1. बृहदेश्वर मंदिर [Brihadeeswar Temple in Hindi]
बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु राज्य के तंजौर में स्थित है। यह एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।
बृहदेश्वर मंदिर को राजराजेस्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्यूंकि इस मंदिर की स्थापना चोल वंश के सर्वाधिक प्रतापी राजा – राजराज चोल ने करवाया था।
यह मंदिर ग्रेनाइट नामक धातु से मिलकर बना है जो अपने आप में अनोखा है।
यह पुरे भारत में एकमात्र मंदिर है जो इस धातु से बना है।
इस मंदिर की खूबसूरती और स्थापत्य कला को देखते हुए UNESCO ने इसे विश्व धरोहर सूची में स्थान दिया है, जो इसे और भी खास बनती है।
2. बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास [Brihadeeswar Temple History]
तंजौर स्थित बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण 1003-1010 ईस्वी के बीच में हुआ था। इस प्रसिद्ध मंदिर को चोल वंशी राजराज चोल द्वारा बनवाया गया था।
शुरुवाती दिनों में यह मंदिर राजराजेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता था लेकिन धीरे धीरे यह मंदिर अपन वृहद् यानि बड़े आकार के रूप में जाना जाने लगा और इसे लोग बृहदेश्वर मंदिर के रूप में जानने लगे।
यह मंदिर 1000 सालों से भी ज्यादा पुराना है।
यह मंदिर देवो के देव भगवान् शिव जी को समर्पित है। इन्हे उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत में भी पूजा जाता है। इन्हे नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के दिन इसी मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
शिवरात्रि के दिन ही भगवान् शिव जी ने माता पार्वती जी के साथ विवाह किया था और अपनी गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी।
3. राजराज चोल कौन थे ?
राजराज चोल को चोल वंश का सबसे प्रतापी राजा माना जाता है। इनका जन्म 985 में हुआ था।
इनके पिता का नाम सुन्दर चोल और माता जी का नाम महादेवी था। थिरुवलंगाधू नामक शिलालेख के माध्यम से हमें इनका एक और नाम अरुलमोली का पता चलता है।
3.1 राजराज प्रथम का विजय अभियान [Rajraj I victory]
राजराज प्रथम ने चेर वंशीय राजाओ को हराकर कांदलुर शालाईकल मरुंत की उपाधि धारण की थी।
इसके आलावा उन्होंने श्रीलंका पर आक्रमण किया और महेंद्र 5 को हराया साथ ही वहां पर शिव मंदिर का निर्माण किया।
राजराज प्रथम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विजय कडाराम की थी। इस राज्य का राजा था- कुलोत्तुंगवर्मन।
इस राज्य पर अधिकार करके उन्होंने पंडितचोल, मुन्डिगोचोल, वीर राजेंद्र और गंगईकोंड चोल की उपाधि धारण की।
चोल अभिलेखों से हमें यह पता चलता है की राजराज प्रथम ने कलिंग [ वर्त्तमान में उड़ीसा ] के साथ साथ 1200 द्वीपों पर कब्ज़ा किया था।
इसके आलावा अपने एक दूत को चीन भी भेजा था।
3.2 राजराज प्रथम की उपाधियाँ [Titles of RajRaj I]
राजराज प्रथम की उपाधियाँ निम्नलिखित है-
- मुम्माद्विचोल
- जायगोंड
- चोलमार्तण्ड
- पंडितचोल
- मुन्डिगोचोल
- वीर राजेंद्र
- गंगईकोंड चोल
मलाया, जावा, और सुमात्रा द्वीप पर कब्ज़ा करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
4. बृहदेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला [Architecture of Brihadeeswara Temple ]
यह मंदिर 13 मंजिला है तथा 66 मीटर ऊँचा है।
यह मंदिर कला की सभी शाखा जैसे की वास्तुकला, प्रतिमा विज्ञानं चित्रांकन नृत्य संगीत आभूषण पाषाण और ताम्र शिल्पांकन इत्यादि ,जैसे खूबियों से परिपूर्ण है।
इस मंदिर में तमिल और संस्कृत भाषा जिसे देवो की भाषा के नाम से भी जाना जाता है प्रयोग किया गया है।
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है की इस मंदिर की गुम्बद ( मंदिर का सर्वाधिक ऊँचा भाग ) की परछाई shadow धरती पर नहीं पड़ती है। यह मंदिर 1000 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है फिर भी इस मंदिर का यह रहस्य आज भी वैज्ञानिको और पुरातत्विदों द्वारा समझा ना जा सका है।
इसका शिखर पर एक कलश रखा हुआ है जो की सोने धातु [Gold] से बना हुआ है।
यह गुम्बद अष्टभुजाकार में बनाया गया है।जिस पत्थर पर यह कलश रखा हुआ है उसका अनुमानित वजन है – 80 टन।
यह पत्थर अपने आप में अनोखा है क्यूंकि यह पत्थर एक ही है एक ही पत्थर को काटकर यह बनाया गया है।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर यानि गोपुरम में भगवन शिव जी की सवारी – नंदी विराजमान है।
नंदी जी की यह प्रतिमा 6 मीटर लम्बी, 2.6 मीटर चौड़ी एवं 3.7 मीटर ऊँची है।
यह पुरे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसी नंदी प्रतिमा है जो इतनी बृहद [BIG] और एक ही पत्थर को काटकर बनायीं गयी हो।
मंदिर के गर्भगृह में 8.7 मीटर ऊँचा शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिरके विकास में कई वंशजो ने अपना सहयोग दिया है।
जैसे पंड्या शासक, विजयनगर शासक [राजा कृष्णदेव राय] और मराठा शासक इत्यादि।
बृहदेश्वर मंदिर की दीवारों पर प्रसिद्ध भारतनाट्यम नृत्य की छवि उकेरी गयी है।
इस सम्पूर्ण मंदिर को बनाने में किसी भी प्रकार के सीमेंट प्लास्टर या फिर सरिया का प्रयोग नहीं किया गया है।
यह सम्पूर्ण मंदिर केवल और केवल एक ही विशाल पत्थर को काटकर बनाया गया है।
इस मंदिर के पांच भाग है-
मंदिर का भाग | महत्व |
---|---|
श्री विमान | शिखर वाला भाग |
नंदी मंडपम | नंदी हाल |
मुखमंडपम | मंदिर का प्रमुख भाग |
महामंडपम | वृहद् दीवार |
अर्धमंडपम | मंदिर के मुखमंडपम भाग को श्री विमान से जोड़ना |
5. मंदिर के दर्शन का सबसे लोकप्रिय समय [ Best time to visit Brihadeeswar temple, tanjavur ]
बृहदेश्वर मंदिर तमिलनाडु में स्थित है। चूँकि यह राज्य हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी से लगता है इसलिए यहाँ पर मानसून का आगमन अन्य राज्यों के अपेक्षा जल्दी आता है और बारिश करवाता है।
तमिलनाडु राज्य की जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु है, इसलिए जहाँ गर्मियों में एक तरफ धुप निकली रहती है वही समुद्र के किनारे पर स्थित होने के कारण बारिश भी होती रहती है।
कुल मिलकर यहाँ का मौसम सुहावना होता है।
बृहदीश्वर मंदिर के दर्शन के लिए आप सर्दियों में जा सकते है। चूँकि यहाँ उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है तो ज्यादा ठण्ड भी नहीं पड़ती है।
6. बृहदेश्वर मंदिर और कोणार्क का सूर्य मंदिर की तुलना [Diff.Brihadeeswar Temple and Birla Temple]
बृहदीश्वर मंदिर और कोणार्क के सूर्य मंदिर की तुलना इस प्रकार है-
बृहदेश्वर मंदिर | कोणार्क का सूर्य मंदिर |
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स्थिति-तमिलनाडु के तंजौर | स्थिति- उड़ीसा के कोणार्क |
निर्माण कार्य- राजराज चोल द्वारा | निर्माण कार्य- नरसिम्हादेव प्रथम |
वास्तुकार- सामवर्मा | वास्तुकार- बिशु महाराणा |
निर्माण वर्ष- 1003-1010 | निर्माण वर्ष- 1250 |
समर्पित मूर्ति- भगवान् जी को शिव | समर्पित मूर्ति- सूर्य देवता जी को |
7. बृहदेश्वर मंदिर में देवी और देवताओं की स्थापित मूर्तियां [God and Goddes sculprures in Brihadeeshwar Temple]
मंदिर की दीवारों के दोनों तरफ ही देवी और देवताओ की मूर्तियां लगी हुयी है। जो इस प्रकार है-
उत्तर की दीवार पर स्थापित मूर्तियां | दक्षिण की दीवार पर स्थापित मूर्तियां |
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भैरव (शिव जी) | गणेश जी |
महिषासुरमदर्दिनि (माँ दुर्गा) | विष्णु जी |
माँ सरस्वती | गजलक्ष्मी या देवी लक्ष्मी |
बृहदेश्वर मंदिर में अनेकों देवी और देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। इनमे 18 प्रतिमाये प्रमुख है , जिसका विवरण इस प्रकार है-
- माँ दुर्गा
- गणेश जी
- विष्णु भगवान
- भूदेवी
- नातेसा
- कालांतका
- श्रीदेवी
- भिक्षाटन
- वीरभद्र
- देवी लक्ष्मी
- नरसिंम्हा
- वराह
- महिषासुरमर्दिनि
- भैरव
- अर्धनारीश्वर
- गंगाधर
- हरिहरा
- वृषबवाहन
8. बृहदेश्वर मंदिर के शिलालेख [Inscription in Brihadeshwara Temple]
बृहदेश्वर मंदिर के बारे में कई ग्रन्थ मिलते है जो इसकी महिमा की गुणगान करते है।
ये सभी शिलालेख तमिल और संस्कृत भाषा में लिखे गए है। इन शिलालेखों को बनवाने वाले राजा इस प्रकार है
शिलालेख | संबधित राजा |
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64 शिलालेख | राजराज चोल प्रथम |
29 शिलालेख | राजेंद्र चोल |
1 शिलालेख | विक्रमचोल कुलोतुंगा प्रथम |
1 शिलालेख | राजेंद्र चोल द्वितीय |
3 शिलालेख | पंड्या राजा |
1 शिलालेख | विजयनगर राज्य के राजा अच्युतप्पा नायक |
1 शिलालेख | विजयनगर राज्य के राजामलप्पा नायक |
9. कोरोना काल में बृहदेश्वर मंदिर की स्थिति [condition of Brihadeeswar Temple in corona period ]
दोस्तों जैसा की आप सभी को पता है की हम और हमारी पूरी दुनिया इस समय कोरोना के चपेट में है।
कुछ देशों में स्थति बेहद ख़राब है। उन देशों में हमारा भारत देश भी शामिल है।
कोरोना के कारण सभी देशों के tourism प्रभावित हुए है। इन देशों में सर्वाधिक प्रभावित देश रहे है – यूरोपीय देश खासकर ,इटली।
यही हाल भारत का भी है। कोरोना में सभी जगहों पर लॉकडाउन लगा हुआ है।
मंदिर हो चाहे मस्जिद ज्यादातर जगहों को या तो बंद कर दिया गया है या तो उन्हें कुछ सुरक्षित हाथों की जिम्मेदारियां दी गयी है।
वैसे मानिने यह आर्टिकल 10.5.2021 को लिखा हुआ है। आगे जैसी जैसे न्यूज़ आएगी तो मैं इस आर्टिकल को अपडेट करता रहूँगा ।
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10. बृहदेश्वर मंदिर के कुछ प्रमुख तथ्य [Some facts]
बृहदीश्वर मंदिर से जुड़े हुए कुछ प्रमुख तथ्य इस प्रकार है-
- इस मंदिर को बनाने में ग्रेनाइट पत्थर का प्रयोग किया गया है जो की पुरे भारतवर्ष में एकमात्र है.
- बृहदेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला के लिए UNESCO ने इसे विश्व धरोहर सूची में रखा है.
- इस मंदिर की विशाल गुम्बद की परछाई धरती पर नहीं पड़ती है.
- यह मंदिर १००० साल से भी ज्यादा पुराना है.
- इस मंदिर की महत्ता को देखते हुए भारत सरकार ने ५रूपये के सिक्के पर बृहदीश्वर मंदिर की प्रतिमा प्रकाशित की थी इसके आलावा १९५४ को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने १००० रूपये के नोट पर भी इस मंदिर की प्रतिमा प्रकशित की थी.
11. बृहदेश्वर मंदिर के स्थानीय व्यंजन [Restaurant]
दोस्तों इस मंदिर के आस पास कई भोजनालय है जहाँ पर आपको भोजन में इडली डोसा, उपमा , स्वीट पोंगल और सांभर जैसे लोकप्रिय व्यंजन या भोजन मिलेंगी जिन्हे खाने के बाद आप अपनी उँगलियाँ चाटते रह जायेंगे।
इन सबके आलावा आपको उत्तर भारत के कुछ व्यंजन भी मिल जायेंगे जिन्हे आप try कर सकते है।
12. बृहदेश्वर मंदिर में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम [Culture programs in Brihadeeswar Temple ]
बृहदीश्वर मंदिर में वर्ष में कई बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
यहाँ पर शिवरात्रि के दिन भरतनाट्यम नृत्य का आयोजन होता है जिसे देखने के लिए भारत समेत दुनिया भरके पर्यटक आते है और इस आयोजन का लुफ्त उठाते है। ने भी पुस्तक में दिया है।
13. विभिन्न पुस्तकों द्वारा चोल वंश का वर्णन [Books based on chol dynasty]
लेखक | पुस्तक | विवरण |
---|---|---|
बालकुमारन | उडैयर | राजराज चोल के बारे में विवरण |
कल्कि कृष्णमूर्ति | पोंनियिन सेलवन | राजराज चोल का विवरण |
14. परिवहन [How to reach Brihadeeswar Temple]
दोस्तों इस मंदिर के दर्शन के लिए आप मुख्यतः परिवहन के चार साधनों का प्रयोग कर सकते है जो इस प्रकार है –
सड़क मार्ग | शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ें के लिए राज्य सरकार द्वारा बसों का इंतज़ाम |
नजदीकी रेलवे स्टेशन | तिरुचिरापल्ली रेलवे स्टेशन |
हवाई यात्रा | तिरुचिरापल्ली अंतरष्ट्रीय हवाई अड्डा |
जल मार्ग | नजदीकी बंदरगाह – चेन्नई बंदरगाह |
15. नजदीकी होटल [Hotels Near Brihadeeswar Temple]
मंदिर के पास ही में कुछ होटल इस प्रकार है। इन होटल्स में पहले आप पूरी तरह से छानबीन कर ले।
Hotels | Distance |
---|---|
Hotel pandiyar Residency | 250 m |
Hotel Oriental Towers | 1.2 Km |
Sangam Hotel | 1.2 Km |
Hotel temple Tower | 750 m |
16. निष्कर्ष [Conclusion]
दोस्तों तंजावुर स्थित यह वृहदेश्वर मंदिर अपनी वृहद् आकर और वास्तुकला केलिए जाना जाता है।
उम्मीद है हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।
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तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी।
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धन्यवाद।