भीमकुण्ड का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Bhimkund in hindi

1. भीमकुण्ड का इतिहास [Bhimkund history]

भीमकुण्ड जो की भीम और कुंड शब्द से मिलकर बना हुआ है। जहाँ भीम का अर्थ होता है बलशाली या भीमकाय और कुंड का अर्थ होता है जल अथवा वह स्थान जहाँ पर जल स्थिर हो।

यह कुंड मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है। भीमकुण्ड के विषय में कुछ मान्यताये एवं विचार यहाँ के निवासियों में मिलती है। आइये जानते है इन मान्यताओं और विचारों को –

भीमकुण्ड के मान्यतों में से एक बात यह कही जाती है की इसका सम्बन्ध महाभारत काल से है। शतरंज के खेल में पांडवों के हारने के पश्चात दुर्योधन ने एक शर्त रखी थी –

” उन्हें 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास बिताना होगा “

12 वर्षो के वनवास के पश्चात पांडवों के सामने अब प्रश्न अज्ञातवास का था।

अज्ञातवास के दौरान, अगर दुर्योधन उन्हें पहचान लेता तो पांडवों को फिर से 12 वर्षो का वनवास झेलना पड़ता। ऐसी स्थिति से बचने के लिए पांचों भाइयों ने मिलकर एक योजना बनायीं।

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यह योजना यह थी की इस अज्ञातवास के दौरान वे मत्स्य देश के राजा विराट के यहाँ पर बहरूपिया बनकर रहेंगे।

अपनी इस योजना को पूरा करने के लिए पांचो भाई मत्स्य देश की तरफ चल पड़े।

इस यात्रा जगह जगह विश्राम करके वह आगे बढ़ने लगे। इसी दौरान द्रौपदी जो को प्यास लगी। प्यास बुझाने के लिए उन्होंने आस पास निगने डाली तो उन्हें कोई भी कुंड जलाशय या फिर नदी नहीं दिखाई पड़ी।

ऐसी स्थिति में युधिष्ठिर जी को पता था की उनके छोटे भाई नकुल जी को एक वरदान की प्राप्ति है जिसकी मदद से वह अपने परिवार की प्यास बुझा सकते है।

इस वरदान की मदद से ही नकुल जी ने पाताल लोक में स्थित जल का पता लगाया।

लेकिन स्थिति अब भी पहले के ही जैसी थी तब युधिष्ठिर जी ने भीम से कहा की इस इस जगह पर अपनी गदा का प्रहार करें जिससे जल स्त्रोत निकल पड़े और वह अपने परिवार की प्यास भुझे पाएं।

बलशाली भीम जी ने अपनी गदा का प्रहार किया और जल स्त्रोत फुट पड़ा लेकिन यह जल स्त्रोत अब भी उनके पहुँच से बाहर था।

अब ऐसी स्थिति में उन्होंने धनुर्धारी अर्जुन की तरफ देखा। धनुर्धारी अर्जुन ने अपनी युद्ध कला शैली का प्रयोग करते हुए अपनी बाण या तीर द्वारा सीढियाँ बना दी।

इस प्रकर उनके परिवार ने अपनी प्यास बुझाई। महाबली भीम जी के द्वारा इस कुंड का निर्माण होने से ही इस स्थल का नाम भीमकुण्ड पड़ा।

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2. भीमकुण्ड की वास्तुकला [Bhimkund architecture]

बलशाली भीम द्वारा गदा के प्रहार से इस जलाशय का निर्माण हुआ था। यही वजह है की यह जलाशय एक गदा की संरचना लिए हुए है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस जलाशय का निर्माण व पर्यटन सम्बन्धी कार्यों के लिए इस स्थल का विकास किया गया है। इसे भविष्य में लेकर अन्य योजनाये भी सम्मिलित है।

इसी कुंड के ऊपर भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी जी की एक प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया है। इसके आलावा यहाँ पर तीन अन्य छोटे छोटे मंदिर भी स्थित है।

3. प्रवेश का समय और प्रवेश शुल्क [Bhimkund timing & Ticket price]

इस स्थान पर किसी भी प्रकार का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है। वही यदि पर्यटन में लगने वाले समय की बात करें तो इस स्थल को आप लगभग 2 से 3 घंटे में पूरी तरह से घूम पाएंगे।

4. अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place in]

मध्य प्रदेश में एक से बढ़कर एक दर्शनीय स्थल है। यदि आपका मध्य प्रदेश घूमने का प्लान है तो इन स्थलों पर आप जा सकते है। ये स्थल इस प्रकार है –

5. परिवहन सुविधा [How to reach]

सड़क मार्ग राज्य सरकार एवं प्राइवेट बसों का प्रबंध किया गया है।
रेलवे स्टेशन खजुराहो रेलवे स्टेशन
वायु मार्ग खजुराहो हवाई अड्डा

6. भीमकुण्ड की लोकेशन [Bhimkund map]

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