्य मंदिर, कपिलाश मदिर,अनंतवासुदेव मंदिर इत्यादि प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण करवाया था।

इसके आलावा उनके ही द्वारा रायबानिया किले का भी निर्माण करवाया गया था।

2. कोणार्क सूर्य मंदिर की वास्तुकला [Konark sun temple architecture]

कोणार्क सूर्य मंदिर एक रथनुमा आकृति वाला एक मंदिर है। जिस प्रकार से एक रथ में घोड़े जुटे हुए है और उसके पीछे या सबसे अंत में बैठने का स्थान होता है।

बिलकुल इसी तरह से इस मंदिर का भी निर्माण किया गया था।

इस मंदिर में कुल 24 पहिये है जिन्हे 7 घोड़े खिंच रहे है। 12 पहिये एक तरफ और 12 पहिये दूसरी तरफ स्थित है।

कुछ पुरातत्विदों का मानना है की इस मंदिर में माध्यम से दर्शाये गए ये 24 पहिये 12 महीनो यानि एक वर्ष को बतलाते है जबकि कुछ अन्य पुरात्वविद इसे पुरे दिन के घंटे या 24 घंटे को दर्शाते है, ऐसा मानते है।

इसके साथ ही साथ इस रथ को 7 घोड़ों का एक समूह खिंच रहा है जो की सप्ताह के सात दिनों की महत्ता को दर्शाता है।

उत्तर और दक्षिण की ओर 24 नक्काशीदार पहिये हैं, जिनमें से प्रत्येक का पहिये का व्यास लगभग 3 मीटर है, इसके साथ ही साथ यहाँ पर ऋतुओं और महीनों के चक्र को नक्काशीदार के रूप में दिखाया गया है।

इस मंदिर के पहियों के बिच, मंदिर के विभिन्न हिस्सों पर कुछ महत्वपूर्ण जानवरो, सगीत्कारों और नृत्य करती हुयी विभिन्न आकृतियों के जरिये इसे सजाया गया है।

दक्षिण भारत के कई बड़े मंदिरों की तरह इसमें भी गर्भगृह, शिखर, मुख्मंडपम, सभामंडप इत्यादि जैसी चीज़ों का काफी ख्याल रखा गया था जिसे बहुत ही खूबसूरती के साथ इसमें सम्मिलित किया गया है।

इस मंदिर के सबसे ऊपरी हिस्से यानी की इसके शिखर को 19 वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ दिया गया था।

जिसे बाद में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल की सूचि में शामिल होने पर इसके अधिकांश भागों का निर्माण करने का प्रयास किया गया था।

हालाँकि यह पूरी तरह तो नहीं लेकिन एक हद तक इसमें सुधर करके इसे पूर्ववत बना लिया गया था।

बात करें मंदिर के भीतरी हिस्सों की तो हमें पता चलता है की इसमें आयताकार दीवारों का प्रयोग किया गया था।

इसके प्रवेश द्वार को नक्काशीदार संरचना के जरिए खूबसूरती से विभिन्न कलाकृतियों को उकेरा गया था, जो गंग राजवंश के दौरान हुए कला और संस्कृति के चहुँमुख विकास की गाथा सुनती है।

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2.1 कोणार्क सूर्य मंदिर में प्रवेश का समय और शुल्क [Konark sun temple ticket, timing]

कोणार्क सूर्य मंदिर सुबह 9 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक खुला रहता है। यदि आप शुक्रवार को आने की सोच रहे है तो मैं आपको बता दू की आप इस दिन मत आइये क्यूंकि इस दिन मंदिर बंद रहता है।

इस बात का ध्यान रखें और दिन का सही चुनाव करके ही मंदिर के दर्शन या पर्यटन के लिए आएं।

यदि आप एक भारतीय निवासी है या फिर विदेशी नागरिक है सभी के लिए इस मंदिर में प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। इसके आलावा पास ही में आपको अपनी बाइक या कर के लिए पार्किंग की सुविधा मिलेगी।

इसलिए निश्चिंत रहें और अपनी यात्रा का पूरा मजा लीजिये।

2.2 प्रतिक के रूप में [On the Indian currency note]

5 जनवरी 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर के ऐतिहासिक योगदान के लिए 10 रूपये के नोट पर एक चित्र उकेरा गया था।

यदि आप ध्यान से देखेंगे तो आपको उसमे इसी मंदिर का चक्र दिखाई देगा, जो इसके प्रति सम्मान को दिखाया गया है।

2.3 महोत्सव का आयोजन [Konark dance festivals]

कोणार्क के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिसंबर के महीने में पांचदिनी सांस्कृतिक नृत्य महोत्सव ( कथक भरतनाट्यम और चाउ जैसे नृत्य ) का आयोजन किया जाता रहा है।

इस नृत्य महोत्सव में ना सिर्फ दक्षिण के कलाकार भाग लेते है बल्कि इसमें उत्तर-पूर्वी राज्यों के कलाकार भी भाग लेते है और अपनी संस्कृति को लोगो के सामने दिखाने का प्रयास करते है।

जिसे देखने के लिए भारत समेत पूरी दुनिया से लोग यहाँ पर आते है।

इसके अलावा माघ के महीने में यहाँ पर चन्द्रभाग नदी में लोग स्नान करके शुद्ध होते है और एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।

3. अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place near to me]

दोस्तों उड़ीसा राज्य कई ऐतिहासिक इमारतों की स्थली रही है जहाँ पर एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है जो आपको मनोरंजन के साथ-साथ आपके ज्ञान में वृद्धि भी करेंगी।

उड़ीसा के कुछ पर्यटन स्थल इस प्रकार है –

  • श्री जगन्नाथ मंदिर
  • लिंगराज मंदिर
  • कोणार्क सूर्य मंदिर
  • उदयगिरि एवं खंडगिरि की गुफाएं
  • राजरानी मंदिर
  • बैताल मंदिर
  • मुक्तेश्वर मंदिर

4. परिवहन सुविधा [How to reach Konark sun temple]

सड़क परिवहन राज्य सरकार द्वारा बसें चलायी जाती है
नजदीकी रेलवे स्टेशन मालतीपुरम रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा बीजू पटनायक हवाई अड्डा
Credit : Doordarshan India / YouTube

6. कोणार्क सूर्य मंदिर की फोटो [Konark temple wallpaper]

7. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों कोणार्क सूर्य मंदिर अपने वास्तुकला के कारण विश्वभर में अपनी प्रसिद्ध का कारण बना हुआ है।

पूर्वी गंग वंशीय राजाओं ने अपने शासनकाल के दौरान काफी युद्ध किया लेकिन उन्होंने इस दौरान कला और संस्कृति के विकास में भी काफी योगदान दिया था।

जिसका जीवंत उदाहरण हमें कोणार्क सूर्य मंदिर में दिखलाई पड़ता है।

दोस्तों यदि आप बच्चों के साथ यहाँ पर आ रहे तो उन्हें हमारे देश के प्राचीन राजवंशों और उनके वीरता को जरूर बताएं उसके साथ ही साथ उन्हें इस बात से मोटीवेट करें की वह अपनी संस्कृति से प्यार कर सकें।

इन जगहों पर ले जाने से ना सिर्फ आपके बच्चों के मानसिक विकास होगा बल्कि नए नए चीज़ों को एक्स्प्लोर करने की ललक भी पैदा होगी।

इसे पढ़ें – मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला

8. सबसे जरुरी बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

5. सवाल जवाब [FAQ]

1. कोणार्क सूर्य मंदिर कहां है ?

कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा में स्थित है। इसे पल्लव वंश के महान शासक नरसिंह देव प्रथम ने बनवाया था।

2. सूर्य मंदिर के खुलने का समय क्या है ?

सूर्य मंदिर सुबह के 8 बजे से शाम के 9 बजे तक खुल रहता है।

3. प्रवेश शुल्क के बारे में बताएं ?

कोणार्क सूर्य मंदिर में प्रवेश के लिए कोई भी शुल्क नहीं लगता है।

4. क्या यहाँ पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है ?

हां बिलकुल यहाँ पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है, आप निश्चिंत रहिये और अपनी यात्रा का पूरा मजा लीजिये।

5. क्या यहाँ पर फोटोग्राफी या विडिओ बना सकते है ?

हाँ बिलकुल यहाँ पर फोटोग्राफी या वीडियो बना सकते है, बशर्तें किसी की भावना को ठेस पहुचाये बिना।

6. कोणार्क मंदिर के बारें में बताइये ?

कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के कोणार्क नामक शहर में स्थित है। यह भगवान सूर्य को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है।

इस मंदिर की स्थापना दक्षिण भारत के महानतम राजवंशों में से एक पल्लव राजवंश के प्रसिद्ध राजा नरसिंह देव प्रथम ने वर्ष 1250 में करवाया गया था।

7. क्या यहाँ पर लेसर शो भी होता है ?

हाँ बिलकुल कोणार्क सूर्य मंदिर में लेसर शो के जरिये मंदिरों को खूबसूरती के साथ सजाया जाता है जिससे इस मंदिर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है।

मेरा मानना है की यदि आप यहाँ पर दिन में आये है तो कोशिश करें की शाम 7 बजे से 8 बजे के बिच होने वाले लेसर शो को देखने की। इसे देखने के बाद आपका वापसी का मन ही नहीं करेगा।

8. ब्लैक पैगोडा क्या है ?

ब्लैक पैगोडा असल में कोणार्क सूर्य मंदिर को ही कहते है।

चूँकि उड़ीसा एक समुद्र तटीय स्थल है इसलिए यह विदेशियों खासकर यूरोपियन के साथ काफी समय तक मेल जोल की स्थिति में रहा था इस वजह से जब भी यूरोपियन व्यापार के लिए लिए उड़ीसा आते थे तो उन्हें यह मंदिर काले रंग का दिखाई देता था। वही पैगोडा का अर्थ मंदिर होता है।

9. यह मंदिर किस भगवान को समर्पित है ?

यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है।

10. कोणार्क सूर्य मंदिर को किस आकृति में बनाया गया था ?

कोणार्क सूर्य मंदिर को रथ के आकार में बनाया गया था।

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