all about Vinoda Bhave Ashram | पवनार आश्रम | Place review in Hindi

1. विनोद भावे आश्रम

विनोद भावे आश्रम महाराष्ट्र के पवनार गांव में स्थित है। पवनार में स्थित होने के इस आश्रम को पवनार आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।

यही पर आचार्य विनोद भावे जी की समाधी स्थल है। जैसा इस आश्रम का नाम है वैसा ही यह आश्रम है यानि एकदम शांत वातावरण।

यह आश्रम 15 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। विनोद भावे जी इस आश्रम की स्थपना विशेष तौर पर महिलाओं के लिए ही किया था। जहाँ पर महिलाये अपना जीवन अध्यात्म में बिताना चाहती थी।

पवनार आश्रम का सबसे बड़ा आकर्षण है परधाम आश्रम। इस आश्रम की स्थापना भावे जी ने की थी।

2. विनोद भावे आश्रम कहां स्थित है?

पवनार आश्रम महाराष्ट्र के वर्धा जिले में स्थित है।

Address- पवनार आश्रम

3. आचार्य विनोदा भावे कौन थे ?

आचार्य विनोद भावे जी को National Teacher of India को कहा जाता है। इनका जन्म 11 सितम्बर 1895 को महाराष्ट्र में हुआ था। इनके माता जी का नाम रुक्मिणी देवी और पिता जी का नाम था शम्भू राव

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vinoda bhave

इनके पिताजी एक बुनकर थे और चाहते थे की समाज का उद्धार हो। बचपन से ही उनकी माता जी उन्हें रामायण महाभारत और गीता इत्यादि की कथा सुनाया करती थी।

बचपन से ही वह अध्यात्म की दुनिया में जीने लगे थे। एक आम लड़का जिसे अपना बचपन जीना चहिये थे, अपने मित्रों के साथ खेलना चाहिए था वह अब सन्यासी बनने की राह पर निकल पड़ा था।

3.1 विनोद भावे और महात्मा गाँधी

1916 में विनोद भावे जी ने गाँधी जी को एक letter लिखा और उनसे मिलने की इच्छा जताई। गाँधी जी तुरंत मान गए और उन्होंने विनोद भावे जी को मिलने के लिए अहमदाबाद के कोचरब आश्रम बुलाया।

विनोद भावे जी की सादगी देखकर गाँधी जी बड़े प्रसन्न हुए उन्होंने सोचा की उनका अगला उत्तराधिकारी विनोद भावे बन सकते है। पर फिर भी उन्होने उन्हें परखने की सोची इसलिए उन्होंने विनोदा भावे जी को वर्धा आश्रम में सेवा करने के लिए भेजा।

इस आश्रम में वह हरिजनों के बच्चों को पढ़ाते थे। उनके अंदर कमाल की Leadership थी। वह गीता के बहुत बड़े भक्त और विद्वान थे। उन्होंने भगवदगीता  का translation मराठी भाषा में भी किया था।

3.2 विनोदा भावे और स्वतंत्रता संग्राम

गाँधी जी के संपर्क में आने के कारण अब विनोदा भावे जी अपनी जिम्मेदारियों को और अच्छे से निभाने लगे। गाँधी जी भी उन्हें रोज नए-नए जिम्मेदारियों से लाद देते थे।

1920 और 1930 के दशक में वह कई बार जेल भी गए। इस जेल में उन्होने अपने भारत माता के सपूतों को स्वतंत्रता के प्रति जोश से भर दिया। वह संस्कृत के प्रकांड विद्वान् थे।

3.3 विनोदा भावे जी की रचनाएँ

विनोद भावे जी द्वारा लिखी गयी कुछ महत्वपूर्ण रचनाये इस प्रकार है-

  1. Talks on the Gita
  2. Thoughts on education
  3. The intimate and the Ultimate
  4. The essence of Quran
  5. The essence of Christian teachings
  6. Swarajya shastra

4. निष्कर्ष

दोस्तों पवनार आश्रम शहर की भीड़भाड़ से दूर है जहाँ पर न तो शहर की शोर सुनाई पड़ती है और नहीं कोई कोलाहल होता है। इस आश्रम में एक अलग ही शांति का अनुभव होता है।

सिर्फ यही आश्रम ही नहीं बल्कि भारतवर्ष के किसी भी आश्रम में आप जायेंगे तो आपको एक अलग ही शांति का अनुभव प्राप्त होगा। इस आश्रम में कोई भी वस्तु आपको artificial देखने को नहीं मिलेगी।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी है और आपको लगता है की यह article  helpful  है तो इसे अपने social media में जरूर share कीजियेगा।

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