1. कोईक्कल महल क्या है ?
कोईक्कल महल भारत के केरल राज्य में स्थित है। इस महल में केरल के प्रसिद्ध राजपरिवार रहा करते थे।
देश की आजादी के पश्चात इस महल को एक संग्रहालय के रूप में केरल सरकार द्वारा सवारा गया है।
इस महल में राजपरिवार की विभिन्न वस्तुए रखी गयी है खासकर उस समय के राजाओ के मनोरंजन हेतु उपयोग में लाया जाने वाला वाद्य यन्त्र।
ये वाद्य यन्त्र काफी प्राचीन और खास है इसीलिए यह महल संगीत महल या संग्रहालय के नाम से जाना जाता है।
इस महल के दो भाग है।
- लोक संग्रहालय
- मुद्रा विज्ञान संग्रहालय
2. कोईक्कल महल कहाँ स्थित है?
कोईक्कल महल केरल राज्य के नेदुमंगड़ शहर में स्थित है।
इसका पूरा पता है-
Address- santhram junction pazhavadi nedumangad kerala
Pin code of nedumangad kerala – 695541
3. कोईक्कल महल का इतिहास
हमारा प्राचीन भारत क्षेत्रफल की दृस्टि से काफी बड़ा और सम्पन्न देश था इसी वजह से यह देश सोने की चिड़िया कहलाती थी।
जब कभी भी उत्तर भारत पर विदेशी आक्रमण होते थे तो दक्षिण भारत इन आक्रमणकारियों से बचा रहता था।
भारतवर्ष के वृहद् क्षेत्रफल का ही परिणाम था की सिर्फ कुछ शासक को छोड़कर कोई भी बड़ा राजवंश या आक्रमणकारी केरल राज्य तक नहीं पंहुचा।
यह सभी शासक उत्तर भारत तक ही सिमित रहा गए।
खिलजी वंश का दूसरा शासक अलाउद्दीन खिलजी की दक्षिण विजय ने उन्हें यहाँ तक पहुंचाया पर उसके बाद अन्य कोई भी शासक यहाँ से आगे न पंहुचा।
इसका एक कारण यह भी है की दक्षिण भारत के शासक सूझबूझ के साथ लड़ते थे और इनका आपस में मतभेद नहीं था।
जबकि उत्तर भारत में कदम कदम पर अनेक विश्वासघाती ने इस देश को गुलाम बनाने में इन आक्रमकारियों की मदद की।
इसीलिए यदि आप दक्षिण भारत की तरफ नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा की यहाँ के शासको ने अपनी सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था को किस तरह से इन आक्रमणकारियो से बचाये रखा।
ये प्रमुख शासक इस प्रकार है-
- पुलकेशिन द्वितीय
- पल्लव वंश के महेन्द्रवर्मन तथा नरसिंह वर्मन प्रथम
- राजा कृष्णदेव राय
- चोलवंशी राजा राजराज प्रथम
खैर आते है हम केरल की उस राजवंश की जिन्होंने इस महल को बनाया था।
कोईक्कल महल का निर्माण वेनाद राजकुमारी रानी उमयम्मा जी द्वारा 1677 से 1684 के मध्य बनाया गया था।
इस महल को केरल सरकार द्वारा संग्रहालय के रूप में लोगो के बीच प्रस्तुत किया है।
यह महल लोक संग्रहालय और मुद्रा विज्ञान संग्रहालय के रूप में जाना जाता है।
लोक संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की वाद्य यंत्रों का संग्रह रखा गया है। जो की अत्यंत प्राचीन और दुर्लभ है।
मुद्रा विज्ञान संग्रहालय में प्राचीन राजवंशों द्वारा जारी किये गए सिक्के या व्यापर के दौरान प्रयोग किये गए सिक्को को रखा गया है।
इन प्राचीन सिक्कों का अध्ध्य्यन ही Numismatics यानि मुद्रा विज्ञान के नाम से जाना जाता है।
4. संग्रहालय में रखी गयी वस्तुएँ
कोईक्कल महल में लोक संग्रहालय यानि folklore museum की स्थापना सन 1992 में की गयी थी।
इस संग्रहालय में प्राचीन वाद्ययंत्र, बर्तन, पांडुलिपियां, आभुषण, और विभिन्न प्रकार की राजशाही वस्तुएं रखी गयी है।
यही पर सबसे प्राचीन और दुर्लभ वाद्ययंत्र चन्द्रवलायम रखा गया है। ऐसा माना जाता है की यह वाद्ययंत्र केवल और केवल इसी राज्य के पास है।
इस वाद्ययंत्र का प्रयोग रामकथाप्पाट यानि भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा के दौरान किया जाता था।
मुद्रा विज्ञान संग्रहालय में आप दुर्लभ सिक्कों को देख सकते है। ये सिक्के काफी प्राचीन है।
इन मुद्राओ से हमे यह पता चलता है की इन सिक्को का प्रयोग विदेशी और देशी व्यापार के दौरान होता था।
इन सिक्को में ज्यादातर रोमन साम्राज्य के है।
कुछ सिक्के इस प्रकार है-
- ओट्टपुट्टैन
- इरत्तापुत्तेन
- कलियुगरायन इत्यादि
- अमैंडा
5. परिवहन
नेदुमंगड़ शहर आने के लिए आप इन परिवहन का चुनाव कर सकते है-
रेलवे स्टेशन – तिरुवनंतपुरम सेन्ट्रल – 18km |
हवाई अड्डा – त्रिवेंद्रम अंतरष्ट्रीय हवाई अड्डा 24km |
7. निष्कर्ष [Conclusion]
दोस्तों केरल राज्य में स्थित कोईक्कल महल अपने आप में एक अनोखा संग्रहालय है बिलकुल इसी तरह का एक संग्रहालय हैदरबाद सरकार द्वारा सालारजंग संग्रहालय बनाकर एक अच्छा प्रयास किया गया है।
यदि आप इतिहास के विद्यार्थी है तब तो आपको इस जगह की महत्ता जानकर अत्यंत आश्चर्य हुआ होगा।
ज्यादातर जगहों पर हमें संग्रहालयों में राजाओ की वस्तुओ को ही देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
लेकिन इस संग्रहालय में आपको विभिन्न देशों के सिक्को को देखने या उनका अध्ध्य्यन करने का मौका मिलेगा जो की मेरे हिसाब से सबसे Best है।
इस जगह की सबसे खास बात यह है की यहाँ पर दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किया गया है और तो और यह जगह बच्चो के लिए काफी रोमांचक और ज्ञानवर्धक जगहों में से एक है।
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