Ibrahim Suri Tomb | जाने इब्राहिम सूरी के मकबरे का इतिहास

भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के पश्चात बाबर ने जब अपनी सैन्य शक्ति और राज्य विस्तार के बारे में सोचा तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

मुग़ल साम्राज्य के अगले वारिस के रूप में जब हुमायूँ राजगद्दी पर बैठा तब उसके सामने वही चुनौती आयी जो उसके पिता बाबर के सामने आयी थी।

उसने भी अपने साम्राज्य के विस्तार और सैन्य शक्ति को बढ़ने के लिए प्रयास करना प्रारम्भ किया लेकिन वह इतना दयालु और परोपकारी था जिससे उसके सारे कार्य धीरे-धीरे विफल होने लगे।

वह अपनी दयालुता और परोपकारी होने के कारण अपना राज्य अपने तीन भाइयों में क्रमशः बाँट दिया जिसका अर्थ हुआ की मुग़ल साम्राज्य बनने के पहले ही पहले ही बिखरा गया था।

जिसका परिणाम यह हुआ की हुमायूँ न तो अपने साम्राज्य को सुदृण बना पाया और ना ही वह पारिवारिक सुख भोग पाया। अक्सर युद्ध में ही जीवन व्यतीत करने लगा।

उसके इसी परिस्थिति का लाभ एक अफगान राजा शेरशाह सूरी ने उठाया। उसके राजवंश का नाम था – सुर वंश उसने हुमायूँ को कई बार युद्ध में पराजित करके उसे भारत से बाहर खदेड़ा।

शेरशाह सूरी कहा करता था की अगर उसे कुछ भारतीय राजाओ का सहयोग प्राप्त हो जाये तो वह मुग़लों के भारत से बाहर खदेड़ देगा।

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम सुर वंश के पांचवे शासक यानी इब्राहिम सूरी और इब्राहिम खान सुर के साथ साथ उनके मकबरे की भी बात करेंगे। तो आइये चलते है।

1. इब्राहिम सुर का मकबरा कहाँ स्थित है ? [Ibrahim suri ka maqbara]

इब्राहिम सुर का मकबरा हरियाणा के नारनौल जिले में स्थित है। इब्राहिम सुर अफगान वंश को उंचाईयों पर ले जाने प्रथम शासक थे, जिनकी बहादुरी और निर्भीकता का प्रभाव उनके पोते शेरशाह सूरी पर भी पड़ा।

जिस वजह से शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल के दौरन मुग़ल साम्राज्य से लड़ाई मोल ली और कई मौकों पर तो उसने मुग़ल साम्राज्य को उखाड़ ही फेंका था।

1.1 सुर वंश [Sur Dynasty]

सुर वंश की वास्तविक स्थापना एक अफगान वीर शेरशाह सूरी ने किया था। शेरशाह के बचपन का नाम फरीद था। उसके पिता एवं दादा दोनों ही जन घोड़ो के व्यापारी थे।

फरीद के जन्म के समय उसके पिता सिकंदर लोधी के यहाँ पर जौनपुर की जागीर संभाल रहे थे।

उसके पिता हसन सुर अपनी चौथी पत्नी से बेहद प्रभावित रहते थे और उसके ही कहने पर फरीद को उन्होंने जौनपुर की जागीर को सँभालने के लिए दिया।

मुहम्मदशाह की मृत्यु के पश्चात उसके राज्य पर कब्ज़ा करके उसे हथिया लिया।

उसने अपने राज्य और धन सम्पदा को बढ़ने के उद्देश्य से ही चुनार के किलेदार ताजखां की विधवा पत्नी लाढ मलिका से विवाह करके चुनार किले पर अपना अधिकार सुरक्षित कर लिया।

इस प्रकार से उसने धीरे धीरे अपने साम्राज्य को सुदृण और सेना को संगठित करके मुग़लों यानी हुमायूँ से भी लड़ने चल दिया। इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहा।

यदि भाग्य ने उसका साथ दिया होता तो आज शायद इतिहास कुछ और ही होता। कालिंजर के किले में हथगोले में विस्फोट के पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी।

1.2 इब्राहिम सुर कौन था ? [Who was Ibrahim sur]

दोस्तों सुर राजवंश के इतिहास में हमें दो इब्राहिम सुर नामक व्यक्ति मिलते या दिखाई देते है।

जिनमे एक शेरशाह सूरी के दादा इब्राहिम खान सुर एवं दूसरा नाम सुर वंश के पांचवे शासक के रूप में भी जिस राजा ने सुर वंश को आगे बढ़ाने का कार्य किया उसका नाम भी इब्राहिम सुर था।

दोस्तों आज हम शेरशाह सूरी के दादा के मकबरे के बारे में बात करेंगे।

इब्राहिम सुर खान के पिता का नाम था गाज़ी खान। वह सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के बहनोई थे।

वर्ष 1555 में उन्होंने सुल्तान आदिलशाह के खिलाफ विद्रोह किया और आगरा के गवर्नर के रूप में कार्य करने लगे।

सुल्तान आदिलशाह बेहद नाराज हुए और उन्होंने इब्राहिम सुर के खिलाफ एक सेना भेजकर उसे दण्डित करना चाहा।

लेकिन इब्राहिम सुर अपनी बहादुरी और सूझबूझ के बलबूते आदिलशाह की सेना को हराया और शाही की उपाधि धारण करके दिल्ली के गद्दी पर बैठे।

लेकिन उसी वर्ष उनका युद्ध लोधी वंश के सबसे प्रतापी शासक इब्राहिम लोधी से युद्ध हुआ और जिसमे इब्राहिम सुर हार गए और उनके हाथ से दिल्ली के साथ-साथ आगरा भी चला गया।

इस प्रकार से इब्राहिम लोधी ने दिल्ली और आगरा दोनों पर कब्ज़ा कर लिया लेकिन जल्द ही एक प्रसिद्ध युद्ध हुआ जिसने भारतवर्ष की दिशा एवं दशा दोनों ही बदल कर रख दिया।

जी हाँ हम बात कर रहे है पानीपत के प्रथम युद्ध की। जिसमे इब्राहिम लोधी, बाबर से हार गया और भारत में बाबर ने मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की।

दिल्ली और आगरा इब्राहिम लोधी के साथ युद्ध में खोने के पश्चात इब्राहिम सुर ने फिर से आदिलशाह से कुछ राज्यों को जीतने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रहा।

आदिलशाह के शासनकाल में हेमू नामक एक वीर सेनापति थे जिन्होंने इब्राहिम सुर को हराया था। हेमू वह वीर सेनापति थे जिन्होंने अकबर तक से लड़ाई ली और कई मौकों पर जीते भी।

उन्होंने आदिलशाह के शासनकाल में 22 युद्ध लड़े थे जिनमे से ज्यादातर में उन्होंने अपनी सेना को जीत दिलाई थी।

1.3 सुर वंश का पांचवा शासक इब्राहिम सूरी [Who was Ibrahim suri]

शेरशाह सूरी ने अपनी मृत्यु के पहले ही अपने पुत्र जलालखां को शासन का उत्तराधिकारी के रूप में घोषित कर रखा था।

उसकी मृत्यु के पश्चात राजगद्दी पर जलालखां इस्लामशाह के नाम से राजगद्दी पर बैठा लेकिन वह अपनी पिता की भांति उतना योग्य सुल्तान ना बन पाया जितना की उसके पिता शेरशाह सूरी थे।

यहाँ तक की शेरशाह का कोई भी पुत्र उसके द्वारा खड़े किये गए साम्राज्य को विस्तार करना तो दूर उसे सँभालने की हालत में भी ना था।

ऐसी स्थिति में इस्लामशाह की मृत्यु के पश्चात सुर साम्राज्य की मानो एकता ही नष्ट हो गयी।

उसकी मृत्यु के पश्चात उसका 12 वर्षीय पुत्र फिरोजशाह राजगद्दी पर बैठा।

लेकिन राज्याभिषेक के तीन दिन बाद ही उसके मामा मुबारीजखां ने उसकी हत्या कर दी और राजगद्दी पर मोहम्मद आदिलशाह के नाम से राजगद्दी पर बैठा।

चूँकि आदिलशाह ने अनैतिक तरीके से राजगद्दी हासिल की थी तो ऐसे समय में साम्राज्य और राजदरबार में जगह-जगह विद्रोह होने लगे।

इस स्थिति में उसे कुछ जगह तो सफलता मिली लेकिन अधिकांश जगह पर निराशा हासिल हुयी।

इस विपरीत परिस्थिति में उसके बहनोई यानी जीजा ने दिल्ली और आगरा पर अपना अधिकार जमाकर अपने आपको इब्राहिमशाह के नाम से बादशाह घोषित कर दिया।

यह वही इब्राहिम सुर था जिसने अपने जीजा की हत्या करके अपने आपको सुर साम्राज्य का उत्तराधिकारी के रूप में इब्राहिम शाह के नाम से राजगद्दी पर बैठा।

इस प्रकार से सुर साम्राज्य अपने ही में लड़-झगड़ कर मृत्यु को प्राप्त हो लिए।

इस स्थिति में हुमायूँ का विरोध करने वालों में से अब कोई नहीं बचा था ऐसी स्थिति में जब उसका पुत्र अकबर राजगद्दी पर बैठा तब उसने अपने एवं अपने मुग़ल साम्राज्य को संगठित करना प्रारंभ कर दिया।

2. इब्राहिम सुर के मकबरे का इतिहास [Ibrahim sur tomb History]

इस मकबरे का निर्माण शेरशाह सूरी ने वर्ष 1540 – 1545 के बीच करवाया था। शेरशाह सूरी अपने दादाजी से बड़ा प्रेम करता था।

इस वजह से उनकी मृत्यु के 20 – 22 वर्ष के पश्चात जब वह बड़ा होने के साथ साथ सक्षम हुआ तो उसने अपने दादाजी के याद में इस मकबरे का निर्माण कावाया था।

वर्ष 1867 ईस्वी में एक स्थापित अभिलेख से हमें यह पता चलता है की इस मकबरे का जीर्णोद्धार या पुनर्निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा जिला प्रशासन के माध्यम से करवाया गया था।

पानीपत का प्रथम युद्ध के दौरान वह इब्राहिम लोधी के साथ युद्ध में शामिल हुए और लड़ते हुए मारे गए।

3. इब्राहिम सुर के मकबरे की स्थापत्य कला [Ibrahim sur tomb architecture]

इब्राहिम सुर के मकबरे के प्रवेश द्वार पर ही एक प्राचीन अभिलेख मौजूद है जिसमे उनके पोते यानी शेरशाह सूरी द्वारा बनवाये जाने का उल्लेख है।

इस मकबरे को ऊँचे और बेहद बड़े चबूतरे के बीचों-बीच बनाया गया है।

साथ ही इस मकबरे को पूर्व दिशा में बनाया गया है, जबकि मुस्लिम संप्रदाय में पश्चिम दिशा का काफी महत्व है।

इस मकबरे को बनाने में बलुए पत्थर के साथ-साथ चुने पत्थर का भी प्रयोग किया गया है।

इसके साथ ही साथ इसके चारों तरफ 4 छोटे-छोटे गुम्बद बनाये गए जो इसे संतुलित रखने का कार्य करते है।

इस प्रकार यह मकबरा अपनी खूबसूरती में चार चाँद लगता है।

इब्राहिम सूरी के मकबरे का निर्माण एक प्रसिद्ध वास्तुकार शेख अहमद नियाज़ी द्वारा पठान शैली में किया गया था।

कई इतिहासकारों का कहना है की इस मकबरे को हिन्दुओ के आराध्य निवास यानी मंदिरों ( को बनाने में जिस कलाकारी और नक्काशी की गयी है ) के कलाकृति के अनुसार बनाया गया है।

आप इसके बारे में और अधिक जानकारी हासिल करना चाहते है तो आप हरियाणा सरकार के पर्यटन विभाग के वेबसाइट जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

3.1 अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place in Narnaul city]

हरियाणा के नरनौल शहर में एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है जहाँ पर आप अपने परिवार के साथ घूम सकते है।

ये पर्यटन स्थल इस प्रकार है –

  • शाह विलायत का मकबरा
  • चोर गुम्बद
  • बीरबल का छाता
  • जल महल
  • इब्राहिम का मकबरा
  • शोभा सरोवर
  • त्रिपोली गेटवे
  • मिर्ज़ा अलीजान तख़्त
  • शाह कुली का मकबरा

दोस्तों आप सभी के द्वारा इब्राहिम सुर के मकबरे के बारे में कुछ सवाल पूछे गए है। जिनमे से कुछ को हमने इस आर्टिकल में सबमिट किया है।

उम्मीद है हमारे द्वारा दिए गए जवाबों से आप सभी संतुष्ट हो पाएंगे।

यदि फिर भी आपके मन में कोई भी सवाल हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर पूछें। इत्यादि

5. इब्राहिम सुर के मकबरे की कुछ तस्वीरें [Ibrahim sur tomb photo]

6. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों इतिहास में जितना शेरशाह सूरी का स्थान है उतना उसके उत्तराधिकारियों का नहीं है।

इसका प्रमुख कारण है की अपने राज्य को उन्होंने संगठित नहीं किया और अपने ही दरबार के षड्यंत्रों में फंसे रह गए।

जहाँ शेरशाह ने अपनी स्थिति को सुदृण रखने के लिए हुमायूँ तक से युद्ध किया वही उसके उत्तराधिकारी युद्ध तो दूर जितना उनका राज्य था उसे ही बचाकर नहीं रख पाए।

इसे पढ़ें- जाने शेरशाह सूरी एवं उसके मकबरे का इतिहास

6. इब्राहिम सुर मकबरे की लोकेशन [Ibrahim sur tomb location]

7. सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं।

हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे। यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

4. सवाल जवाब [FAQ]

1. इब्राहिम सूरी का मकबरा कहाँ स्थित है ?

इब्राहिम सूरी का मकबरा हरियाणा के नारनौल शहर के पिरान मोहल्ला के निकट स्थित है।

2. इब्राहिम सुर का मकबरा हरियाँ के किस जिले में स्थित है ?

इब्राहिम सुर का मकबरा मेहँदीगढ़ जिले में स्थित है।

3. क्या इस मकबरे को सुरक्षित रखने का राज्य सरकार प्रयास कर रही है ?

हाँ बिलकुल इब्राहिम सुर के मकबरे के साथ साथ भारत में उन तमाम इमारतें जिनका हमारे भारतीय इतिहास में खासा महत्व है उनकी हिफाजत और देखरेख का कार्य राज्य सरकारें करती है.

इसके आलावा केंद्र सरकार की तरफ से इन इमारतों का निरक्षण करने और उसे सुरक्षित रखने के लिए समय समय पर पुरातत्विदों की टीम भी आती रहती है।

4. क्या इब्राहिम सुर का मकबरा यूनेस्को की विश्व विरासत की सूचि में आती है ?

नहीं भईया। कोई भी इमारत जिसका इतिहास में काफी महत्व रहा हो एवं मानव जीवन में अपनी अहमियत को सिद्ध करता हो उन्ही को यूनेस्को अपने विश्व विरासत की सूचि में रखता है.

इसके आलावा कई और भी कारण होते है इसलिए आप मेरे भारत के यूनेस्को विश्व विरासत स्थल को पढ़ सकते है। यह आपकी जानकारी को काफी बढ़ाएगा।

5.इब्राहिम सुर के मकबरे को किस वर्ष बनाया गया था ?

इब्राहिम सुर के मकबरे को वर्ष 1540 से 1545 के बीच बनाया गया था।

6. हरयाणा के नारनौल शहर में और कौन कौन से घूमने के हिसाब से जगहे है ?

हरयाणा के नारनौल शहर में एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है जहाँ पर आप अपने परिवार के साथ घूम सकते है। यह जगहे इस प्रकार है – चोर गुम्बद, जल महल, बीरबल का छाता, इत्यादि।

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