1. Where is Jallianwala Bagh situated
पंजाब राज्य के अमृतसर में स्थित है जलियावाला बाग Jallianwala Bagh.
जलियावाला बाग यह वह स्थान है जहाँ हमने अपनी खून की होली खेली थी। यह वही स्थान था जहाँ पर जहाँ पर हमारे निहत्थे देशवासियों पर बेरहमी पूर्वक गोलीबारी की गयी थी।
Jallianwala Bagh हत्याकांड को अमृतसर हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है।
2. Location of Jallianwala Bagh
Jallianwala बाघ पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्थित है।
Address- Jallianwala Bagh, Amritsar cantt
3. Rowlatt act and Freedom fighters
जलियावाला हत्याकांड के पीछे अंग्रेजो की एक सोची समझी चाल थी। तो आइये शुरुआत से जानते है की आखिर हत्याकांड के पीछे वजह क्या थी।
रोलेट एक्ट को अंग्रेजों ने 10 मार्च 1919 को इसे भारत की एक काउन्सिल द्वारा पारित किया गया एक कानून था। इसके तहत ब्रिटिश गवर्नमेंट को कुछ special Rights /अधिकार मिलने वाले थे।
ब्रिटिश जज सर सिडनी रोलेट के नाम पर इस कानून का नाम रोलेट एक्ट 1919 पड़ा। इस कानून को ब्लैक एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
3.1 Causes of Rolet act 1919
प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से लेकर 1918 तक चला था। इस विश्वयुद्ध में ब्रिटेन और उसके सहयोगियों की विजयी हुयी थी।
विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद ब्रिटेन आर्थिक रूप से कमजोर हो चूका था और उसे फिर से खड़ा होने के लिए धन की आवश्यकता थी।
इस धन के लिए वह अपने उपनिवेशों पर निर्भर था। इसी कड़ी में हमारा प्यारा भारत देश भी उसके चपेट में था।
1919 के विश्वयुद्ध के पश्चात् भारत में क्रांतिकारी आंदोलन अपनी चरम सीमा पर थे। इन क्रांतिकारियों और आंदोलनों को समाप्त करने के लिए अंग्रेजो के पास कोई ठोस कानून नहीं था।
इसलिए उन्होंने रोलेट एक्ट को भारत में लागु किया। जिससे की British government हमारे freedom fighters के सभी गतिविधियों पर नजर रख सकें।
3.2 Rights of British gov. under the Rowlatt act
रॉलेट एक्ट को भारत में लागु करने के पश्चात् उन्हें कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हो गए थे –
- इस कानून के अंतर्गत वह व्यक्ति जो देशद्रोह विद्रोह या सरकार के खिलाफ अगर वह व्यक्ति बोलता है तो उसे बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार मिल गया था
- इन गिरफ्तार किये गए लोगों को बिना किसी क़ानूनी कार्यवाही तथा बिना जमानत के २ साल तक जेल में रखने का अधिकार भी मिल गया था .
- समाचार या विभिन्न क्षेत्रीय पत्रिकाओं पर पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया था . अब कोई भी भारतीय बिना सरकार की अनुमति के बिना कुछ भी नहीं छाप सकती थी
- सभी भारतवासियों को धार्मिक या किसी भी जगह इकट्ठे होने पर पाबन्दी लगा दी थी.
3.3 Protest against Rowlatt act 1919
इस कानून का विरोध पुरे भारत वर्ष में हो रहा था। इस कानून के कारण लोग ब्रिटिश गवर्नमेंट पर गुस्सा हो रहे थे। इसका एक प्रमुख कारण कारण और भी था ।
देश के प्रमुख नेताओ को Britishers ने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया था। जिनमे पंडित मदन मोहन मालवीय , मोहम्मद अली जिन्नाह जैसे कार्यकर्ता शामिल थे।
इस कानून के विरोध में गाँधी जी भी मैदान में उतर चुके थे और उन्होंने इस कानून के विरोध में हड़ताल का आयोजन किया और साथ ही सभी भारतवासियों से यह अपील भी किया की वे अहिंसा का प्रयोग करके उनका साथ दें
लेकिन देशवासियों के अंदर एक ज्वाला जल रही थी और वो किसी भी कीमत पर ब्रिटिश हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेकना चाहती थी। इसलिए उन्होंने हिंसा का सहारा लेने लगे।
3.4 Jallianwala Bagh massacre
इस आंदोलन का विरोध पंजाब में भी हो रहा था। 10 अप्रैल 1919 को कांग्रेस के वरिष्ट कार्यकर्ता – किचलू और सत्यपाल जी को अंग्रेजो ने विरोध भड़काने के के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
अमृतसर के लोगों ने जब अपने नेताओ के रिहाई की बात सरकार के सामने रखी तो ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उनकी बातो को अस्वीकार कर दिया।
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का दिन था। सभी लोग इस त्यौहार को मनाने के लिए गुरूद्वारे के पास एक बगीचे में इकट्ठे हो रहे थे । जिसे आज हम जलियावाला बाग़ के नाम से जानते है।
आंदोलनकारियों को रोकने केलिए ब्रिटिश गवर्नमेंट के कर्नल डायर ने लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी लगभग 1000 से अधिक मरे गए वही 2000 के करीब लोग घायल हुए थे।
source-quora/shailendra kumar gupta
3.5 who was general Dwyer?
1912 से 1919 तक भारत में पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर डायर था। डायर का पूरा नाम था – Sir Michael Francis o’dywer
लेकिन 13 अप्रैल 1919 को हुआ हत्याकांड का आदेश o’dywer ने कर्नल Rdywer को दिया था जिसके फलस्वरूप इतनी भयानक घटना हुयी थी।
इस घटना के पश्चात् O’Dywer ने Rdywer की प्रशंसा की थी इसी वजह से उधम सिंह जी ने इसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
3.6 who was udham singh?
उधम सिंह भारत माता के वो सच्चे सपूत थे जिन्होंने जलियावाला बाग़ हत्याकांड के दोषी को उनके ही घर में घुस कर मारा था और अपने उन तमाम देशवासियों के बलिदान बदला लिया था।
13 मार्च 1919 की घटना के पश्चात् 1934 में उधम सिंह लन्दन चले गए और वही रहने भी लगे। 13 मार्च 1940 के दिन Royal society of London की बैठक में शामिल हो गए और अपने शिकार का इंतज़ार करने लगे।
जैसे ही जनरल डायर ने अपना भाषण देने के लिए मंच पर बढ़ा, तुरंत उधम सिंह ने अपनी किताब में छिपाकर लाये गए रिवॉल्वर से उसके सीने में तड़ातड़ गोलियां उतार दी।
डायर की मौके पर ही मौत हो गई। देशभक्त उधम सिंह को पकड़कर अंग्रेजो ने उन मुक़दमा चलाया और उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गयी।
4. Martyr gallery
जलियावाला बाग़ में शहीद हुए उन तमाम लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि यदि आप उनकी photos और details देखना चाहते है तो यहाँ click करें।
6. Conclusion
दोस्तों जलियावाला बाग हत्याकांड के बाद ही हमारा देश एकजुट होने का प्रयास करने लगा। इस घटना के पश्चात् भारतवर्ष में लगभग सभी क्षेत्रों में क्रांति की लहरें उठानी लगी।
तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी है और आपको लगता है की यह article helpful है तो इसे अपने social media में जरूर share कीजियेगा।
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