all about Meenakshi Amman Temple | मीनाक्षी मंदिर का इतिहास

1. मीनाक्षी मंदिर कहाँ पर स्थित है ? [Meenakshi Temple in Hindi and its location]

मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य के ऐतिहासिक शहर मदुरै में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना दक्षिण भारत से सर्वाधिक शक्तिशाली राजवंशों में से एक पंड्या वंश के शासकों ने की थी।

यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है। इतने वर्षों के बीत जाने के बाद भी यह मंदिर अपनी पुरानी भव्यता और कलाकारी समाहित किये हुए है। जो इसे काफी रोचक बनता है।

यह मंदिर भगवान शिव और उनकी धर्मपत्नी पार्वती जी का है या यु कहें की माता पार्वती जी का एक रूप है- मीनाक्षी।

1.1 मीनाक्षी मंदिर में कौन सी देवी है? [Goddess in Meenakshi Temple]

शिव जी की धर्मपत्नी यानि देवी पार्वती जी को मीनाक्षी के नाम से जाना जाता है।

हिन्दू धर्म में पौराणिक कथाओ के अनुसार एक बार शिव जी अपना भेष और नाम बदलकर (सुन्दरेश्वर) माता पार्वती जी से विवाह करने मदुरै में आये थे।

1.2 मीनाक्षी मंदिर का निर्माण कब हुआ ? [When Meenakshi Temple built ?]

मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 16 सदी में हुआ था। इस मंदिर का पुनर्निर्माण आर्य नाथ मुदलियार ने करवाया था।

1.3 मीनाक्षी मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किसने किया ? [who destroyed Meenakshi Temple ?]

मीनाक्षी मंदिर को एक मुस्लिम शासक मालिक काफूर ने 1310 ईस्वी में इस मंदिर को लुटा और तो और इस मंदिर के विभिन्न हिस्सों को नष्ट कर दिया।

इस मंदिर का पुनर्निर्माण आर्य नाथ मुदलियार ने 1559 से लेकर 1600 ईस्वी के बीच करवाया और मीनाक्षी मंदिर की को फिर से उसकी पुरानी अवस्था में लाया गया।

2. मीनाक्षी मंदिर का इतिहास [History of Meenakshi Temple]

माता पार्वती जी ने शिव जी से विवाह करने के लिए कठिन तपस्या के द्वारा राजा मलयध्वज के घर पर पुत्री के रूप में जन्म लिया।

राजा मलयध्वज ने उनका नाम मीनाक्षी रखा। मीनाक्षी के बड़े होने पर उनके पिताजी ने राज्य की जिम्मेदारी मीनाक्षी के कन्धों पर छोड़ना स्वीकार किया।

इधर भगवन शिव जी भी उनकी खोज में मदुरै नगर में पहुचें और उन्होंने मीनाक्षी जी से विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

उनके इसी मिलन को हम शिवरात्रि के नाम से भी जानते है। कहा जाता है की इस विवाह में सम्पूर्ण पृत्वी के लोग इकठ्ठा हुए थे।

इस विवाह में भगवन विष्णु जी की प्रबल भूमिका थी। लेकिन मेघो के देवता देवराज इंद्रा ने उनका रास्ता रोके रखा पर अंततः वह इस विवाह में सम्मिलित हुए।

मदुरै शहर में भगवान शिव और भगवान विष्णु जी दोनों को ही पूजा जाता है।

भगवान शिव और पार्वती जी दोनों ने ही इस नगर पर कई वर्षों तक शासन किया। उनके बैकुंठ जाने पर देवराज इंद्रा ने उस स्थान पर एक शिवलिंग की स्थापना की और वही एक भव्य मंदिर की नीव रखी।

इस मंदिर में प्रतिवर्ष शोभयात्रा के दौरान शिव पार्वती विष्णु और तो और इंद्रा की भी झांकियां निकलती है। जो बेहद आकर्षक लगता है।

3. मीनाक्षी मंदिर की स्थापत्य कला [Meenakshi temple architecture]

मदुरै स्थित इस मंदिर में द्रविण शैली का प्रयोग किया गया है। यह शैली दक्षिण भारत में अधिकांश इमारतों जैसे मंदिरों महलो संग्रहालयों इत्यादि में किया गया है।

द्रविण शैली दक्षिण भारत की एक अनोखी शैली है जिसे अधिकांश मंदिरों पर प्रयोग के तौर पर किया गया था और आज भी इसका प्रयोग काम नहीं हुआ है।

मीनाक्षी मंदिर को आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है।

इसका प्रमुख कारन इस मंदिर की स्थापत्य कला है। इस मंदिर में कुल 12 गोपुरम है। गोपुरम, को विमानम के नाम से भी जाना जाता है।

गोपुरम मंदिर के सर्वाधिक ऊंचाई वाली ईमारत लगभग 170 फीट होती है।

यह कई स्तम्भों पर स्थापित होती है जिस वजह से मंदिरों की खूबसूरती और भव्यता बढ़ जाती है। मंदिर में गोपुरम की संरचना दक्षिण भारत के अधिकांश मंदिरों में पायी जाती है।

इन गोपुरम में बड़ी ही महीन कलाकृतियां बनायीं गयी है, साथ ही विभिन्न देवी देवतों की मूर्तियां बनायीं गयी है।

गोपुरम के बाहरी दीवारों पर इस प्रकार की कलाकारी देखने को मिलती है।

साथ ही विभिन्न चित्रकारी के जरिये इसे सजाने की कोशिश की गयी है जो वाकई काफी आकर्षक लगता है।

इस मंदिर का गर्भगृह 3500 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। यह मंदिर लगभग 45 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।

इस मंदिर की लम्बाई 254 मीटर और चौड़ाई लगभग 237 मीटर है।

मंदिर के गर्भगृह में अनेक मंडप बनाये गए है। इन मंडपों में सहस्रांभ मंडपम अत्यंत खास है।

इस मंडप में कुल 985 खम्भे है। मंदिर के बहार ही एक स्वर्ण पुष्करणी नामक एक सरोवर या तालाब है जिसके चारों तरफ मंडपों को बनाया गया है।

इसी जगह से भगवन सुंदरेश्वर की प्रतिमा को उत्सवों के दौरान सजाकर नाव में बिठाकर उन्हें सैर कराया जाता है।

4. उत्सव एवं त्यौहार

मीनाक्षी मंदिर में प्रतिवर्ष कुछ उत्सवों और त्योहारों का आयोजन किया जाता है।

ये निम्नलिखित है-

  1. मीनाक्षी तिरुकल्याणम
  2. रथ यात्रा
  3. शिवरात्रि
  4. नवरात्री
  5. नौका उत्सव

5. परिवहन सुविधा [How to reach Meenakshi temple]

नजदीकी रेलवे स्टेशनमदुरै जंक्शन, कुडाल नगर स्टेशन, तिरुप्पारंकुन्दरम रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा मदुरै हवाई अड्डा 10 km

7. निष्कर्ष [conclusion]

दोस्तों मदुरै स्थित मीनाक्षी मंदिर को आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में एक माना जाता है। इस मंदिर की कलाकृतियां बेहद खूबसूरत है।

आप इसकी भव्यता का अंदाजा इस बात से लगा सकते है की इसकी स्थापत्यकला में बारीक़ या महीन कलाकारी की गयी है।

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