जंतर मंतर का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Jantar Mantar architecture

1. जंतर मंतर क्या है?

जंतर मंतर खगोलीय घटनाओ की गणना करने वाली एक प्राचीन ईमारत है।

इस ईमारत का प्रयोग उस समय के विद्वानगण समय, ब्रह्माण्ड और पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगने वाले समय और ज्योतिष विद्या में हुआ करता था।

हालाँकि आज जंतर मंतर का उतना महत्व नहीं रह गया है।

परन्तु प्राचीन और मध्यकालीन भारत में अनेकों ऐसे विद्वान पैदा हुए जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय पुरे विश्व को दिया। हम ऐसे ही नहीं विश्व गुरु कहलाते थे।

जंतर मंतर को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर सूची में भी रखा है।

जंतर का अर्थ होता है- यन्त्र या मशीन और मंतर का अर्थ होता है- विद्या या जानकारी।

फिर चाहे बात हमारे आर्यभट्ट, नागार्जुन ( जिहोने न्यूटन से पहले ही सापेक्षिता का सिद्धांत दिया था ) की हो या फिर सवाई जय सिंह जैसे विद्वानों की।

1.1 जंतर मंतर के निर्माणकर्ता

जंतर मंतर का निर्माण राजस्थान के वीर राजपूत और आमेर के राजा सवाई जयसिंह-2 द्वारा 1724-1734 में करवाया गया था।

ये अपने वंश में सबसे वीर और सबसे प्रतापी राजा होने के साथ बुद्धिमत्ता में भी अपने समकालीन राजाओ से आगे रहे थे।

सवाई जय सिंह कछवाहा राजवंश से सम्बन्ध रखते थे। जैसा की मैंने बताया सवाई राजा जयसिंह अपने समकालीन राजाओ से बुद्धिमत्ता में सबसे आगे थे।

वह एक खगोलीय वैज्ञानिक या जिसे हम Celestial Scientist के नाम से भी जानते है।

सवाई जय सिंह जी ने खगोलीय गतिविधियों में रूचि दिखते हुए उन्होंने एक ऐसी ईमारत बनाए की सोची जिनमे अपने यंत्रो के माध्यम से खगोलीय घटनाओ जैसे तारे और ग्रहो नक्षत्रों की गतिविधियों की गणना या रिकॉर्ड कर सके।

इनके द्वारा खगोलीय क्षेत्र में किये गए कार्यों को देखकर उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने अपनी पुस्तक भारत एक खोज या Discovery of India में जिक्र किया और उनकी बुद्धि को भी प्रणाम किया।

इसलिए उन्होंने पुरे भारतवर्ष और विश्व से इस दिशा में काम करने वाले वैज्ञानिको और विद्वानों को निमंत्रण भेजा और अपने पास सम्मानपूर्वक उनको रखा।

और इसी दिशा में कार्य करते हुए उन्होंने सन 1724 से 1734 यानि लगभग 10 सालों में उन्होंने 5 इमारते बनवायी। जो खगोलीय और ज्योतिष का अध्ययन कर सकें।

इन पांच इमारतों का नाम भी जंतर मंतर ही है। ये अलग-अलग राज्यों में स्थित है।

जंतर मंतर को अलग अलग राज्यों के बीच बनाने का एक ही उद्देश्य था की उनके द्वारा की गयी खगोलीय गणना और ज्योतिषशास्त्र में कोई त्रुटि या गलती न रह जाये।

ये इमारते दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन, जयपुर और मथुरा में स्थित है। आगे मैं इनके बारे में विस्तार से बताऊंगा।

1.2 जंतर मंतर की खासियत

जंतर मंतर की कुछ खासियत इस प्रकार है-

  1. यह भारत का प्रथम वेधशाला थी जिसका प्रयोग खगोलीय घटनाओ की गणना के लिए किया गया था.
  2. इस वेधशाला से सटीक भविष्यवाणी की जाती थी. जैसे की बारिश कब होगी बाढ़ सूखा अकाल इत्यादि .
  3. आज भी इन यंत्रों के सही सलामत और काम करने के लिए ही जंतर मंतर को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर सूची में भी रखा है।
  4. जंतर मंतर के यंत्रों का प्रयोग करके आज भी यहाँ का पंचांग बनाया जाता है. पंचांग को Calendar के नाम से भी जाना जाता है

2. जंतर मंतर में प्रयुक्त यन्त्र

जंतर मंतर में कई सारे यंत्रों का प्रयोग किया गया है। आज मैं इनमे प्रयुक्त होने वाले मुख्यतः 13 यंत्रों के बारे में बताने की कोशिश करूँगा।

रामयन्त्रयह भौगोलिक दिशा को मापने का कार्य करता था।
चक्रयन्त्रइसमें दो विशाल चक्र या गोलाकार आकृति बनी होती थी जिसका प्रयोग खगोलीय घटना में किया जाता था।
राशिवलय यन्त्रइसमें 12 राशियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। यह 12 राशि इस प्रकार है – मिथुन,कर्क,कन्या सिंह,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर,कुम्भ,मीन,मेष,वृषभ
लघुसम्राट यन्त्रसम्राट यन्त्र का छोटा रूप होने के कारण इसका नाम लघु सम्राट यन्त्र है और समय की गणना करता है।
दिगंश यन्त्रइसका प्रयोग त्रिकोणमिति में किया जाता था।
जयप्रकाश यन्त्र क और खइन दोनों ही यंत्रों को खुद महाराज सवाई जयसिंह ने बनाया था और इसका प्रयोग सूर्य की विभिन्न राशिओ यानि ज्योतिषशास्त्र में किया जाता था।
ध्रुवदर्शक पट्टीका यन्त्रतारों की स्थिति विशेषकर ध्रुव तारे के बारे में जानकारी उपलब्ध करना इसका कार्य था।
नाड़ीवलय यन्त्रयह एक गोलाकार यन्त्र है जो कई भागो में बंटा हुआ है और इसका प्रयोग सूर्य की स्थिति और समय की गणना की जाती थी।
सम्राट यन्त्रसमय की गणना का कार्य होता है।
षष्टांश यन्त्र  इस यन्त्र का प्रयोग गृह नक्षत्रो के बीच के कोण या angle को पता करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था।
उन्नतांश यन्त्रविभिन्न ग्रहों के बीच के कोण का पता लगाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था।
दिशा यन्त्रदिशाओं के बारे में पता लगाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था।
दक्षिणोदक भित्ति यन्त्रयह दिन और रात की स्थिति को जानने के लिए प्रयुक्त होता था।

3. जंतर मंतर की स्थापत्य कला [jantar mantar architecture]

जंतर मंतर को बनाने में लाल बलुए पत्थर का प्रयोग किया गया है।

साथ ही इन यंत्रों की देखभाल के लिए इनके स्थान के चारों तरफ एक अलग सी कोटिंग की गयी है।

4. जंतर मंतर के दौरान सावधानियां [precautions while in jantar mantar]

यदि आप जंतर मंतर देखने के लिए जा रहे हैं तो इन बातो का ध्यान जरूर रखें-

  1. किसी भी वस्तु या यन्त्र को स्पर्श करने का प्रयास न करें क्यूंकि यह काफी प्राचीन और दुर्लभ है.
  2. इस जगह के बारे में जानने के लिए आप कोई गाइड कर सकते है इससे आपको सभी जगहों को घूमने और जानने का मौका मिलेगा नहीं तो हम तो है ही आपको बताने के लिए.
  3. हमेशा पानी की बोतल साथ रखें
  4. यदि आप समूह में है या परिवार के साथ है तो आप सभी साथ-साथ ही रहे क्यूंकि यहाँ पर कुछ इमारते भूलभुलैया से कम नहीं है.

5. जंतर मंतर घूमने का सही समय [Perfect time to see jantar mantar]

जंतर मंतर आप किसी भी समय घूमने जा सकते है। कोशिश करें जब सूर्य पूरी तरह से निकल आये या भरपूर रौशनी के साथ हो तभी इस जगह की भव्यता आपको समझ में आएँगी।

वैसे नवम्बर से मार्च तक का महीना घूमने के लिए अच्छा होता है।

6. जंतर मंतर से सम्बंधित प्रमुख तथ्य [jantar mantar facts]

  1. जंतर मंतर को UNESCO द्वारा वर्ष 2010 में विश्व धरोहर सूची में रखा गया है।
  2. पांचों जंतर मंतर में जयपुर का जंतर मंतर सबसे बड़ा है.
  3. इसको बनाए का उद्देश्य था – खगोलीय घटनाओ का अध्ययन.
  4. दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की घडी जयपुर में इसी इमारत में स्थित है.
  5. दुनिया की एकलौती ऐसी वेधशाला जिसका प्रयोग आज भी किया जाता है.

7. अन्य राज्यों के जंतर मंतर [jantar mantar in different cities]

भारत में कुल 5 जगहों पर जंतर मंतर को राजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था। यह इस प्रकार है-

दिल्लीवाराणसी
जयपुरउज्जैन
मथुरा

7.1 दिल्ली का जंतर मंतर

इस वेधशाला का निर्माण महाराज सवाई जयसिंह द्वारा कराया गया था इसके लिए उन्होंने दिल्ली के शासक मुहम्मदशाह से आज्ञा प्राप्त करके बनाया था।

यह दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित है और दिल्ली के प्रमुख पर्यटन में से के एक है।

7.2 जयपुर

इसके बारे में तो मैंने पूरा ही आर्टिकल लिखा है, आप इसे अच्छे से पढ़े और भारतवर्ष पर गर्व करें।

7.3 मथुरा

इस वेधशाला की स्थापना मथुरा में 1850 में किया गया था।

7.4 वाराणसी

इसकी स्थापना जय सिंह जी ने वाराणसी के मान मंदिर में किया था। इस मान मंदिर में कुल 6 यन्त्र स्थापित किये गए थे। यह जगह दशाश्वमेध घाट के पास ही में स्थित है।

7.5 उज्जैन

सवाई जय सिंह द्वारा उज्जैन यानि मध्य प्रदेश में एक वेधशाला की स्थापना 1733 में की थी। इसको बनाने का उद्देश्य था- इसी जगह से कर्क रेखा गुजरती है।

यह वेधशाला क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित जयसिंहपूरा नामक जगह पर बनाया गया है। यहाँ कुल 5 यंत्रों की स्थापना की गयी थी।

आज यानि 2021 में इन प्राचीन Jantar Mantar इमारतों की बात करें तो केवल और केवल दिल्ली और जयपुर के ही Jantar Mantar बचे हुए है।

देखा जाये तो दिल्ली का Jantar Mantar भी खस्ता हाल में है। इस प्राचीन और अति महत्वपूर्ण इमारत को कम से कम जीर्णोद्धार या Renovation तो करवा ही देना चाहिए।

9. जंतर मंतर PDF

यदि आप इस article की pdf download करना चाहते है तो कर सकते है यह बिलकुल free है-

10. निष्कर्ष

दोस्तों Jantar Mantar एक अद्भुत कलाकारी और बुद्धिमत्ता का उदाहरण है।

यह जगह विज्ञान से जुड़े हुए विद्यार्थियों के लिए जन्नत से काम नहीं है। यह जगह बच्चो के अंदर विज्ञान के प्रति जिज्ञासा को बढ़ा देगा।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी है और आपको लगता है की यह article  helpful  है तो इसे अपने social media में जरूर share कीजियेगा।धन्यवाद।

11. जंतर मंतर की लोकेशन [Jantar mantar location]

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