मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Modhera sun Temple

हमारे देश में सूर्य को एक भगवान के रूप में पूजा जाता रहा है। उनके सम्मान में मंदिरों का निर्माण प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है।

सूर्य मंदिर के निर्माण का सीधा सा अर्थ यह है की हमारे प्राचीन ग्रंथो में जैसे की वेदों एवं पुराणों में भगवान सूर्य का काफी महत्व रहा है इसीलिए उन्हें ग्रहों का देवता माना गया है।

भगवान सूर्य जब चलते थे तो उनके रथ में सात घोड़े जूते हुए होते थे जो साथ सप्ताह को सम्बोधित करते है।

यदि आपको ध्यान हो की महाभारत में भी देवी कुंती को एक पुत्र पैदा हुआ था, तो उन्होंने लोक लाज से बचने के लिए उस बालक को एक टोकरी में बहा दिया था जिसे दुर्योधन के एक सारथि यानी घोड़ो की देखभाल करने वाला ने देखा और उस बच्चे को भगवान का परोपकार मानकर उसका पालन-पोषण किया।

जी हाँ आप सही सोच रहे है। उस बालक को सूतपुत्र कर्ण के नाम से जाना जाता है।

लेकिन आप लोग बोलेंगे की बात तो सूर्य की हो रही है और बता कर्ण की रहे हो, तो मैं आपको बता दूँ की देवी कुंती ने जिसे जन्म दिया था।

असल में उन्हें एक ऋषि ने वरदान दिया था की वह जिस भी भगवान का आह्वाहन करेंगी तो उन्हें उनके जैसा ही पुत्र की प्राप्ति होगी।

चूँकि देवी कुंती उस समय इस वरदान का परीक्षण करना चाहती थी इसलिए उन्होंने भगवान सूर्य का आह्वाहन किया और उन्हें उन्ही के जैसा पुत्र प्राप्त हुआ।

लेकिन वह नाबालिग थी , और लोक लाज के भय के कारण उन्होंने उस बालक को एक टोकरी में भरकर उसे नदी में बहा दिया था।

तो इस प्रकार हम देखते है की भगवान सूर्य का हमारे भारतीय इतिहास में काफी महत्व रहा है। उनके महत्व को देखते हुए ही कई राजाओं ने उनके सम्मान में सूर्य मंदिरों का निर्माण किया था।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है गुजरात स्थित एक ऐसे ही सूर्य मंदिर के दर्शन करने जिसका काफी बृहद इतिहास रहा है। तो आइये चलते है-

1. मोढेरा सूर्य मंदिर का इतिहास [Modhera sun temple history]

गुजरात का सूर्य मंदिर जिसे हम मोढेरा सूर्य मंदिर के नाम से भी जानते है वह मोहसेन जिले में स्थित है।

यह मोहसेन जिले से 25 किमी दूर पुष्पावती नदी के किनारे पर स्थित है।

यह मंदिर चालुक्य वंशीय राजाओं ने बनवाया था। यह वंश गुजरात राज्य के सबसे शक्तिशाली राजवंशों में से एक थे।

वर्ष 2014 में इस परिसर में सम्मिलित अन्य ऐतिहासिक इमारतों को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में चुना गया था।

वर्त्तमान समय में इस मंदिर की देखरेख का कार्यभार भारतीय पुरातत्विद विभाग द्वारा किया जाता है।

जिनमे इस मंदिर की देखरेख करना, अतिक्रमण से इस ऐतिहासिक इमारत को बचाना, समय समय पर इसमें विभिन्न परियोजनाओं के जरिये इसे पुनर्जीवित रखना इत्यादि चीज़ें शामिल है।

बात करें मोढेरा सूर्य मंदिर के इतिहास की तो हमें पता चलता है की इसका निर्माण चालुक्य वंशीय राजा भीम प्रथम द्वारा किया गया था।

वर्ष 1024-25 का वह साल काफी भयानक था जब महमूद गजनी भारत को लूटने के उद्देश्य से लगातार युद्ध किये जा रहा था और उसमे काफी हद तक सफल भी होता जा रहा था।

इसी दौरान उसने मोढेरा स्थित सूर्य मंदिर को भी लूटने के लिए हमला किया लेकिन भीम प्रथम इस हमले को रोक नहीं पाया और इसमें इस युद्ध में हार गया।

जिसका परिणाम यह हुआ की उसने इस सूर्य मंदिर को लुटा और अधिकाधिक मात्रा में धन सम्पदा को लूटकर अपने देश लौट गया।

यदि आप लोगों को एक बात याद होगी की इसी समय गजनी ने विश्वप्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को भी लुटा था।

कहा जाता है की इस मंदिर की मूर्तियों को वह अपने देश में स्थित मस्जिदों की सीढ़ियों में इन पत्थरों का इस्तेमाल किया।

जो की बेहद ही शर्मनाक बात है। महमूद गजनी के वापस लौटने के पश्चात् चालुक्य राजा भीम प्रथम ने सोमनाथ मंदिर को वापस से जीर्णोद्धार करवाया और इस मंदिर को इस बार उसने पत्थरों से बनवाया।

इस बात का प्रमाण हमें भीम प्रथम के दरबारी कवि कुमारपाल द्वारा रचित पुस्तक कुमारपालचरितम में मिलता है।

1.1 चालुक्य वंश [Solanki Dynasty]

चालुक्य वंश जिसे सोलंकी राजवंश के नाम से भी जाना जाता है, इनका साम्राज्य मुख्यतः गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों तक सीमीत था।

इनकी राजधानी अन्हिलवाड़ थी, जो की आज के सन्दर्भ में बात करें तो यह जगह मध्य-प्रदेश में पड़ता है।

सोलंकी राजवंश को अनेक प्राचीन विद्वानों ने राजपूत परिवार का ही एक अंग माना था।

चालुक्य वंश का संस्थापक मूलराज को माना जाता है। सोलंकी राजाओं ने युद्ध के साथ साथ कला और संस्कृति के विकास में भी अपना योगदान दिया था।

इसके आलावा इन राजाओं का मुख्य धर्म जैन धर्म था।

भीमदेव के शासनकाल के अंतर्गत ही उसके सामंत विमलशाह ने माऊंट आबू पर दिलवाड़ा का जैन मंदिर का निर्माण करवाया था।

1.2 चालुक्य राजा भीम प्रथम [Solanki king Bhim-I]

चालुक्य वंश का सबसे प्रतापी और कला प्रेमी के रूप में राजा भीम प्रथम का नाम आता है।

उसका शासनकाल 1022 – 1064 तक रहा था। इस दौरान उसने विभिन्न क्षेत्रों को जीतकर उन्हें अपने राज्य में सम्मिलित करता है।

आज के सन्दर्भ में हम बात करें तो राजा भीम गुजरात के साथ-साथ बुंदेलखंड और राजस्थान के इलाकों तक शासन करते थे। इनेक पिता का नाम नागराज था।

इन्ही के शासनकाल में महमूद गजनी का आक्रमण हुआ था।

इस युद्ध से होने वाले नुकसान को राजा भीम रोक नहीं पाए। जिसका परिणाम हम सभी को पता है। इनकी पत्नी का नाम उदयमति था।

अपनी रानी के लिए उन्होंने प्रसिद्ध रानी की वाव नाम से एक बावड़ी बनवायी थी जो आज भी हमारे बीच चर्चा का विषय बानी हुयी है।

2. मोढेरा सूर्य मंदिर की स्थापत्यकला [ Modhera sun temple architecture]

मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण मरू-गुर्जर नामक वास्तुकला शैली में बनाया गया था।

इस वास्तुकला का विकास चालुक्य वंशीय राजाओं ने करवाया था जिसे बाद में कई राजाओं ने अपनी शैलियों के साथ समय समय पर इसे जोड़ते चले गए।

आमतौर पर इस वास्तुकला शैली का प्रयोग जैन धर्म के मंदिरो के निर्माण में काफी हुआ है।

इसी का एक उदाहरण हमें राजस्थान स्थित माउन्ट आबू पर्वत पर एक प्रसिद्ध दिलवाड़ा का जैन मंदिर मिलता है।

modhera

मोढेरा सूर्य मंदिर भी दक्षिण भारत के मंदिरों की भांति मंडप, जलाशय और कुंड इत्यादि चीज़ों को सम्मिलित किये हुए है।

इनमे कुछ इमारते क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिन्हे बाद में भारतीय पुरातत्विद विभाग एवं भारत सरकार के सहयोग से इसे वापस से खड़ा किया गया।

जैसा की हम सभी जानते है भारत में कर्क रेखा कुल 8 राज्यों से होकर गुजरती है। जिसमे गुजरात भी शामिल है।

मोढेरा सूर्य मंदिर की वैज्ञानिक महत्व को आप इस तरीके से समझ सकते है की इसे 23.6 डिग्री अक्षांश पर बनाया गया था।

चूँकि कर्क रेखा पर सूर्य की सीधी किरणे गिरती है इस वजह से इस मंदिर का निर्माण यही पर किया गया था।

अब आप लोग सोचेंगे की भला उन्हें कैसे पता की इस जगह पर सूर्य की सीधी किरणे पड़ती है।

तो मैं आपको बता दूँ की हमारा प्राचीन भारत विज्ञान में अनेकों प्रसिद्धि प्राप्त कर चूका था और निरंतर इसमें अपनी कार्यप्रणाली को पूरे दुनिया को दिखा रहा था।

जिनमे नागार्जुन, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, इत्यादि प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रमुख रूप से प्रसिद्ध थे।

आइये जानते है इस मंदिर के विभिन्न भागों को जिन्होंने इस मंदिर की वास्तुकला को अन्य राजवंशो के मंदिरों से काफी अलग किया।

मुख्यतः इस मंदिर में गर्भगृह, सभामंडप, कीर्ति तोरण, कुंड एवं गूढ़मंडप से मिलकर बनाया गया था। इनकी विशेषताएं इस प्रकार से है-

2.1 गूढ़मंडप

गूढ़मंडप का अर्थ होता है – मंदिर का वह भाग जो चारों तरफ से घिरा हुआ होता है।

यह मंदिरों के स्थापत्य कला के विकास का एक चरण होता है जिसमे गूढ़मंडप को आयताकार या वर्गाकार के रूप में बनाया जाता है।

modhera

चूंकि गूढ़मंडप एक हॉल की भांति संरचना होती है जहां पर लोग इकट्ठा होते हैं, इसे वेंटिलेशन के तौर पर प्रयोग किया जाता रहा है।

गूढ़मंडप की भीतरी दीवारें आम तौर पर सादे होते है जिनपर कोई भी चित्रकारी या फिर किसी भी प्रकार का आवरण नहीं होता है, या यूँ कहें की किसी भी अलंकरण से रहित होते हैं।

गूढ़मंडप की छतें हमेशा सपाट होती है और स्तंभों और दीवारों पर विभिन्न वास्तुकला के जरिये कई भागों में बंटीं होती है।

2.2 गर्भगृह

गर्भगृह मंदिर का वह भाग होता है जहाँ पर आराध्य या देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है। यह मन्दिर का सबसे पवित्र और सुरक्षित भाग माना जाता है।

मोढेरा सूर्य मंदिर में गर्भगृह इसके गूढ़मंडप से लगभग 11 फीट की दुरी पर स्थित है। यहाँ पर मुख्यतः दो भाग बनाये गए थे।

पुरातत्विदों का मानना है की इनमे एक भाग का प्रयोग तो आराध्य की मूर्ति स्थापित करने के लिए किया जाता था तो वही दूसरा भाग अन्न भण्डारण के लिए किया जाता था।

इन अन्न भण्डारण का प्रयोग वार्षिकोत्सव या फिर देवता की पूजा के दिन लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता था।

गर्भगृह की भीतरी भाग की वास्तुकला सादा है और इसके बाहरी हिस्सों पर विभिन्न प्रकार की चित्रकारी की गयी है जिनमे भगवान सूर्य देव की चित्रकला बनायीं गयी है।

इसके प्रवेश द्वार पर नर्तिकी के रूप में पुतले को बिठाया गया है।

गर्भगृह को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि उगते सूरज की पहली किरण और सौर पर्व के दिनों में प्रकाश सीधे मंदिर में स्थित सूर्य देव की प्रतिमा को रोशन करती है।

यह बेहद लुभावन पल होता है। इसे आप जरूर देंखे।

ग्रीष्म संक्रांति के दिन जब सूर्य का प्रकाश सीधे मंदिर के ऊपर आता है या चमकता है तो सबसे ताज्जुब की बात यह होती है की इस मंदिर की दोपहर में कोई छाया नहीं दिखाई देती है जो की इसकी बेहरीन वास्तुकला को दर्शाती है।

2.3 सभामंडप

सभामण्डप जिसे असेम्बली हाल के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर के सामानांतर एवं चतुर्भुज आकार में स्थित है।

इसमें बड़े एवं नक्काशीदार स्तम्भों के सहारे टिकाया गया है जो की तारे की संरचना का आभास कराते है।

संख्या के लिहाज से ये 52 है और सभी में नक्काशी की हुयी है।

तारे की ऐसी ही संरचना वाले एक ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण काकतिया राजा गणपतिदेव द्वारा किया गया था।

इस मंदिर का नाम है – रामप्पा मंदिर। अभी हाल ही में इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूचि में रखा है।

2.4 कीर्ति तोरण

यह मंदिर का वह हिस्सा होता है जहाँ पर नक्काशीदार स्तम्भों के जरिये इसे प्रवेश द्वार की तरह प्रयोग में लिया जाता है।

खासकर इसका ऊपरी हिस्सा दो अलग अलग स्तम्भों को एक ही जुड़ाव के जरिये इसे सबसे अलग बनता है।

2.5 कुंड

कुंड यानी वह स्थान जहां पर पानी भरा हो और लोग उसमे स्नान करते हो। मोढेरा सूर्य मंदिर में भी एक कुंड है जिसे सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है।

यह कीर्ति तोरण के सामने ही स्थित है। इसमें पानी तक पहुंचने के लिए विभिन्न सीढियाँ बनायीं गयी है और तो और इसमें प्रवेश के लिए इसका प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा की तरफ बनायीं गयी है।

वास्तुकला की बात करें तो इन्हे वर्गाकार या आयताकार संरचना में बनाया गया था।

3. मोढेरा सूर्य मंदिर में प्रवेश का समय और प्रवेश टिकट [Modhera sun temple ticket , timing]

मोढेरा सूर्य मंदिर सुबह के 8 बजे से शाम के 7 बजे तक खुला रहता है। इस दौरान यहां पर भरी मात्रा में पर्यटकों की भीड़ इकट्ठी रहती है।

यदि आप सूर्य मंदिर के वास्तुकला और उसका महत्व समझाना कहते है तो आपको सुबह या शाम के वक्त का समय सही रहेगा क्यूंकि इस दौरान सूर्य का प्रकाश उदय और अस्त होता है और इस मंदिर पर इन किरणों का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

यदि आप एक भारतीय निवासी है तो आपको 25 रूपये प्रवेश शुल्क देना पड़ेगा ।

वही यदि आप सार्क और बिम्सटेक समूह के देशवासी है तो आपके लिए प्रवेश शुल्क 50 रूपये है।

वही यदि आप एक विदेशी नागरिक है तो आपको 300 रूपये देने पड़ते है।

यदि आप ऑनलाइन प्रवेश शुल्क खरीदना चाहते है तो आपको भारतीय पुरातत्विद विभाग की वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध है।

यदि आप मोढेरा सूर्य मंदिर के बारे में इसके इतिहास और इसके ऐतिहासिक महत्व को करीब से देखना और सुनना चाहते है तो मेरा सुझाव है की आप एक गाइड कर लेवें।

यदि आपको गाइड को चुनने में कोई परेशानी हो रही है तो आप गुजरत टूरिज्म के ऑफिसियल साइट पर जाएँ और अपने मनपसंद गाइड को चुने।

चूँकि ये सभी गाइड खुद गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त किये जाते है तो आप इनके ज्ञान और अनुभव के बारे में निश्चिंत रहें।

3.1 महोत्सव का आयोजन [Modhera Dance festivals]

गुजरात सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष एक नृत्य महोत्सव का आयोजन करती है जिसे उत्तरार्ध महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

यह तीन दिवसीय नृत्य महोत्सव होता है, जिसमे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत के तमाम पर्यटक देखने के उद्देश्य से यहाँ पर आते है।

आमतौर पर यह महोत्सव जनवरी महीने के तीसरे सप्ताह में आयोजित की जाती है।

यदि आप भी इस ऐतिहासिक धरती को करीब से देखना चाहते है तो कोशिश करे की जनवरी के महीने में आये और ना सिर्फ इस मंदिर का बल्कि इस ऐतिहासिक नृत्य का भी लुफ्त उठायें।

Credit : Gujarat Tourism/YouTube

4. अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place near me]

दोस्तों गुजरात राज्य कई ऐतिहासिक इमारतों की स्थली रही है जहाँ पर एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है जो आपको मनोरंजन के साथ-साथ आपके ज्ञान में वृद्धि भी करेंगी।

गुजरात के कुछ पर्यटन स्थल इस प्रकार है –

5. परिवहन सुविधा [How to reach ]

सड़क परिवहन अहमदाबाद से मोढेरा की सूरी 101 किमी
नजदीकी रेलवे स्टेशनमोहसेन जंक्शन
नजदीकी हवाई अड्डा सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

दोस्तों आप सभी के द्वारा गुजरात स्थित मोढेरा सूर्य मंदिर के बारे में बहुत सारे सवाल पूछे गए है। इनमे से कुछ को हमने इस आर्टिकल में सब्मिट किया है और उसका जवाब दिया है।

उम्मीद है आपको हमारे द्वारा किया गया यह प्रयास अच्छा लगेगा।

यदि फिर भी आपके मन में मोढेरा सूर्य मंदिर के बारे में कोई भी सवाल हो तो उसे कमेंट सेक्शन में जरूर पूछे।

7. मोढेरा सूर्य मंदिर की तस्वीर [Modhera sun temple image]

8. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों यूँ तो भारत में कई सूर्य मंदिर स्थित है लेकिन इन सभी सूर्य मंदिरों में मात्र तीन ही ऐसे मंदिर है जिन्होंने इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाये रखी हुयी है – जिनमे मोढेरा सूर्य मंदिर, मार्तण्ड सूर्य मंदिर और कोणार्क सूर्य मंदिर शामिल है।

दोस्तों इस प्रकार से सूर्य मंदिर के निर्माण के लिए विज्ञान में महारत हासिल होना काफी महत्वपूर्ण होता है।

चूँकि जिस समय यह मन्दिर हमारे राजाओं द्वारा बनवाये गए थे तब उनके समय में उन्होंने अनेकों विद्वानों और बुद्धिजीवियों को अपने राज्य में शरण दे रखा था।

कोई भी देश तभी शक्तिशाली और महान बनता है जब उसके यहाँ पर विज्ञान नयी उंचाईओं को छूता है। इसका तत्कालीन उदाहरण आज हम जर्मनी, अमेरिका और चीन को देखते है।

यह जगहे पारिवारिक है और आप अपने परिवार के साथ निश्चित रूप से जरूर जाए और प्राचीन भारत के उन तमाम कार्य क्षेत्रों को जरूर देखे और उन्हें दूसरों को भी देखने के लिए प्रेरित करें।

इसे पढ़ें – कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला

8. मोढेरा सूर्य मंदिर की लोकेशन [Modhera sun temple map]

9. सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

6. सवाल जवाब [FAQ]

1. मोढेरा कहाँ है ?

मोढेरा गुजरात के मोहसिन जिले का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। असल में मोढेरा में ही प्रसिद्ध सूर्य मन्दिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सोलंकी राजवंशीय राजाओं ने करवाया था।

2. मोढेरा सूर्य मंदिर कहाँ स्थित है ?

मोढेरा सूर्य मंदिर कहाँ स्थित है ? मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के मोहसिन जिले में स्थित एक पर्यटन स्थल है।

3. क्या यह मंदिर राष्ट्रीय छुट्टियों के दौरान खुला रहता है ?

हाँ बिलकुल यह मंदिर राष्ट्रीय छुट्टियों के दौरान खुला रहता है।

4. क्या मोढेरा सूर्य मंदिर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल की सूचि में सम्मिलित है ?

हाँ बिलकुल वर्ष 2014 में इस परिसर में सम्मिलित अन्य ऐतिहासिक इमारतों को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में चुना गया था।

5. अहमदाबाद से मोढेरा कितने किमी की दुरी पर स्थित है ?

अहमदाबाद से मोहसिन लगभग 101 किमी है और वही मोहसिन से मोढेरा की दुरी 25 किमी है यानी यदि आप अहमदाबाद से मोढेरा आते है तो आपको कुल दुरी 126 किमी पड़ेगी।

6. क्या यहां पर फोटोग्राफी या विडिओ केलिए कोई प्रतिबन्ध तो नहीं है ना ?

आप निश्चिन्त रहें यहाँ पर आप सूर्य मंदिर की फोटो या विडिओ ले सकते है बशर्ते आप किसी की भावना को ठेस ना पहुचायें।

7. क्या यहाँ पर टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध है ?

हाँ बिलकुल यहाँ पर टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध है लेकिन आप सफाई के बारे में ज्यादा उम्मीद ना करें।

8. क्या इस जगह पर गाइड मिलेंगे जो हमें इस मंदिर के बारे में बतायेंगे ?

हाँ बिलकुल यहाँ पर कई अच्छे गॉइड मिलेंगे जो आपको मोढेरा सूर्य मंदिर के इतिहास से लेकर इसके महत्व को अच्छी तरह से बताएँगे।

इसके लिए आप गुजरत टूरिज्म के ऑफिसियल वेबसाइट पर गाइड के बारे में संपर्क कर पाएंगे।

9. भारत में कुल कितने सूर्य मंदिर है ?

भारत में कुल 3 प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है- मोढेरा सूर्य मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, कश्मीर का मार्तण्ड मंदिर

10. क्या इस मंदिर में पूजा होती है ?

नहीं इस मंदिर में पूजा नहीं होती है यह पर्यटकों के लिए एक विजिटिंग स्थान के रूप में खोला गया था।

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