All about Iron Pillar Delhi | लौह स्तम्भ का इतिहास क्या है?

दोस्तों प्राचीन काल में एक से बढ़कर एक शक्तिशाली राजा हुए है जिन्होंने अपने बाहुबल द्वारा विभिन्न राज्यों को जीतकर अपने राज्यों में मिलाया और एक बृहद साम्राज्य का निर्माण किया।

उन्ही में से एक है चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य। जिन्हे इतिहास में हम चन्द्रगुप्त – II के नाम से भी जानते है।

दोस्तों आज हम उनके द्वारा निर्माण की गयी एक ऐसी अनोखी वस्तु को करीब से देखने जा रहे है जो 1500 वर्षों से आजतक उस जंग नहीं लगा है।

जी हाँ हम बात कर रहे है दिल्ली में स्थित Iron-Pillar यानी लौह स्तम्भ की। तो आइये इस लौह स्तम्भ को करीब से देखते है।

1. लौह स्तम्भ कहाँ पर स्थित है ? [Iron pillar location]

लौह स्तम्भ जिसे Iron-Pillar के नाम से भी जाना जाता है यह भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह स्तम्भ काफी प्राचीन है और इसका सम्बन्ध चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य से है।

यह लौह स्तम्भ कुतुबमीनार के पास ही में स्थित है। यह Iron-Pillar हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मों का एक भाग था यानि दोनों ही धर्म के अनुयायी इस स्थल को पूजते थे।

13 वि सदी में गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा। इस दौरान उसने इस धर्मस्थल को नष्ट किया और यही पर कुतुबमीनार की नीव डाली।

लेकिन उसके जीवन का में यह इमारत कभी बन कर तैयार ही नहीं हुयी। कुतुबुद्दीन द्वारा निर्माण करवाए जा रहे कुतुबमीनार के निर्माण का वास्तविक श्रेय उसके दामाद यानि इल्तुतमिश को जाता है।

2. लौह स्तम्भ का इतिहास [Iron pillar history]

लौह स्तम्भ का निर्माण 4 थी सदी में, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल के दौरान हुआ था। इस स्तम्भ पर संस्कृत भाषा में श्लोक और मंत्र लिखे हुए है।

यह लौह स्तम्भ पहले मथुरा में गोवर्धन की पहाड़ियों पर विष्णु भगवान के मंदिर के सामने एक ध्वज स्तम्भ के रूप में स्थित था।

इस लौह स्तम्भ को गरुण स्तम्भ के रूप में भी लोग जानते है। वर्ष 1050 में इस स्तम्भ को अनंगपाल द्वारा दिल्ली लाया गया। यह पिलर की उचांई है- 7.21 मीटर वही इसकी कुल वजन है 6016 kg.

2.1 कौन थे चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य [Who was Chandragupta vikramaditya]

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में चन्द्रगुप्त -II के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता का नाम दत्तदेवी और पिता का नाम समुद्रगुप्त था। उनके पिता समुद्रगुप्त जी बड़े वीर और प्रतापी राजा थे।

इसी वजह से ही उन्हें भारत का नेपोलियन की उपाधि प्रदान की गयी थी। अपने पिता की भांति चन्द्रगुप्त भी बड़े प्रतापी राजा हुए।

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य जी की दो पत्नियां एवं उन्हें कुल तीन संतानों की प्राप्ति हुयी।

पत्नी संतान
ध्रुवदेवी कुमारगुप्त
कुबेरनागा गोविन्दगुप्त और प्रभावती गुप्त

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में अनेकों युद्धों को जीता और अपने साम्राज्य विस्तार को बढ़ाया।

इनकी विजयों का प्रमाण हमें मेहरौली स्तम्भ लेख और उनकी द्वारा प्रचलन में लायी गयी ताम्रा मुद्राओं या सिक्कों से चलती है।

इन युद्धों को जीतकर ही उन्होंने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी। उनकी कुछ प्रमुख उपाधियाँ थी- विक्रमादित्य, नरेशचंद्र, देवश्री, देवराज, एवं देवगुप्त इत्यादि।

2.2 चन्द्रगुप्त विक्रमदित्य के नवरत्न [Chandragupta vikramaditya navratna]

ज्यादातर लोगों को यह लगता है की दरबार में नवरत्न रखने की प्रचलन मुग़ल सम्राट अकबर ने शुरू की थी तो मैं आप सभी को इस जानकारी से अवगत करवा दू की आपकी यह जानकारी अधूरी है।

इतिहास में हमें नवरत्न रखने की परम्पर चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल से मिलती है।

उनके नवरत्नों की सूचि इस प्रकार है-  

  1. धन्वन्तरि
  2. क्षणपक
  3. शंकु
  4. बेताल भट्ट
  5. घटखर्पर
  6. वररुचि
  7. अमरसिंह
  8. वराहमिहिर
  9. महाकवि कालिदास

3. लौह स्तम्भ में जंग क्यों नहीं लगता है ? [Iron pillar rusted]

दिल्ली स्थित इस लौह स्तम्भ में लोहे की मात्रा 98 % है फिर भी आज तक इस पर जंग नहीं लगा है।

भारतीय पुरातत्विदेत्ता डाक्टर बीबी लाल का कहना है की यह आयरन पिलर शुद्ध इस्पात के 20 से 30 किले टुकड़ों के जोड़ने पर हुआ है यह आज की इस्पात तुलना में इसमें कार्बन की मात्रा बेहद कम है या न्यूनतम है।

वही फॉस्फोरस की मात्रा अधिक है जबकि सल्फर और मैंगनीज़ की मिलावट की मात्रा न्यूनतम है।

4. सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा लौह स्तम्भ और चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के बारे में कई सवाल पूछे गए है। इन प्रश्नों में से कुछ प्रश्न हमने इसमें शामिल किया है और जवाब देने की पूरी कोशिश की है।

यदि फिर भी आपका Iron-Pillar से सम्बंधित कोई भी प्रश्न हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर पूछे।

आपको जल्द ही जवाब मिल जायेगा। मुझे उम्मीद है की हमारे द्वारा किया गया यह कार्य आपके लिए काफी लाभान्वित रहेगा।

1. लौह स्तम्भ कहाँ पर स्थित है ?

लौह स्तम्भ दिल्ली में स्थित है।

2. लौह स्तम्भ को बनाने का उद्देश्य क्या था ?

प्राचीन काल में राजे-महाराजों के पास अपनी विजय को प्रदर्शित करने के लिए आज कल की तरह संसाधन उपलब्ध नहीं थे।

तो इस कारण से उन्होंने अपनी विजयगाथाओं और वीरता जैसी उपलब्धियों को ताम्रपत्रों, मंदिरों और शीलचट्टानो पर खुदवाते थे ताकि आने वाली पीढ़ियां इन लोगों के बारे में जान सके और इनके वीरता के चर्चे कर सकें।

3. इस लौह स्तम्भ पर क्या लिखा गया है ?

लौह स्तम्भ पर चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा इस पर संस्कृत भाषा में श्लोक और मंत्र लिखे हुए है इसके आलावा कुछ विजय गाथाओं को भी इनमे सम्मिलित किया गया है।

इसे पूरा पढ़ने के लिए आप विकिपीडिया का सहारा ले सकते है।

4. क्या यह सच है की कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे नस्ट करने का प्रयास किया था ?

हाँ बिलकुल गुलाम वंश के राजा कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस प्राचीन लौह स्तम्भ को नस्ट करने का प्रयास किया था और कुतुबमीनार नामक एक अजान देने के लिए इमारत बनवायी, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया।

5. इसकी खासियत के बारे में बताएं ?

लौह स्तम्भ अपने आप में एक अनोखा लोहे का एक भाग है जिसपर वर्षों बिट जाने पर भी जंग का कोई निशान नहीं है।

इसके बारे में पुरातत्विदों का कहना है की यह Iron-Pillar शुद्ध इस्पात के 20 से 30 किले टुकड़ों के जोड़ने पर हुआ है यह आज की इस्पात तुलना में इसमें कार्बन की मात्रा बेहद कम है या न्यूनतम है।

वही फॉस्फोरस की मात्रा अधिक है जबकि सल्फर और मैंगनीज़ की मिलावट की मात्रा न्यूनतम है।

6. क़ुतुब मीनार के बारे में बताएं ?

कुतुबमीनार इसी लौह स्तम्भ के पास ही में स्थित है। यह भारतवर्ष की सबसे ऊँची लम्बी मीनार है। क़ुतुब मीनार की स्थापना का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक की दिया जाता है।

लेकिन इसे पूर्ण करने का श्रेय कुतुबुद्दीन के दामाद इल्तुतमिश को जाता है। इल्तुतमिश द्वारा इस मीनार को 1310 में पूर्ण करवाया था।

7. दिल्ली का लौह स्तम्भ किस धातु से मिलकर बना है ?

यह पिलर लोहे से बनाया गया है।

8. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य किस राजवंश से सम्बंधित थे ?

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य गुप्त वंश से सम्बंधित थे।

9. लौह स्तम्भ की उचांई के बारे में बताएं ?

यह लौह स्तम्भ 7.21 मीटर ऊँचा एवं इसका कुल वजन है 6016-Kg है।

10. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के माता पिता का क्या नाम था ?

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की माता का नाम दत्तदेवी और पिता का नाम समुद्रगुप्त था।

5. लौह स्तम्भ की तस्वीर [Iron pillar Delhi]

6. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों Iron-Pillar गुप्त वंश के बारे में बतलाती है। उसपर खुदी हुयी जानकारियों से हमें चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के विजयी अभियानों के बारे में पता चलता है।

इसके साथ ही साथ यह लौह स्तम्भ लगभग 1500 वर्ष पुराना है और इस पर विभिन्न जलवायु के प्रभाव का असर तक नहीं हुआ है यानि यूँ कहे की इस Iron-Pillar पर जंग तक नहीं लगी है।

जबकि यदि हम आम जान जीवन में देखें तो कोई भी लोहे की वस्तु यदि बाहर या नमीयुक्त स्थान पर रख दी जाये तो उस पर जंग लग जाता है।

दोस्तों यह जगह काफी अच्छी है खासकर यदि आप इतिहास के विद्यार्थी है तब तो आपको इसका महत्व पता होगा। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा तो मिलते है अगले आर्टिकल में।

लौह स्तम्भ दिल्ली का मैप [Iron pillar delhi map]

7. सबसे जरुरी बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

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