एतमाद -उद-दौला मकबरे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Itmad-ud-Daula Agra

भारत में सुन्दर मकबरों के निर्माण में मुग़ल शासकों का बड़ा योगदान रहा है फिर चाहे वह ताजमहल हो या एतमाद -उद-दौला का मकबरा

खासकर मुग़ल सम्राट शाहजहां के शासनकाल को तो स्वर्णकाल भी कहते है। शाहजहां ने अपने शासनकाल में कई सुन्दर सुन्दर आकृतियां बनवायी जो आज भी पर्यटकों के दिलो में हलचल पैदा करते है।

इन इमारतों को इतनी खूबसूरती और कलात्मक ढंग से बनाया गया है की आप इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह सकते।

भारत में खूबसूरत मकबरे के निर्माण में प्रथम नाम मुगल संस्थापक बाबर का आता है। उसके द्वारा एक विशेष प्रकार की मकबरों के निर्माण का प्रचलन बढ़ा और तो और इन मकबरों में सभी जरुरी सुविधाओं के साथ साथ इनमे बगीचों का प्रचलन भी बाबर की ही दें है।

तो दोस्तों आइये चलते है मुग़ल सल्तनत के उस नायब नमूने से जिसे छोटा ताजमहल या बेबी ताजमहल के नाम से भी जाना जाता है।

1. एतमाद -उद-दौला मकबरा कहाँ पर स्थित है ? [Itmad-ud-Daula tomb in hindi]

एतमाद -उद-दौला का मकबरा उत्तर प्रदेश के आगरे में स्थित है। इस मकबरे की स्थापना मुग़ल बादशाह जहांगीर ने, बेगम नूरजहां के माता-पिता के सम्मान में बनाया गया था।

यह मकबरा ताजमहल की तर्ज पर बनाया गया था लेकिन यह उतना प्रभावी ढंग से निर्माण नहीं हो पाया था, लेकिन इसकी बनावट और कलाकारी को देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है।

यही कारण है की इस मकबरे को छोटा ताजमहल या बेबी ताजमहल के नाम से जाना जाता है।

इस मकबरे की स्थापना भी अन्य मुग़ल इमारतों की तरह यमुना नदी के किनारे पर की गयी थी।

असल में एतमाद -उद-दौला की उपाधि नूरजहाँ के पिता को यह उपाधि दी गयी थी और इसी सम्मान में इस मकबरे का नाम एतमाद -उद-दौला रखा गया था।

ताजमहल की नक़ल करने का प्रयास भी मुग़ल शासक औरग़ज़ेब द्वारा किया गया था। जिसे हम बीबी का मकबरा के नाम से भी जानते है।

बीबी के मकबरे के निर्माण के लिए ताजमहल की तर्ज पर ही संगमरमर और बेशकीमती पत्थरों का प्रयोग किया गया था। यह मकबरा कुल 25 एकड़ में फैली हुयी है।

इस मकबरे का सबसे बृहद भाग यानि की इसका गुम्बद संगमरमर से बनाया गया था।

मुग़ल बादशाह औरंगजेब चाहते थे की यह मकबरा खूबसूरती और भव्यता के मामले में ताजमहल से भी एक कदम आगे निकले, लेकिन उनकी यह हसरत पूरी नहीं पायी जिसका प्रमुख कारण था पैसे की कमी

इस मकबरे के निर्माण में पैसों की कमी ने ही इस मकबरे को उतना भव्य और खूबसूरत नहीं बनाया जितना की औरंगजेब चाहता था।

इसीलिए इस मकबरे को ताजमहल का फूहड़ रूप यानि बिगड़ा हुआ रूप के रूप में जाना जाता है।

इसे पढ़ें- बीबी का मकबरा का इतिहास

2. एतमाद -उद-दौला मकबरे का इतिहास [etmad-ud-daula history]

नूरजहां के पिता यानि मिर्ज़ा गियास बेग की मृत्यु के 7 वर्ष के पश्चात वर्ष 1628 में इसका निर्माण करवाया था। नूरजहां ने यह मकबरा चारबाग प्रणाली के अंतर्गत बनाया था।

जिसका अर्थ है की इस मकबरे के चारों तरफ दीवारों के साथ साथ अंदर की तरफ खूबसूरत बगीचे और पानी के फव्वारे की व्यवथा की गयी है।इस मकबरे से ही सर्वप्रथम पिएत्रा-दुअरा की शुरुआत की गयी थी।

दोस्तों पिएत्रा- दूयेरा एक प्राचीन पत्थर तराशने की एक कला है। जिसे 16 वि शताब्दी के अंत तक फ्लोरेंटाइन द्वारा कलाकृति और महारत हासिल की थी।

असल में इस पद्धति में संगमरमर के पत्थरों का प्रयोग करके उनमे हीरे-जवाहरात इत्यादि जोड़े जाते थे।

इस प्रकार इसका प्रयोग सजावटी के रूप में होने लगा था। इस कला की सबसे खास बात यह है की इसमें केवल और केवल प्राकृतिक वस्तुओं जैसे की फूलो बगीचों इत्यादि का ही चित्रांकन या सजावट की जाती थी।

आगे चलकर इसी पद्धति में ज्यादातर भवनों का निर्माण होने लगा था।

3. नूरजहां कौन थी ? [Nur jahan meaning]

नूरजहाँ के बचपन का नाम मेहरुन्निसा था। इनके पिता का नाम मिर्जा गियास बेग था। वह पर्शिया के रहने वाले थे। अपने पिता ख्वाजा मुहम्मद शरीफ की मृत्यु के पश्चात वह अपने दो पुत्रों और एक पुत्री को लेकर भारत के लिए आये थे।

कंधार के निकट उनकी पत्नी ने एक सुन्दर बच्ची को जन्म दिया था और यही लड़की मेरहरून्निसा थी।

मिर्ज़ा जब भारत आये तो उन्हें मुग़ल बादशाह अकबर के दरबार में नौकरी मिल गयी। उन्होंने पानी योग्यता और बुद्धिमत्ता के दम पर अकबर को प्रसन्न कर दिया था।

उन्हें काबुल के दीवान का पद दिया गया। और इस तरह उनकी जिंदगी भारतवर्ष में कटने लगी।

अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर नए बादशाह हुए। नए बादशाह ने उन्हें एतमाद -उद-दौला की उपाधि से नवाजा। वर्ष 1594 में उन्होंने अपनी बेटी मेहरुन्निसा की शादी अलीकुलीबेग से कर दिया।

इसी बीच अलीकुलीबेग ने मेवाड़ के आक्रमण के समय एक शेर को मार डाला था तो इस वजह से जहांगीर ने उन्हें शेर अफगान की उपाधि से भी नवाजा था। समय बीतता गया और शेर अफगान एक मुग़ल षड़यंत्र में जान गवा बैठा।

तब मेहरुन्निसा और इनकी उनकी पुत्री लाड़ली बेगम को राजदरबार लाया गया और उन्हें विधवा सलीम बेगम की दासी के रूप में अपने पास ही रख लिया।

हालाँकि नूरजहां और जहांगीर के विवाह के सम्बद्ध में इतिहासकारों में अभी भी मतभेद है लेकिन इतना स्पष्ट है की जहांगीर उनके सुंदरता और काबिलियत को देखकर प्रभावित होकर उनसे विवाह कर लिया और बाद में उनका नाम नूरजहां रखा।

4. नूरजहां का मुग़ल सल्तनत में योगदान [Nur jahan contribution in Mughal sultanate]

नूरजहां से विवाह के पश्चात से ही जहांगीर और मुगल सल्तनत पर उनका प्रभाव दिखना शुरू हो गया था। वह जहांगीर की प्रमुख बेगम बन गयी थी।

अपने सगी सम्बन्धियों को मुग़ल राजदरबार में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति भी देनी शुरू कर दी।

अपने विवाह से कुछ वर्षों में ही नूरजहां ने अपना एक गुट बना लिया था जिसे नूरजहां गुट के नाम से जाना गया। इस गुट में नूरजहाँ के माता पिता उनका भाई आसफखां और शहजादा खुर्रम शामिल थे।

शहजादा खुर्रम ही आगे चलकर शाहजहां के नाम से प्रसिद्ध हुए और इन्होने अपने जीवन काल में कई भव्य इमारतों को बनवाया जिनमे ताजमहल एक महत्वपूर्ण इमारत है। ताजमहल को दुनिया के सात आश्चयों में से के गिना जाता है।

इसे पढ़ें- मोहब्बत और खूबसूरती का प्रतिक है ताजमहल

5. एतमाद -उद-दौला मकबरे की स्थापत्य कला [Itmad-ud-Daula architecture]

इस मकबरे में चारबाग शैली का प्रयोग हुआ है। जहांगीर के दादाजी यानि हुमायूँ के मकबरे में भी इसी शैली का प्रयोग हुआ था।

इस शैली में मकबरे के चारों तरफ बगीचे और पानी के फव्वारे लगाए गए है जो इन मकबरों की खूबसूरती बढ़ाते है।

सर्वप्रथम एतमाद -उद-दौला मकबरे में पिएत्रा ड्यूरा का प्रयोग किया गया था। इसके साथ साथ इसके स्तम्भों पर पेड़ पौधे और चिड़ियों के चित्र बेहद बारीकी से उकेरे गए है।

वही इसका गुम्बद एशियाई शैली में बना हुआ है। इसके आलावा यह भारत का पहला मकबरा था जिसे सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया था।

इसे पढ़ेंहुमायूँ के मकबरे का इतिहास

6. एतमाद -उद-दौला मकबरे के कुछ तथ्य [Itmad-ud-Daula facts]

  • एतमाद -उद-दौला का मकबरे की स्थापना नूरजहां ने अपने माता पिता के सम्मान में की थी
  • एतमाद -उद-दौला की उपाधि जहांगीर ने नूरजहां के पिता को दी थी.
  • इस मकबरे की स्थापत्य कला को देखर ही इसे बेबी ताजमहल या आभूषण बक्से का दर्जा या उपाधि दी गयी थी.
  • सर्वप्रथम एतमाद -उद-दौला मकबरे में पिएत्रा ड्यूरा का प्रयोग किया गया था। यह असल में एक चित्रकारी पद्धति है.
  • यह भारत का पहला मकबरा था जिसे सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया था।

7. घूमने का सबसे अच्छा समय [Best time to visit Itmad-ud-Daula]

पर्यटन के लिहाज से यदि आप इन इमारतों को देखना चाहते है तो सितम्बर से मार्च तक का महीना सही है।

क्यूंकि इस दौरान उत्तर भारत में गुलाबी ठण्ड पड़ने लगती है और यदि मौसम खुशनुमा हो तो पर्यटन का मजा ही बढ़ जाता है।

घूमने का समय– यह मकबरा सुबह के 6 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक खुला रहता है। साप्ताहिक बंदी यह मकबरा सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है।

प्रवेश शुल्क– भारत एवं सार्क देशों के पर्यटकों के लिए 10 रूपये व विदेशियों के लिए 110 रूपये लगते है। वही बच्चो के लिए 15 रूपये लगते है।

8. आस पास के प्रमुख आकर्षण [tourist attraction in up]

दोस्तों उत्तर प्रदेश का आगरा शहर अपनी खूबसूरती और भव्य इमारतों के लिए भारत समेत पुरे विश्व भर में जाना जाता है।

जिनमे से कुछ इमारतों के बारे में मैंने विस्तारपूर्वक बताया है जिन्हे आप पढ़ पाएंगे।

8.1 सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा एतमाद -उद-दौला मकबरे के बारे में कुछ सवाल पूछे गए है। जिनमे से कुछ को हमने इस आर्टिकल में सबमिट किया है।

उम्मीद है हमारे द्वारा दिए गए जवाबों से आप सभी संतुष्ट हो पाएंगे।

1. एतमाद -उद-दौला कौन था ?

एतमाद -उद-दौला नूरजहां के पिता थे। वह पर्शिया से भारत रोजगार की तलाश में आये थे और यही पर मुग़ल दरबार यानि की अकबर की सेवा करने लगे।

अकबर की मृत्यु के पश्चात जहांगीर ने उन्हें यह उपाधि दी थी।

2.एतमाद -उद-दौला मकबरा कहाँ पर स्थित है ?

एतमाद -उद-दौला का मकबरा उत्तर प्रदेश के आगरे में स्थित है।

इस मकबरे की स्थापना मुग़ल बादशाह जहांगीर ने, बेगम नूरजहां के माता-पिता के सम्मान में बनाया गया था।

3. बेबी ताजमहल किसे कहा जाता है ?

बेबी ताजमहल एतमाद-उद-दौला के मकबरे को कहा जाता है। यह मकबरा ताजमहल की तर्ज पर बनाया गया था लेकिन यह उतना प्रभावी ढंग से निर्माण नहीं हो पाया था.

लेकिन इसकी बनावट और कलाकारी को देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है। यही कारण है की इस मकबरे को छोटा ताजमहल या बेबी ताजमहल के नाम से जाना जाता है।

4. एतमाद -उद-दौला मकबरे को घूमने के लिए टिकट का प्रबंध कैसे करें ?

इसके लिए आपको archeological survey of India  के official site पर visit करना होगा और वही पर आप area सेलेक्ट करके और पेमेंट कर दे आपका टिकट कन्फर्म हो जायेगा।

5. प्रवेश शुल्क के बारें में बताएं ?

भारत एवं सार्क देशों के पर्यटकों के लिए 10 रूपये व विदेशियों के लिए 110 रूपये लगते है। वही बच्चो के लिए 15 रूपये लगते है।

9. एतमाद -उद-दौला मकबरे की फोटो [Itmad-ud-Daula photo]

10. निष्कर्ष [conclusion]

दोस्तों मुग़ल सल्तनत को आगे बढ़ने और उसे संगठित करने में अकबर, जहांगीर और उसके पुत्र शाहजहां ने काफी योगदान दिया था।

इन शासकों ने ना सिर्फ युद्ध जीते बल्कि अपने शासनकाल के दौरान कला और साहित्य को आगे बढ़ने में काफी योगदान दिया था।

इन इमारतों को यदि आप गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा की इन्हे बनाने में महीन कलाकारी की गयी है फिर चाहे इनके खिड़किया हो या फिर झरोखे।

इन जगहों पर घूमकर आप मुग़ल सल्तनत और उनके प्रमुख राजाओ के बारे में जानकारियां प्राप्त कर पाएंगे।

10. एतमाद -उद-दौला मकबरे की लोकेशन [Itmad-ud-Daula map]

11. सबसे महत्वपूर्ण बात [very important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है। इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद।

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