कालिकाधाम मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Kalikadham temple

1. कालिकाधाम मंदिर कहाँ स्थित है ? [Kalikadham temple location]

कालिकाधाम मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले (सेवापुरी / कपसेठी) में स्थित है। यह मंदिर माँ काली को समर्पित है। यहाँ प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु माँ काली के दर्शन के लिए आते है। काली शब्द का अर्थ होता है काल या समय। माँ काली का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है खासकर नवरात्रि के दिनों में। माँ दुर्गा के नौ अवतारों में से एक अवतार है काली अवतार ।

3. कालिकाधाम मंदिर का इतिहास [Kalikadham temple history]

कालिकाधाम मंदिर का इतिहास अत्यंत ही रोचक है। इस मंदिर के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित है जिसमे से कुछ प्रमुख है- लगभग 400 साल पहले माँ काली ,पंडित अलखनाथ जी के स्वप्न में आयी थी। इस स्वप्न के माधयम से माँ काली ने पंडित जी से कहा की मैं कालिकाबारा (जगह/Place) एक गढ़हे में हूँ और मुझे किसी तरह से मुक्त करा दो।

पंडित अलखनाथ जी अगले ही सुबह कालिकाबारा पहुंचे पर उन्हें किसी भी प्रकार के संकेत प्राप्त नहीं हुए। अगले दिन एक बार फिर माँ काली ने पंडित जी के स्वप्ना में आयी और बोलीं की गढ़हे में गाय का दूध भरों फिर मैं दर्शन दूंगी। अगली सुबह पंडित जी ने ऐसा ही किया और देखते ही देखते माँ काली की भव्य प्रतिमा उस गढ़हे से निकली। इसके बाद से ही इस जगह पर पूजा अर्चना और भक्तों की भीड़ लगाने लगी और कुछ ही वर्षों बाद वहां पर एक भव्य मंदिर बन गया।

4. आइये सैर करें [Lets take a walk]

हमने BHU से अपनी यात्रा प्रारम्भ की और हम बाइक से कपसेठी के लिए रवाना हुए। हम BHU-Gangapur-Jansa- होते हुए कपसेठी पहुंचे।। कालिकाधाम एक शक्तिपीठ भी है। यहां मंदिरों पर विभिन्न प्रकार की पेंटिंग की गयी है जो इस मंदिर की विशेषता में से एक है। हमने मंदिर में पहुंचने से पहले अपने हाथ-पाँव को अच्छे से साफ करके मंदिर में प्रवेश किया।

चुकी हम काफी दूर से आये थे तो थोड़ी थकावट भी थी पर कोई बात नहीं माता के दर्शन करने ही तो हम इतनी दूर से आये है । मुख्य मन्दिर में पहुंचने से पहले आपको आस पास के अन्य मंदिर के भागों से होकर पहुंचना होगा । मंदिर में प्रवेश के पश्चात हमने फूल- माला के साथ माता के दर्शन किये और मंदिर की परिक्रमा भी की। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की अच्छी खासी भीड़ जमा हो जाती है।

मंदिर परिसर में विश्राम के लिए जगह भी है। कालिकाधाम मंदिर में मुंडन कार्य के पश्चात प्रसाद बनाने की भी व्यवस्था है। मुंडन का कार्य मंदिर के पिछले हिस्से में किया जाता है। यह मंदिर काफी बड़ा है यही पर पंचमुखी महादेव जी का मंदिर भी है। मंदिर परिसर में ही एक कुआ भी है। मंदिर परिसर में ही मुंडन और हवन का कार्य भी चल रहा था। माता के दर्शन के पश्चात् हम बाहर निकले। मंदिर के बाहर काफी दुकाने भी सजी थी जैसे – चाट गोलगप्पे , मिठाईया , खिलौने इत्यादि।

6. अनुभव [Experience]

हमारा अनुभव काफी शानदार रहा । चूँकि यह मंदिर शहर से दूर है इसलिए यह मंदिर काफी हद तक अन्य प्रकार के शोर शराबे से दूर है। कालिकाधाम मंदिर आने के लिए आपको थोड़ी तैयारी करनी पड़ेगी क्यूंकि मंदिर काफी दूर है। कालिकाधाम मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी समय आप आ सकते है। लेकिन मेरा मानना है की यदि आप सुबह में आएंगे तो आपको एक अलग ही अनुभव होगा। मंदिर परिसर के बाहर आपको पार्किंग की जगह भी मिलेगी जो की अच्छी बात है। मंदिर परिसर में मुंडन एवं हवन वगैरह हो रहे थे। खैर यह मेरा अनुभव रहा आप का अनुभव कैसा रहा कमेंट में जरूर बताये।

7. परिवहन सुविधा [How to reach kalikadham temple]

सड़क परिवहन सरकारी एवं निजी दोनों ही बसे चलती है इसके आलावा आप नह 731B हाईवे का प्रयोग कर सकते है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन सेवापुरी रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा बाबतपुर हवाई अड्डा

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