Descent of the Ganges | गंगावतरण शैल का इतिहास और उसकी वास्तुकला

1. गंगावतरण शैल कहाँ पर स्थित है ? [Descent of the Ganges in Hindi]

गंगावतरण शैल तमिलनाडु राज्य के मामल्लपुरम या महाबलीपुरम में स्थित है।

प्राचीन कल में राजा और महाराजाओं द्वारा विभिन्न शैलों या पत्थरो को काटकर उनके अंदर मंदिर और अन्य इमारते बनायीं जाती थी।

इस प्रकार की इमारतों को हम शैलकर्तित के नाम से जानते है। उन्ही में से एक है गंगावतरण शैल जिसे अंग्रेजी में हम Descent of the Ganges के नाम से भी जानते है।

इस शैल को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सन 1984 में रखा गया था।

2. गंगावतरण शैल का इतिहास [History of gangavatran shail]

चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय पर विजय के पश्चात् नरसिंग वर्मन प्रथम ने इस शैल का निर्माण अपने कुशल कारीगरों द्वारा करवाया था।

यह वही पुलकेशिन द्वितीय थे जिन्होंने उत्तर भारत के सबसे प्रतापी और अंतिम हिन्दू राजा हर्षवर्धन को नर्मदा नदी के तट पर हराया था।

यह युद्ध हरने के बाद हर्षवर्धन ने दक्षिण भारत में दोबारा कदम नहीं रखा।

नरसिंघ वर्मन पल्लव वंश के प्रतापी राजा थे। पल्लव वंशीय राजाओ ने कांचीपुरम को अपनी राजधानी बनवाया था और यही पर मामल्लपुरम नामक नगर की श्तपना भी की थी।

सिंह विष्णु नामक पल्लववंशिया राजा ने महाबलीपुरम में आदिवराह गुफा मंदिर की स्थापना भी की थी।

3. पल्लव वंशीय राजा नरसिंह वर्मन प्रथम

नरसिंहवर्मन पल्लव वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। उसने पिता महेन्द्रवर्मन का बदला चालुक्यों को हराकर लिया और उत्तर दिशा में अपना विजय अभियान जारी रखा।

नरसिंहवर्मन ने चालुक्य वंश का प्रतापी शासक पुलकेशिन द्वितीय को 3 बार हराया साथ ही परियल, शूरमार, मणिमंगलम और वातापी को जीता और वातापिकोंडा उपाधि धारण की।

इस लड़ाई का प्रमाण हमें बादामी के मल्लिकार्जुन मंदिर के शिलापट्ट में मिलता है।

इसी समय चीनी यात्री ह्वेनसांग जो की पहले हर्षवर्धन के कल में चीन से आया था, वह नरसिंहवर्मन के राज्य में आया और उनकी प्रजा की प्रसिद्धि और खुशहाली को देखकर स्तभ्ध रह गया।

4. नरसिंहवर्मन के कुछ प्रमुख कार्य

नरसिंहवर्मन द्वारा किये कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-

  1. सर्वप्रथम रथ मंदिर बनवाना प्रारम्भ किया
  2. महामल्लपुरम/मामल्लपुरम/महाबलीपुरम नामक नए नगर की स्थापना की
  3. महाबलीपुरम में धर्मराज मंदिर का निर्माण करवाया था।
  4. मामल्ल शैली का सर्वप्रथम प्रयोग किया
  5. काँची का कैलाश मंदिर बनवाया जिसे सिद्धेस्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।  
  6. एरातेस्वर मंदिर का निर्माण करवाया

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