हुमायूँ के मकबरे का इतिहास और उसकी वास्तुकला | Humayun Tomb

दोस्तों भारत में मुग़ल शासकों द्वारा बनवायी गयी इमारते आज भी पर्यटकों के मन को लुभाती है।

फिर चाहे बात बाबर के मकबरे की हो या फिर अकबर द्वारा बनवाये गए इमारतें। यहाँ तक की शाहजहां के काल को तो मुग़ल सल्तनत का स्वर्ण काल के नाम से भी जाना जाता है।

उसके शासनकाल में तो ताजमहल जिसे विश्व का सातवां अजूबा के तौर पर जाना जाता है का निर्माण किया इसके आलावा उनके ही शासनकाल में दिल्ली का लालकिला और जामा-मस्जिद इत्यादि ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ।

यह सभी इमारते मुग़ल बादशाहों के कला और संस्कृति के प्रति रूचि का ही परिणाम है।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम चलने वाले है मुग़ल साम्राज्य के उस वीर राजा के मकबरे को देखने जिसने अपने पिता बाबर के भारत विजय को आगे बढ़ाने की कोशिश की।

जी हाँ हम बात कर रहे है मुग़ल बादशाह हुमायूँ की ।

1. हुमायूँ का मकबरा कहाँ पर स्थित है ?

हुमायूँ का मकबरा भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

यह मकबरा दीन पनाह यानि पुराने किले के पास ही में स्थित है। इस मकबरे के पास ही में कई अन्य मुग़ल राजवंश के मकबरे भी स्थित है।

जैसे-

  • बेगम हमीदा बानो
  • दारा शिकोह
  • जहाँदारशाह
  • फर्ख़ुशियर
  • रफ़ी उल-दर्जत
  • रफ़ी उद-दौलत
  • आलमगीर द्वितीय

इस मकबरे की स्थापत्य कला और इतिहास में इसकी महत्ता को देखते हुए यूनेस्को द्वारा वर्ष 1993 में विश्व विरासत सूची में रखा गया है।

हुमायूँ के मकबरे को मुग़लों का शयानगर के रूप में जाना जाता है, क्यूंकि यहाँ पर 150 से अधिक मुग़ल परिवार निवास करते थे।

यह कब्र 14 वि सदी के महान सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के दरगाह के पास ही में स्थित है।

चूँकि इस्लाम धर्म में सूफी संतों के पास ही में दफ़न होना शुभ माना जाता है इसलिए यहां पर ज्यादातर मुग़ल परिवारों की कब्रगाह हमें देखने को मिलता है।

इस मकबरे का निर्माण, वर्ष 1562 में ,मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम के निर्देशानुसार हुआ था।

इस ईमारत को पूरा करवाने के लिए मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम ने अफगानिस्तान से सैयद मुबारक इब्र मिराक घियाथुद्दीन एवं उनके पिता दोनों को ही भारत बुलाया था।

इस मकबरे सबसे खास बात यह थी की पहली बार इस चारबाग शैली का प्रयोग, भारत में किसी मुग़ल बादशाह को दफ़नाने के लिए किया गया था।

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1.1 हुमायूँ कौन था ?

भारत में मुग़ल वंश की स्थापना बाबर ने किया था। बाबर के उत्तराधिकारी के रूप में हुमायूँ ही था।

हुमायूँ का जन्म 6 मार्च 1508 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुआ था। उसकी माँ का नाम माहम सुल्ताना था। हुमायुँ के कुल तीन भाई थे।

पत्नीपुत्र
गुलरुख बेगमकामरान और अस्करी
दिलदार बेगमहिन्दाल

हुमायूँ की शिक्षा को लेकर बाबर हमेशा से ही सजग रहा था इसके लिए उसने शिक्षा की समुचित व्यवस्था कर रखी थी।

जिसमे सबसे प्रमुख था- सैनिक शिक्षा। हुमायुँ की प्रतिभा का उदाहरण हमें पानीपत के प्रथम युद्ध और खानवा का युद्ध में दिखलाई पड़ता है।

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1.2 हुमायूँ के खिलाफ षड़यंत्र

बाबर का एक प्रमुख मंत्री था- निजामुद्दीन अली मुहम्मद खलीफा।

बाबर के मंत्री ने हुमायूँ को राजगद्दी के लायक न समझा और उसने बाबर के बहनोई या बेगम खानजादा के पति मेंहदी ख्वाजा को राजगद्दी पर बैठने का प्रयास किया।

मेंहदी ख्वाजा 20 वर्षों से बाबर की सेवा करते आ रहे था।

परन्तु बाद में अपना जीवन खतरे में देखते हुए स्वयं बादशाह बनने का विचार छोड़ दिया और हुमायूँ का समर्थन करने लगा।

26 दिसम्बर को बाबर की मृत्यु हुयी और 30 दिसंबर को हुमायूँ मुग़ल राजगद्दी पर, बिना किसी अवरोध के बैठे।

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1.3 हुमायूँ की मृत्यु कैसे हुयी ?

हुमायूँ का जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा, जिस वजह से उन्होंने अपने कई राज्यों को गवायाँ और तो और पारिवारिक झगड़ों ने तो उन्हें और भी परेशान किया खासकर उसके भाइयों ने।

इस प्रकार उनका सारा जीवन व्यतीत हुआ।

एक दिन जब वह दीनपनाह पुस्तकालय की सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे तो अचानक ही उनका पैर फिसल गया जिस वजह से उनके सर पर गहरी चोट लग गयी।

सर के अंदरूनी हिस्सों में गहरी चोट लगने के कारण 27 जनवरी 1556 को मृत्यु हो गयी।

हुमायूँ की मृत्यु के पश्चात मुग़ल वंश के अगले उत्तराधिकारी अकबर बने जिन्होंने अपनी धर्मपरायणता और सूझ बुझ के साथ भारतवर्ष पर राज्य करना प्रारम्भ किया।

2. हुमायूँ के मकबरे की स्थापत्य कला

हुमायूँ का मकबरा 27.04 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस मकबरे को बनाने में चारबाग़ शैली का प्रयोग किया गया है।

यह वही शैली है जिस पर ताजमहल का निर्माण हुआ था। इस बाग़ मकबरे के लिए फ़ारसी और भारतीय कारीगरों की नियुक्ति की गयी थी।

मकबरे एक ऊँचे और चौड़े सीढ़ीनुमा मंच पर बनाया गया है, इसके चारों तरफ कमरे बनाये गए है।

इसकी संरचना अष्टकोणीय है। इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से में लगभग 42.5 मीटर ऊँचा गुम्बद बना हुआ है।

इस गुंबद को चीनी मिटटी की टाइलों से सजाया गया है।

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3. हुमायूँ के मकबरे के कुछ तथ्य

  • इस मकबरे का निर्माण, वर्ष 1562 में ,मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम के निर्देशानुसार हुआ था।
  • इस मकबरे में 150 के करीब कब्रे स्थापित है.
  • इस मकबरे की स्थापत्य कला और इतिहास में इसकी महत्ता को देखते हुए यूनेस्को द्वारा वर्ष 1993 में विश्व विरासत सूची में रखा गया है।
  • इस ईमारत को पूरा करवाने के लिए मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम ने अफगानिस्तान से सैयद मुबारक इब्र मिराक घियाथुद्दीन एवं उनके पिता दोनों को ही भारत बुलाया था।
  • इस मकबरे सबसे खास बात यह थी की पहली बार इस चारबाग शैली का प्रयोग, भारत में किसी मुग़ल बादशाह को दफ़नाने के लिए किया गया था।
  • 1857 की क्रांति के दौरान अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह जफ़र ने इसी मकबरे में शरण ली थी.
  • हुमायूँ की पत्नी की कब्र भी इसी जगह स्थापित है.
  • यही पर एक शाही नाई यानि बार्बर की भी कब्र स्थापित है जिसे नाई का मकबरा के नाम से जाना जाता है.
  • आज के इस दौर में इस मकबरे की जिम्मेदारी आगा खान ट्रस्ट करती है साथ ही यहां पर भारतीय पुरातत्व विभाग की भी रिसर्च चलती रहती है.

5. सवाल जवाब [FAQ]

1. हुमायूँ का मकबरा कहाँ पर स्थित है ?

हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है।

2. हुमायूँ के मकबरे का निर्माण किसके द्वारा किया गया था ?

इस मकबरे का निर्माण, वर्ष 1562 में ,मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बेगम हमीदा बानो बेगम के निर्देशानुसार हुआ था।

3. क्या यह सच है की अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र जी ने इसी मकबरे में 1857 की क्रांति के बाद शरण ली थी ?

हां बिलकुल 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के विफल हो जाने के बाद मुहम्मद शाह जफर जी ने इसी मकबरे में शरण ली थी।

4. हुमायूँ के मकबरे को कब यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूचि में रखा गया था ?

हुमायूँ के मकबरे को वर्ष 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूचि में रखा गया था।

5. हुमायूँ की बीवी का नाम बताइये ?

मुग़ल बादशाह हुमायूँ की बीवी का नाम हमीदा बानो बेगम था।

6. हुमायूँ का बेटे का नाम क्या था ?

हुमायूँ के बेटे का नाम अकबर था। जो आगे चलकर इतिहास में अकबर महान के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

6. हुमायूँ के मकबरे की फोटो

7. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों भारत में हुमायूँ के पिता यानी बाबर ने अपनी कब्र के पास बगीचों का निर्माण करवाया था जो धीरे धीरे पुरे मुग़ल साम्राज्य के सुल्तानों का पसंदीदा स्थापत्य कला के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

हुमायूँ के मकबरे का निर्माण उसकी बेगम हमीदा बानो बेगम द्वारा करवाया गया था।

इस मकबरे को बनाने में चारबाग़ शैली का प्रयोग किया गया है।

इस बाग़ मकबरे के लिए फ़ारसी और भारतीय कारीगरों की नियुक्ति की गयी थी।

दोस्तों यदि आप कभी भी हुमायूँ के मकबरे को देखें तो आपका अनुभव कैसा रहा, इसके बारे में कमेंट में जरूर बताएं

8. सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

9. हुमायूँ के मकबरे की लोकेशन [Humayun tombs location]

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