1. श्री रामनुजार मंदिर कहाँ पर स्थित है?
श्री रामनुजार मंदिर दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के श्रीपराम्बुदूर, कांचीपुरम जिले में स्थित है।
यह मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी जी को समर्पित है।
दक्षिण भारत में अधिकांश मंदिरों में आपको भगवान विष्णु और उत्तर भारत में अधिकांश मंदिरो में आपको भगवान भोलेनाथ यानि शिवजी की प्रतिमा स्थापित है।
2. रामानुजा कौन है?
भक्ति काल के प्रसिद्ध वैष्णव संत श्री रामनुजा जी का जन्म 26 अप्रैल 1017 के आसपास श्रीपेरंबुदूर, तमिलनाडु में हुआ था।
रामनुजार जी को नीतिराज उदयवर और प्रेपरुमार इत्यादि नामो से जाना जाता है।
रामानुजाचार्य जी ने वेदांत दर्शन पर आधारित अपना एक नया दर्शन लोगो के सामने रखा जिसे हम विशिष्ट अद्वैत वेदांत के नाम से भी जानते है।
दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन की अलख जलाने का श्रेय इन्ही को जाता है।
दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन का प्रचार प्रसार सर्वप्रथम अलावार और नयनार संतों ने किया था।
अलावार का अर्थ होता है- ज्ञानी व्यक्ति या विद्वान। इनका मानना था की ईश्वर एक है।
वह एकेश्वरवादी विष्णु भक्त थे। इनका मानना था की केवल और केवल विष्णु भगवान की भक्ति से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। रामानुजाचार्य जी के गुरु यमुनाचार्य जी थे। वह एक अलावार संत थे।
अलावार संतों की कुल संख्या 12 थी।
- पोयगइ
- पयालवार
- तिरुमलाई
- नम्माळ्वार
- मधुरकवि
- कुलशेखर
- पेरियाळ्वार
- अंडाल
- तोंडरदीप्पोडि
- तिरुजान
- तिरुमंगी
- भुत्तार
अलावार संतों में केवल अंडाल ही एकमात्र महिला संत थी। रामानुजाचार्य जी की मृत्यु 1137 में श्रीरंगम में हुआ था।
2.2 साहित्यिक कार्य
रामानुजाचार्य जी ने अनेको पुस्तके लिखी जो इस प्रकार है –
वेदांतदीपं | वेदान्तसंग्रहम |
वेदान्तसारम | नित्यग्रन्थम |
शरणागतिदयम | श्रीभाष्यम |
श्रीवैकुण्ठगद्यं | गीताभाष्यम |
4. स्थापत्य कला
दक्षिण भारत में ज्यादातर मंदिर द्रविण शैली में बनाया गया है। इसी तरह से उत्तर भारत में ज्यादातर मंदिर नागर शैली मे बनाया जाता है। श्रीपेरंबुदूर रामानुजा मंदिर भी द्रविण शैली के अंतर्गत बनाया गया है।
यह मंदिर 1.5 एकड़ जमीन पर बना हुआ है। यह मंदिर चोल और विजयनगर स्थापत्य कला से परिपूर्ण है।
6. सपर्क सूत्र
श्री रामनुजार मंदिर की Website है- http://www.sriperumpudurramanujartemple.tnhrce.in/
टेलीफ़ोन संख्या- 044 2716 2236
6. रामनुजार मंदिर में दर्शन
श्री रामनुजार मंदिर के कपाट सुबह 6.30 बजे से 12.00 बजे तक खुलते है।
12 बजेसे 4 बजे तक यह बंद रहता है। उसके बाद यह मंदिर 4.00 बजे से रात के 8.30 तक खुला रहता है।
उसके बाद इस मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है।
. श्री रामनुजार मंदिर में रोजाना 4 बार धार्मिक रीती रिवाज से पूजा की जाती है।
उषाथकलाम | 8 Am |
कलासनथी | 10 Am |
सायरक्षाई | 5 Pm |
अर्धाजमाम | 7 Pm |
8. निष्कर्ष
दोस्तों दक्षिण भारत में बहुत ही सुन्दर सुन्दर मंदिरों के दर्शन आपको प्राप्त हो जायेंगे।
कुछ मंदिरों की खूबसूरती इतनी आकर्षक ही की आप अपनी नजरें हटा ही नहीं पाएंगे।
इन मंदिरों में एक से बढ़कर एक कलाकारी की गयी होती है जो शायद आज के समय में संभव न हो।
तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी।
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