Airateshwar temple Thanjavur | ऐरावतेश्वर मंदिर का इतिहास और उसकी वास्तुकला

दोस्तों जब कभी भी आप दक्षिण भारत के मंदिरों की तरफ देखते है या उनके दर्शन के लिए जाते है तब आपको प्रत्येक मंदिर की वास्तुकला और उसकी खूबसूरती को देखकर निश्चित ही दंग रह हो जाते होंगे।

इनकी खूबसूरती और स्थापत्य कला के लिए विभिन्न प्रकार के पत्थरों का प्रयोग के साथ साथ विशिष्ट प्रकार के ईंटों और संगमरमर जैसे पत्थरों का भी प्रयोग हमे देखने को मिलता है

वही कही-कही पर इन मंदिरों को बनाने में तो केवल एक ही पत्थर या शिला का प्रयोग किया गया है।

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आज हम दक्षिण भारत के एक ऐसे ही मंदिर के दर्शन पर चलेंगे जिसे चोल राजवंशों द्वारा बनाया गया था।

तो आइये चलते है ऐरावतेश्वर मंदिर के दर्शन करने।

1. ऐरावतेश्वर मंदिर का इतिहास [Airateshwar temple History]

ऐरावतेश्वर मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के आराध्य देव भगवान् शिव को समर्पित है।

इस मंदिर का निर्माण चोल वंशिया राजाओं ने किया था। इसके अलावा बृहदीश्वर मंदिर और गंगैकोंडचोलीश्वरम का मंदिर भी शामिल है।

इस मंदिर को वर्ष 2004 में UNESCO द्वारा विश्व विरासत की सूची में रखा गया था।

1.1 मंदिर के सन्दर्भ में कुछ मान्यताएं

  • इस मंदिर के बारे में कहाँ जाता है की भगवान इन्द्र द्वारा अपने ऐरावत हाथी पर सवार होकर यही पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी।
  • एक दूसरी मान्यता के अनुसार एक बार महर्षि ऐरावत को ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण उनकी त्वचा का रंग बदल गया था इस वजह से उन्होने इसी मंदिर में आकर पवित्र जल में स्नान किया और थी हो गए.
  • एक और प्रचलित मान्यता के अनुसार एक बार मृत्यु के देवता भगवन यम ने भी इस मंदिर में शिव जी की आराधना की थी और इस मंदिर के पवित्र जल में स्नान करने के पश्चात मुक्ति प्राप्त कर ली थी.

2. ऐरावतेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला [Airateshwar temple architecture]

चोल वंशीय राजाओ ने अपने समकालीन जितने भी मंदिर बनवाये सभी एक से बढकर एक थे।

उनके द्वारा बनवायी गयी मंदिरो की स्थापत्य कला और खूबसूरती देखते ही बनती थी।

तंजौर स्थित इस मंदिर को भी उन्होंने रथ मंदिर के रूप में बनवाया था।

इन रथ मंदिरों में घोड़े जूते हुए होते थे जो इस प्रकार से दिखलायी पड़ते थे की जैसे की इन मंदिरों को घोड़े खींचे जा रहे हो।

यहां कितने ही स्तम्भों पर बेहतरीन नक्काशी की गयी है वही इसके बाहरी आवरण पर बेहतरीन चित्रकारी की गयी है।

यह मंदिर भी बिलकुल बृहदीश्वर मंदिर के तरह ही है वैसे ही नक्काशीदार स्तम्भ बाहरी आवरण विभिन्न्न चित्रकारियों से परिपूर्ण।

यह मंदिर अन्य मंदिरों के अपेक्षा छोटा है परन्तु बेहतरीन है। इस मंदिर में भी अन्य दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह विमान और मंडप है।

2.1 अन्य पर्यटन स्थल

3. परिवहन सुविधा [How to reach Airateshwar temple]

सड़क परिवहनराज्य सरकार द्वारा कई बसें चलायी जाती है
नजदीकी रेलवे स्टेशन दारासुरम रेलवे स्टेशन
नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

4. सवाल जवाब [FAQ]

दोस्तों आप सभी के द्वारा ऐरावतेश्वर मंदिर के बारे में विभिन्न सवाल पूछे गए है।

जिनमे से हमने कुछ महत्वपूर्ण सवालों को इस आर्टिकल में सम्मिलित किया है उम्मीद है आप सभी को यह पसंद आएगा।

1. मंदिर में दर्शन का समय के बारे में बताइये ?

ऐरावतेश्वर मंदिर सभी भक्तों के लिए सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक खुलता है उसके बाद शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है उसके पश्चात यह मंदिर बंद होता है।

2. पार्किंग के लिए कोई व्यस्था हो तो बताएं ?

जी हाँ यहाँ पर आपको अपनी कार या बाइक पार्किंग के लिए चिंता करने की जरुरत नहीं है आप निश्चिन्त रहे यहाँ पर आपको पार्किंग की व्यवस्था भी मिलेगी।

3. क्या इस मंदिर में फोटोग्राफी की जा सकती है ?

हां बिलकुल लेकिन कुछ जगहों पर आपको इसके लिए मनाही है। बाकी आप इस मंदिर के बाहर से तस्वीरें या विडिओ बना सकते है।

4. इस मंदिर का निर्माण किस राजा ने किया था ?

इस मंदिर का निर्माण चोल वंशीय राजाओं ने करवाया था।

5. ऐरावतेश्वर मंदिर कहाँ पर है ?

यह मंदिर तंजौर में स्थित है ।

5. ऐरावतेश्वर मंदिर की तस्वीर [Airateshwar temple wallpaper]

6. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों ऐरावतेश्वर मंदिर एक भव्य कला का नमूना पेश करता है।

इस मंदिर में जहाँ एक तरफ आपको द्रविण शैली में बनी हुयी कलाकृति को देखते हैं वही दूसरी और चोल साम्राज्य में हुए कला एवं संस्कृति के विकास को भी आप देख सकते है।

चोल वंशीय राजाओ ने ना सिर्फ मंदिर निर्माण बल्कि अपनी सेना और साम्राज्य को अन्य समकालीन राजाओ के मुकाबले काफी ध्यान दिया।

राजेंद्र चोल का नाम तो अपने सुना ही होगा। वह एक ऐसे चोल वंशीय वीर राजा थे, जिन्होंने श्रीलंका तक को अपनी प्रतिभा और बहादुरी से विजित किया था।

ऐसा माना जाता है की विश्व में सर्वप्रथम चोल वंशीय राजा राजेंद्र चोल ने नौसेना रखी थी। इसी सेना के बलबूते वह आज के इंडोनेशिया और जावा जैसे द्वीपों को भी जितने में सफल हुए थे।

ऐरावतेश्वर मंदिर तंजौर का मैप [Airateshwar temple tanjaur map]

7. सबसे महत्वपूर्ण बात [Most important thing]

दोस्तों इन ऐतिहासिक इमारतों या पर्यटन स्थलों पर टिकट के पैसा, यात्रा अवधी जैसे छोटी चीज़ें बदलती रहती है।

इसलिए यदि आपको इनके बारे में पता है तो जरूर कमेंट में जरूर बताएं हम जल्द ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी को अपडेट कर देंगे।

यदि इस पोस्ट में कुछ गलती रह गयी हो तो उसे कमेंट में जरूर बताएं।

धन्यवाद !

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