Mattancherry palace | केरल का डच महल – मत्तनचेरी पैलेस

1. मत्तनचेरी क्या है ?

मत्तनचेरी महल कोच्चि में स्थित है जिसमे कोच्चि के राजा या राजवंश की विभिन्न वस्तुओं को संगृहीत करके रखा गया है।

यह एक प्रकार का संग्रहालय वाला महल है जिसे बनाया तो पुर्तगालियों ने था लेकिन समय के साथ साथ यह महल डच लोगों यानि आज के नीदरलैंड जिसे हम हॉलैंड के नाम से भी जानते है, उन्होंने इस पर अपना कब्ज़ा जमाया।

उनका इस महल पर लम्बे वर्षों तक कब्ज़ा रहा और उन्होंने अपने मनमुताबिक इस महल में कई परिवर्तन करवाए।

इसी लिए इस महल को डच महल के नाम से भी जाना जाता है।

1.1 मत्तनचेरी महल क्या है ?

मत्तनचेरी महल केरल राज्य के कोच्चि में स्थित है। इस जगह का इतिहास अति प्राचीन है।

इस जगह पर कोच्चि के राजा केरल वर्मा को खुश करने के लिए पुर्तगाल ने एक भव्य महल का निर्माण करवाया था जिसे आज हम मत्तनचेरी महल के नाम से जानते है।

1.2 मत्तनचेरी महल को किसने बनवाया था ?

मत्तनचेरी महल का निर्माण यूरोपीय देश पुर्तगाल के निवासियों ने किया था।

इसका निर्माण वर्ष 1545 के आस पास किया गया था। पुर्तगाली भारवर्ष को लुटाने के उद्देश्य से आये थे। इसीलिए ये जहाँ पर भी गए मार-काट करते थे।

ये पुर्तगाली दिन प्रतिदिन उद्दंड होते जा रहे थे और लोग भयभीत भी हो रहे थे।

इसी क्रम में जब केरल में इनका अत्याचार बढ़ने लगा तब कोच्चि राजवंश के राजा केरल वर्मा ने इन्हे भारत से खदेड़ने का सोचा।

पुर्तगालियों को जब यह बात पता चली तो वह भयभीत हो गए और उन्होंने कोच्चि के राजा को एक महल बनाकर भेट स्वरुप दिया।

राजा केरल वर्मा ने उस भेट को स्वीकार और उनसे यह आश्वासन भी लिया की भविष्य में कभी भी उनकी प्रजा को परेशान नहीं करेगी।

2. मत्तनचेरी महल का इतिहास

कुस्तुन्तुनिया जो की वर्त्तमान में तुर्की का इस्तांबुल क्षेत्र है।

आटोमन साम्राज्य द्वारा कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार कर लेने के पश्चात विभिन्न यूरोपीय देश अब उन्मुक्त रूप से व्यापार नहीं कर पा रहे थे।

उन पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों द्वारा उन्हें रोका जा रहा था। अब वे पूरी तरह से एशिया महाद्वीप से कट चुके थे।

इसी क्रम में पुर्तगाल स्पेन और इंग्लॅण्ड के राजाओं और महारानियों ने अपने देश के कुछ चुनिंदा प्रतिनिधियों के द्वारा एशिया महाद्वीप से व्यापार करने के लिए समुद्री रास्तों की ओर रुख किया।

पुर्तगाल का एक प्रतिनिधि सन 1498 में केप ऑफ़ गुड होप यानि दक्षिण अफ्रीका होता हुआ भारतवर्ष में पंहुचा। वह प्रतिनिधि और कोई नहीं वास्कोडिगाम था।

यह वही वास्कोडिगाम था जिसका स्वागत केरल के राजा जमोरिन ने खुद किया था।

इन्ही पुर्तगालियों ने कोच्चि के राजा केरल वर्मा को एक महल बनाकर भेट स्वरुप दिया जिसे हम मत्तनचेरी महल के नाम से जानते है।

भारत में जब पुर्तगलियों की कमान जब धीरे धीरे कमज़ोर पड़ने लगी तब उन्होंने भारतवर्ष को छोड़ने का प्रयास किया और कही और देश में व्यापार करने की सोची।

इसका सबसे बड़ा कारण था ब्रिटेन और डच व्यापारी । इन दोनों देशों की समुद्री सेना सर्वश्रेष्ट थी और कोई भी देश इनसे लोहा लेना नहीं चाहता था।

हालाँकि उन्होंने भारतवर्ष के कुछ हिस्सों को आजादी मिलने के बाद ही छोड़ा जिसे हम गोवा के नाम से जानते है।

यह तो हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की सूझबूझ का नतीजा था जिससे इन पुर्तगालियों को देश छोड़कर भागना पड़ा।

धन्य है यह धरती जिसने इन वीर सपूतों को जन्म दिया। यदि वल्लभ भाई पटेल गृहमंत्री के पद को सँभालते हुए पुरे देश को एक सूत्र में पिरो सकते थे तो सोचिये जब वह भारत के प्रधानमंत्री होते तो क्या करते?

3. मत्तनचेरी महल की स्थापत्य कला

दोस्तों मत्तनचेरी महल की स्थापत्य कला के बारे में बात करे तो हमें यह पता चलता है की इस महल की दीवारों पर कुल 48 भित्ति चित्र बनायीं गयी है।

इनकी बनावट और कलाकारी काफी श्रृंखलाबद्ध है। जिस वजह से यह काफी सुन्दर दिखता है।

महल के अंदर की कलाकृति में worm color का प्रयोग किया गया है जिससे यह आज भी अपनी खूबसूरती को समाहित हुए है। ये भित्तिचित्र लगभग 300 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए है।

इन दीवारों पर हिन्दू धर्म की प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण का चित्रण किया है।

साथ ही भगवन कृष्णा की लीला का दीदार भी किया गया है। इसके ऊपर वाले कमरे में जिसे राज्याभिषेक हाल कहा जाता है इन पर भी भित्ति चित्र का सहारा लिया गया है।

महल में उपनिवेशिक काल का हमे प्रभाव दीखता है। इसे केरल की रचनात्मक शैली यानि नलुकुट्टु शैली में बनाया गया था।

इस महल के आंगन में राजा की कुल देवी यानि पझाह्यनूर भगवती देवी जी की मूर्ति स्थापित है।

ऐसा माना जाता था की राजा और उनके परिवार पर भगवती देवी की कृपा से ही राजा और उन्ही प्रजा तरक्की कर पायी।

इस महल में कोच्चि के राजशाही परिवार की जीवन शैली की झलक मिलती है।

मत्तनचेरी महल में राजशाही तलवार,कुल्हाड़ी, ढल, बरछे, राजमुकुट,सिक्के इत्यादि वस्तुओं को संग्रह करके रखा गया है।

इसी तरह का एक प्रयास हैदराबाद सरकार या तेलंगाना सरकार द्वारा सालारजंग संग्रहालय बनाकर किया गया है।

इस संग्रहालय में इसी प्रकार की सजावट और राजशाही परिवार से सम्बंधित वस्तुओं को रखा गया है। जो काफी रोमांचक लगता है।

सन 1951 में केरला सरकार द्वारा इस महल की जर्जर हालत को देखते हुए इसे पुनः मरम्मत किया गया और इस महल को केंद्रीय संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया।

जिस वजह से इस जगह का महतवा भी बढ़ा और विभिन्न पर्यटकों की नजरों में आने से इस स्थान का विकास भी संभव हो पाया।

4. परिवहन [How to reach]

दोस्तों यदि आप मत्तनचेरी महल देखने आना चाहते है तो नीचे दी गयी जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी ।

मट्टनचेर्री महल से रेलवे स्टेशन की दुरी है – 10km इस स्टेशन को ऐरंकुलम रेलवे स्टेशन के नाम से भी जानते है।

हवाई यात्रा के लिए – कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो इस जगह से लगभग 42km की दुरी पर स्थित है।

5. अन्य आकर्षण

मट्टनचेर्री में पर्यटन के लिए विभिन्न जगहे है-

  1. कोचीन तिरुमला देवासवाम
  2. पहायानूर मंदिर
  3. कोच्ची संग्रहालय
  4. कुन्नन क्रॉस चर्च

6. मत्तनचेरी महल PDF

मत्तनचेरी महल की PDF  के लिए यहाँ पर क्लिक करें-

8. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों केरल राज्य में स्थित मत्तनचेरी महल को सभी लोगों को देखना चाहिए खासकर बच्चो को।

इस जगह से हम अपने प्राचीन इतिहास को समझने में मदद मिलेगी।

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