all about Ramsetu Bridge in Hindi | रामसेतु पुल के 7 रहस्य

1. रामसेतु पुल क्या है ?

रामसेतु पुल आज से नहीं बल्कि वैदिक काल के दौरान बनाये गए सबसे प्राचीन पुलों या bridges में से एक है।

ऐसी मान्यता है की इसे बनाने में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के हाथों हुआ था।

यह रामसेतु पुल 100 योजन जितना लम्बाई थी। एक योजन में लगभग 13 से 15 किमी लम्बा था।

1.1 रामसेतु पूल कहाँ पर स्थित है ?

रामसेतु पुल भारत के दक्षिणतम राज्य तमिलनाडु में स्थित है।

यह पुल श्रीलंका व रामेश्वरम के मध्य स्थित एक मन्नार की खाड़ी के पास ही में स्थित है। यह पुल एक चेन की तरह दिखती है।

इस पल को बनाने में ना ही किसी सीमेंट या प्लास्टर का प्रयोग हुआ है और ना ही इसे बनाने में किसी भी प्रकार की बजड़ी का प्रयोग हुआ है।

बल्कि इसे केवल और केवल पत्थरों को आपस में जोड़कर बनाया गया है।

1.2 रामसेतु कितने दिनों में बनकर तैयार हुआ ?

पौराणिक मान्यताओं और ग्रंथो के अनुसार रामसेतु पल आज से लगभग करोङो साल पहले मात्रा पांच दिनों में तैयार किया गया था।

इसे बनाने में 1 करोड़ बंदरों ने सहयोग किया था।

2. रामसेतु पूल का इतिहास

रामसेतु पुल का इतिहास हिन्दुओं के प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण का एक पहलु है। आइये इस जाने-

रामायण के अनुसार माता सीता जी को जब लंका नरेश रावण ने उन्हें छल से अपने कब्जे में लेकर उन्हें लंका ले गया।

इस स्थिति में भगवन श्रीराम और उनके प्रिय भाई लक्ष्मण जी द्वारा माता सीता की खोज में निकल पड़े।

रास्ते में उन्हें जटायु जिन्हे गिद्धाराज भी कहते है मिले उन्होंने माता सीता की खोज में निकले श्रीराम जी से बताया की दुष्ट रावण ने उन्हें अपने साथ दक्षिण दिशा की और ले गया है।

आगे बढ़ने पर उनकी मुलाकात वानरों के राजा सुग्रीव से होती है।

वानर सुग्रीव से जब श्रीराम जी ने मदद की गुहार लगयी तब राजा सुग्रीव ने उनके सामने एक शर्त रखी की उनके भाई बाली की मृत्यु और उन्हें पुनः राजगद्दी मिलने के पश्चात् ही वह उनकी मदद करेंगे।

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यही पर श्रीराम जी से हनुमान जी की मुलाकात होती है।

इस पहली मुलाकात के समय से ही वह श्रीराम के परम भक्त बन गए। हनुमान जी ने माता सीता जी का पता लगाया लेकिन रास्ते में समुद्र होने की स्थिति में वह सभी निराश हो उठे और अंततः समुद्र में पत्थरों की मदद से पुल बनाया।

3. रामसेतु के बारें में नासा का क्या कहना है ?

रामसेतु पुल जिसे एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। इस पुल के निर्माण में नासा ने भी अब माना है की यह पुल लगभग 7000 साल पुराना है।

नासा के वैज्ञानिको के अनुसार रामसेतु पूल के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बना था. इसे प्यूमाइस स्टोन के नाम से भी जाना जाता है.

4. रामसेतु पुल के प्रमुख तथ्य

  • रामसेतु पूल का निर्माण वानरों के राजा सुग्रीव के दो प्रमुख सेनापति नल और नील द्वारा बनवाया था.
  • इस पूल का निर्माण में १ करोड़ों वानरों की मदद ली गयी थी.
  • इसे बनाने में मात्रा ५ दिन ही लगे थे.
  • इस पूल के बनाने के लिए भगवान् श्रीराम जी ने व्रत रखा था.
  • इस पूल को विभिन्न नामों से जाना जाता है- नील पूल, एडम्स पूल
  • नासा के वैज्ञानिको के अनुसार रामसेतु पूल के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बना था. इसे प्यूमाइस स्टोन के नाम से भी जाना जाता है.
  • यह पत्थर पानी में कभी नहीं डूबता थे.

5. सेतुसमुद्रम परियोजना

सेतुसमुद्रम परियोजना का ऐलान 2005 में [यूपीए ]भारत सरकार द्वारा किया गया था।

इस परियोजना के लिए इस पुल के विभिन्न हिस्सों को गहरा करके समुद्री जहाजों के अनुकूल बनाया जायेगा।

इस परियोजना के पूरा होने के पश्चात यात्रियों का कुल 30 घंटे 650 किमी का सफर बचेगा।

कई पर्यावरणविद , हिन्दू कट्टरपंथी, इत्यादि इसे बनाने नहीं देना चाहते।

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