khudabaksha oriental public library Bihar | खुदाबक़्श ओरियेन्टल पुस्तकालय

1. Where is Khudabaksha oriental public library

khudabaksha library भारत के सबसे प्राचीन लाइब्रेरी में से एक है। यह बिहार राज्य के पटना में स्थित है। इसकी स्थापना मौलवी मुहम्मद बक्श के बेटे खुदाबख्श द्वारा किया गया था।

मौलवी मुहम्मद बक्श को पुस्तकों से बड़ा लगाव था इसी लगाव के कारण ही उन्होंने अपने पास अनगिनत किताबे जमा कर रखी थी। उन्होंने लगभग 1400 पाण्डुलिपि यानि पुराने दस्तावेज और किताबें इकट्ठी कर रखी थी।

मौलवी साहब के देहांत के बाद उनके बेटे खुदाबख्श ने उन्ही अंतिम इच्छा को साकार करने का प्रयास किया और लगभग 80 हजार रुपयों के लागत से पुस्तकालय की स्थापना की।

इस लाइब्रेरी का उद्धघाटन 1891 में बंगाल के LG यानि लेफ्टिनेंट गवर्नर सर चार्ल्स एलिअट द्वारा किया गया। उस समय तक इस लाइब्रेरी में 4000 पुस्तके मौजूद थी जिसे हाथों द्वारा लिखा गया था।

खुदाबख्श ने अरबी फ़ारसी और अंग्रेजी की लगभग 4 हजार पुराने दस्तावेज इस पुस्तकालय में रखे हुए थे।

यहाँ पर मुस्लिम धर्म की पवित्र पुस्तक कुरान की मूल प्रतियां और हिरन की खाल पर लिखी गयी कुरानी पृष्ठ भी मौजूद है।

2. Location of Khudabaksha Library

खुदाबख्श लाइब्रेरी बिहार राज्य के पटना शहर में स्थित है।

 Address- Ashok Rajpath, Bans Ghat, Raja Ji Salai, Tripolia, Patna, Bihar 800006

3. Who was khudabaksha?

खुदाबख्श का जन्म 2 अगस्त 1842 को बिहार राज्य के सिवान में हुआ था। उनके पूर्वज मुग़ल सल्तनत की सेवा करते थे। उनका मुख्य काम किताबो को सहेजकर रखना और राज्य की जितना भी लिखा-पढ़ी काम होता था इनके ही पूर्वज करते थे।

खुदाबख्श के पिता मौलवी मुहम्मद बक्श एक प्रसिद्ध वकील थे तो उनके पिता चाहते थे की उनका बेटा भी वकालत का काम करें इसलिए उन्होंने खुदाबख्श को शुरू से ही पढ़ाई के प्रति जिम्मेदारी समझायीं।

खुदाबख्श भी होनहार थे उन्होंने 1859 में पटना High school से अपनी 10 की परीक्षा पास की। 10 की परीक्षा अच्छे अंको से पास करने के बाद उनके पिता मौलवी साहब की उम्मीदे बढ़ चुकी थी।

इसलिए उन्होंने खुदाबख्श को आगे के पढ़ाई के लिए बंगाल/ कलकत्ता भेजा। कलकत्ता पहुंचने के बाद उन्होंने वहां के वातावरण से सामंजस्य नहीं बिठा पाए जिसके कारण उनका स्वस्थ्य लगातार गिरता चला गया।

अंततः उन्होंने कलकत्ता छोड़कर वापस पटना आ गए और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी कानून की पढ़ाई जारी राखी। 1868 में अपनी law की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटना में ही वकालत की प्रैक्टिस जारी रखी।

उनकी मेहनत और योग्यता ने उन्हें एक प्रसिद्ध वकील बना दिया और अपने पिता मौलवी साहब की इच्छा का मान भी रखा।

1877 में वह पटना नगर निगम के पहले उपाध्यक्ष बने। उनके द्वारा शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में किया गया योगदान को देखते हुए उन्हें 1911 में खान बहादुर की उपाधि भी दी गयी।

इनकी मृत्यु 3 अगस्त 1908 को हुयी।

4. Collection of Books

khudabaksha oriental public library Bihar | खुदाबक़्श ओरियेन्टल पुस्तकालय | Place review in Hindi

khudabaksha library में विभिन्न पुस्तके और पाण्डुलियपियाँ और पुराने दस्तावेज रखे हुए है-

Manuscript’s in Arabic, urdu Turkish languages
letters and journal’s in different foreign languages
Short movies
Presentation’s
Audio cassettes
Video cassettes

5. What types of books are available?

khudabaksha library में ज्यादातर History से related books manuscripts  letters रखे हुए है। यदि आप एक History student है तब तो आपको यहाँ जरूर आना चाहिए।

इस पुस्तकालय में दो कक्ष है जहां एक में Researcher और scholar’s के लिए है वही दूसरे कक्ष में अन्य लोगों के लिए है जो सिर्फ कभी कभार पढ़ने के लिए आते है।

Opening time 9.30 AM
Closing time 5.00 PM

6. contact us

खुदाबख्श लाइब्रेरी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते है

Phone no. – (0612)- 2371507, 2678109
Website Khudabaksha library

7. khudabaksha oriental public library Bihar map

8. Conclusion

दोस्तों शिक्षा हमारे समाज की रीढ़ है। इस रीढ़ को जितना हम मजबूत रखेंगे उतना ही हम तरक्की के मार्ग पर अग्रसर होते चले जायेंगे।

शिक्षा से ही हम और हमारा देश आगे बढ़ेगा। वो कहते है न की पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी है और आपको लगता है की यह article  helpful  है तो इसे अपने social media में जरूर share कीजियेगा।

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