10 Famous tourist places in Ladakh | लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल

लद्दाख, लद्दाख और लद्दाख यह वह जगह है जो हर भारतीय के दिलों में खलबली मचाये हुए है। इस जगह की खूबसूरती और पर्यटन के क्या ही कहने।

पहले इस जगह का उतना क्रेज नहीं था लेकिन 31 oct 2019 को जब लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग कर दिया गया तब इस जगह को देखने और इसके बारे में जानकारियां जुटाने की जुगत हर कोई लगाने लगा।

इसके पहले तक लेह-लद्दाख जम्मू कश्मीर का अंग था। अब भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को तीन हिस्सों में बाँट दिया है – जम्मू ,कश्मीर और लद्दाख। लद्दाख को भी दो हिस्सों में बाँटा गया है दो प्रमुख जिले है –

  • लेह जिला
  • कारगिल जिला

लेह लद्दाख अपने खूबसूरती के लिए जाना जाता है । यहाँ एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल, बर्फीला वातावरण शांत पर्यावरण और प्रमुख रूप से यहाँ की स्थानीय बाजारें जो सभी पर्यटकों का मन लुभाती है, मौजूद है।

पहले इस जगह पर ज्यादातर लोगों का आना-जाना नहीं था लेकिन अब लद्दाख को देखने या इसे एक्स्प्लोर करने के उद्देश्य से काफी पर्यटक यहां पर आना प्रारम्भ कर दिया है।

इस वजह से यहां के स्थानीय बाजारों में पुरानी रंगत लौट आयी है।

भारत में तो यह प्रचलन बाइकर गैंग ने शुरू किया है। यदि देखा जाये तो हमें इन्ही बाइकर गैंग ने नए नए जगहों पर जाने का अनुभव और उन्हें अपने कैमरे से शूट करके दिखाने का जो प्रचलन चलाया है वह कबीले तारीफ है।

तो दोस्तों आइये चलते है लद्दाख के उन खूबसूरत वादियों में जिसका इंतज़ार हर किसी को रहता है-

Credit : Ankit Bhatia / YouTube

1. मैग्नेटिक पहाड़ी [Magnetic hill Ladakh]

लद्दाख में सर्वाधिक पर्यटकों द्वारा देखा जाना वाला यह मैग्नेटिक पहाड़ी है इसे ग्रेविटी हिल के नाम से भी जाना जाता है। क्यूंकि इस स्थान पर गाड़ियां गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने आप ही पहाड़ी की तरफ बढ़ती चली जाती है।

मैग्नेटिक हिल लेह शहर से लगभग 30 कम की दुरी और लेह-कारगिल-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।

इस मैग्नेटिक हिल के बारे में स्थानीय लोगों के साथ यहां पर आने वाले पर्यटकों में अलग-अलग भ्रांतियां है कोई इसे चमत्कार कहता है तो कोई इसे एक रहस्य के रूप में देखता है।

यहाँ पर गाड़ियां लगभग 20 किमी प्रति घंटे की स्पीड से बिना इंजन के चालू हुए चलती जाती है। जो अपने आप में एक रहस्य से कम नहीं है।

मैग्नेटिक हिल के पूर्व में सिंधु नदी बहती है, जिससे आसपास का वातावरण हर किसी को मोहित कर लेता है। इस जगह पर पर्यटक फोटो वगैरह खिचवाते है और अपनी यादो को संजोकर रखते है।

2. लेह पैलेस [leh palace]

लद्दाख में एक चीज़ जो पर्यटकों का सबसे ज्यादा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है वह है – लेह पैलेस। यह लद्दाख का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। लेह पैलेस को लाचेन पालकर महल के नाम से भी जाना जाता है।

यह एक शाही महल है जो लेह, लद्दाख के शहर की कला और संस्कृति के बारे में बतलाता है। इसका निर्माण वर्ष 1600 में सेंगगे नामग्याल द्वारा किया गया था। इसी पैलेस में नरेश एवं उनके परिवारजन रहते थे।

यह एक नौ मंजिला ऊँचा महल है जिसमे ऊपरी के मंजिलों में शाही परिवार रहा करते थे, जबकि नीचे की मंजिलों में जानवरों जैसे की घोड़ो और अन्य सामानो की हिफाजत के लिए बनाये गए थे।

इस पैलेस को एक संग्रहालय के रूप में संग्रहित और सुरक्षित रखा गया है। यहाँ पर लेह राजपरिवार के आभूषण, उनकी पोशाकें और तो और लेह राजा की शान मुकुट को भी पर्यटकों के लिए रखा गया है।

इसके आलावा इस महल में तिब्बती थांगका या पेंटिंग, जिसके बारे में कहा जाता है की यह पेंटिंग 450 साल से अधिक पुरानी हैं, को सुरक्षित रखा गया है आप इसे देख भी सकते है।

यह पेंटिंग लेह लद्दाख की खूबसूरती और उसकी संस्कृति का गुणगान करता है। महल के अंदुरुनी हिस्सों में कई भित्ति चित्र भी बनायीं गयी है।

आज के समय में इस महल का अधिकांश भाग खराब स्थिति में है, और इस महल के भीतरी भागों में वह खूबसूरती नहीं रह गयी है जितना की पहले था।

चूँकि पहले लेह लदाख जम्मू-कश्मीर का ही एक अंग था तो उस पर विकास के नाम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था।

लेकिन अब वर्तमान में यह स्थिति नहीं रह गयी है इसलिए राज्य सरकारें इस जगह के महत्व को समझ भी रही है और इसके संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्विद विभाग आगे आयी है और इस स्थल को संरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

मेरा मानना है की यदि आप लेह आ गए है तो इस महल और इस पेंटिंग को देखना ना भूलें, और हाँ सबसे जरुरी बात, कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं की आपका लद्दाख ट्रिप का अनुभव कैसा रहा।

2.1 लेह में घूमने की जगह [Tourist Place in Leh]

दोस्तों यदि आप लद्दाख घूमने आये हैं और लेह ना घूमे ये तो नामुमकिन बात है। यदि कभी आपका लेह जाने का प्रोग्राम बने तो इन जगहों पर जरूर जाएँ

आइये देखते है वह कौन-कौन सी जगहे है जहाँ पर आप अपने परिवार के साथ लेह में घूम सकते है और हाँ इतना जरूर मैं दावे के साथ कह सकता हूँ लेह इतना खूबसूरत है की आप इन हसीन वादियों में खो जाना चाहेंगे।

यह जगहें इस प्रकार है –

  • लेह महल
  • नामग्याल त्सेमो गोम्पा
  • शांति स्तूप
  • ज़ोरावर का किला
  • दातुन साहिब

3. पांगोंग त्सो झील [Pan gong Tso lake]

जी हाँ दोस्तों आप सही सोच रहे है यह वही जगह है जहां हाल ही में चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र को अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया था। लेकिन हमारे वीर सैनिकों और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को दूर खदेड़ दिया।

पांगोंग त्सो झील में फिंगर 8 को लेकर भारत और चीन में तनातनी मची हुयी थी। अब यह मामला सुलझ चूका है।

यह झील लद्दाख से तिब्बत तक लगभग 12 किमी तक फैली हुयी है। जमीन से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ पर वर्ष भर बर्फीली हवाएं चलती रहती है। जिस वजह से इस झील का पानी भी जम जाता है।

यहाँ का औसतन तापमान -5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहता है। यह झील अपने अंदर खारे पानी को समाहित किये हुए है।

दोस्तों आप सभी ने वर्ष 2009 में आयी आमिर खान की एक फिल्म 3-Idiot को देखा ही होगा। यदि नहीं देखा है तब तो आप इस ग्रह के ही नहीं है प्रभु !

इस मूवी का अंतिम दृश्य तो आप सभी को याद ही होगा फिर भी मैं आपको बता दू की जब फरहान, राजू और पिया एक साथ मिलने को आते है तब आमिर खान यानी फुनसुख वांगडू अपने छात्रों के साथ एक छोटा सा प्लेन उड़ा रहे होते है और पिया आकर उनकी तबियत से धुलाई करती है।

क्या अपने गौर किया है की जिस जगह, मेरा मतलब है की जिस झील के किनारे वह अपने बच्चो के साथ मजे कर रहे थे। वह झील कौन सी थी ?

जी हाँ आप सही सोच रहे है यह झील वास्तव में पांगोंग त्सो झील ही थी जिसे इस फिल्म में दिखाया गया था। क्यों है ना एक रोचक तथ्य।

4. शांति स्तूप [Shanti stup]

यह स्तूप लद्दाख का सबसे प्राचीन एवं धार्मिक स्थल भी है। इसे जापानी बौद्ध भिक्षु गोमयो द्वारा बनवाया गया था। इस स्तूप में बौद्ध धर्म के प्रणेता यानि गौतम बुद्धा के अवशेष रखें गए हैं।

यह स्तूप लद्दाख का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यदि आप भी यहाँ आये है तो इस जगह पर जरूर जाये। यहाँ आपको एक अध्भुत शांति प्राप्त होगी।

इस स्तूप तक पहुंचने का मार्ग थोड़ा कठिन क्यूंकि यहाँ पर पहुंचने के लिए आपको लगभग 500 सीढियाँ चढ़कर आनी होंगी जो शायद ज्यादातर लोगों के लिए मुश्किल होगा।

5. हेमिस मठ [Hemis Monastery]

लेह शहर का सबसे चर्चित जगहों में से एक है – हेमिस मठ। इसकी पुनर्स्थापना 17 सदी में फिर से किया गया। यह लद्दाख का सबसे बड़ा और सबसे धनी तिब्बती मठों में से एक है।

इस मठ में प्रत्येक साल स्वामी पद्मसंभव के सम्मान में एक प्रसिद्ध उत्सव होता है।

6. लेह बाजार [Leh Market]

इस आर्टिकल की शुरुआत में ही मैंने इस जगह के बारे में बताया था। यह लेह का सर्वाधिक प्रसिद्ध बाजार है। यहाँ पर अधिकतर दुकाने तिब्बती समुदाय की है।

इस बाजार में आपको सुप्रसिद्धा पश्मीना शाल, स्वेटर जैकेट्स दस्ताने  रंग बिरंगी टोपियां इत्यादि मिल जाएँगी।

अक्सर आपने अपने यहाँ भी कुछ प्रमुख बाजारों में इन्हे सामान बेचते हुए देखा होगा। यह अक्सर ठण्ड के मौसम में ही उत्तर भारत की और रुख करते है।

7. स्टॉक पैलेस [Stock palace]

लेह-लद्दाख की सर्वाधिक प्रचलित जगहों में इसका नाम भी आता है। इस स्थान पर आपको खचाखक पर्यटक देखने को मिलेंगे। स्टॉक पैलेस अपनी आकर्षक वास्तुकला और सूंदर उद्यानों के लिए प्रसिद्ध है।

इस पैलेस में राजाओ के युद्धकालीन कपडे उनके मुकुट और अन्य शाही सामानो को देखने का मौका मिलेगा।

8. कारगिल [Kargil]

लेह-लद्दाख की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है – कारगिल, जहाँ पर वर्ष 1999 भारत और पाकिस्तान की सेनाये एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध में सम्मिलित हुयी थी।

यह युद्ध तमाम भारतीयों के दिलों पर राज करने वाला वह ऐतिहासिक युद्ध है जिसने इतने वर्षों के बीत जाने के बाद भी प्रत्येक भारतवासी के दिलो में अपनी जगह बनाये हुए है।

वैसे तो यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों का स्थल रहा है लेकिन इस जगह पर कई सारे पर्वतारोही, इस पर्वत पर फ़तेह हासिल करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष यहाँ पर आते है और हाईकिंग का मजा लेते है।

यह जगह समुद्र तल से 2676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटन की दृस्टि से यह जगह पर्यटकों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है।

8.1 कारगिल के अन्य पर्यटन स्थल [Tourist place in Kargil]

मुलबेख गोम्पा स्टोंगदे मठ
शरगोल मठनून-कुन गिरिपिंड  

पाकिस्तान से सटा हुआ एक इलाका है जिसे हम बाल्टिस्तान के नाम से जानते है, यह जगह कारगिल के बिलकुल नजदीक है।

मेरा मानना है की इसे देखने आप जरूर जाये और अपने भारतीय सिपाहियों पर गर्व करने का एक और सुनहरा पल मिलेगा।

9. फुगताल मठ [Phugtal Monastery]

यह मठ लद्दाख के जास्कर क्षेत्र में स्थित है। यह मठ बौद्धा धर्म के अनुयायियों का है जिसमे बौद्ध भिक्षु और उनको मानने वाले निवास करते है। यही पर उनकी शिक्षा का प्रबंध भी किया जाता है।

फुकताल मठ एक प्राकृतिक गुफा के चारों ओर बनाया गया है, जिसके बारे में माना जाता है कि इस स्थान पर वर्षों से भिक्षुओं, विद्वानों और संतों का अनजाना लगा रहता था।

यह मठ शांति और एकांत की तलाश करने वाले भिक्षुओं के लिए यह काफी सही जगह थी क्यूंकि ध्यान के लिए आपको शांत वातावरण की जरुरत पड़ती है तभी आप अपने ध्यान को सफल बना सकते है।

चूँकि यह जगह काफी ऊंचाई पर स्थित है तो इसलिए इस स्थान पर वाहनों की आवाजाही बंद ही रहती है। लेकिन आप यहाँ पर घोड़े और खच्चर की मदद से ऊपर आ सकते है।

इसके लिए बस आपको घोड़े या खच्चर के मालिक को ढूंढना पड़ेगा और कुछ पैसे ढीले करने पड़ेंगे और आप यहाँ पर हाजिर।

चूँकि यह मठ एक निर्जन इलाके में स्थित है तो यहाँ पर आपको बिजली नहीं मिलेगी। लेकिन आप निराश मत होइए।

बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए एक गैर सहकारी संगठन द्वारा यहाँ पर कुछ प्रयास किये गए जो वाकई कबीले तारीफ है।

इस संगठन का नाम है Global-Himalayan-Expedition यानी GHE-Organization

इसी संस्था द्वारा वर्ष 2016 में एक कार्यक्रम के जरिये यहाँ पर सोलर पैनल लगाकर इस जगह को रौशन करने का काम किया गया था।

10. गुरु पाथर साहिब [Guru pathar sahib]

गुरु नानक जी ने लोगों के बीच फैली अनेक बुराइयों और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए जगह-जगह पर भ्रमण करते रहते थे और लोगों को बुराइयों और अंधविश्वासों से दूर रहने और उन्हें एकता और भाईचारे के महत्व का बोध कराते थे

ऐसे ही जब वह एक बार भ्रमण करते हुए सुमेर पर्वत के नजदीक आये तब वहां के लोगों ने एक भयंकर दुरात्मा के बारे में उन्हें बताया। कहा जाता है की इस सुमेरु पर्वत की हूबहू संरचना बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर के स्थापत्य कला में भी दिखती है।

एक पुरानी कहावत के अनुसार एक बार गुरु नानक साहब इसी स्थान पर ध्यान कर रहे थे लेकिन एक दुरात्मा ने उनके ध्यान में बाधा डालने के लिए एक बड़े से पत्थर के टुकड़े को उनके ऊपर फेंका।

उसने सोचा की गुरु नानक अपने ध्यान से भटक जायेंगे और वह अपने उद्देश्य में सफल हो जायेगा। लेकिन कहते है न की जाको राखो साइयाँ मार सके ना कोय

उस दुरात्मा द्वारा फेंका गया यह पत्थर गुरु नानक जी के ऊपर पड़ते ही मोम हो गया। गुरु नानक देव जी का ध्यान टूट गया लेकिन उन्होंने उसे माफ़ कर दिया।

कहते है की यह पत्थर आज भी यही पर स्थित है। इस पत्थर पर गुरु नानक जी के शरीर और उस दुरात्मा के पैरों का निशान साफ देखा जा सकता है।

गुरु पाथर साहिब की सुरक्षा के लिए यहाँ पर भारतीय सेना के जवान तैनात रहते है।

यदि आप यहाँ पर गुरु नानक देव जी के दर्शन करना चाहते है तो मेरा सलाह है की आप जून से अक्टूबर के मौसम में आएं क्यूंकि इस दौरान बर्फ़बारी का उतना गहरा प्रभाव हमें देखने को नहीं मिलता है।

यहाँ पर आप मनाली और जम्मू कश्मीर दोनों ही रास्तों से आ सकते है। लेकिन ध्यान रखें की आप नवम्बर से मई के मौसम में दर्शन के लिए ना आवें इस दौरान भारी बर्फ़बारी के कारण सड़क पर चलना काफी कठिन होता है।

चूँकि यह जगह काफी ऊंचाई पर स्थित है तो आप कोशिश करें की एक Proper-Medical-Checkup जरूर करवा लें ताकि जरुरत रहते आप कुछ सावधानियां बरतें। बाकी गुरु नानक जी की मेहरबानी तो है ही।

खुलने का समय – सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक पुरे सप्ताह यह गुरुद्वारा खुला रहता है।

तो दोस्तों आपलोगों को लद्दाख कैसा लगा । इस बार लद्दाख में जाने पर आप सबसे पहले किस जगह पर जायेंगे कमेंट में जरूर बताये।

13. निष्कर्ष [Conclusion]

दोस्तों लद्दाख एक बहुत ही प्यारी जगह है। यहाँ पर वर्ष भर चारों तरफ बर्फ की चादर सी बिछी रहती है। यदि आपका मन भी इस प्यारी और खुशनुमा जगह पर घूमने का कर रहा तो जरूर जाएँ।

लेकिन लदाख जाने से पहले कुछ जरुई बातों का ध्यान रखे खासकर अपने स्वस्थ्य का।

इसके लिए आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें क्या पता इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी से आपका यह सफर एक यादगार बन जाये।

तो दोस्तों आपलोगों को लद्दाख कैसा लगा । इस बार लद्दाख में जाने पर आप सबसे पहले किस स्थल के भ्रमण पर जायेंगे कमेंट में जरूर बताये।

तो बेफिक्र घूमिये और जिंदगी के मजे लीजिये क्यूंकि अभी नहीं तो कभी नहीं।

इसे पढ़ें- यात्रा करते समय सबसे जरुरी सावधानियां

लदाख का मैप [ladakh road trip]

सवाल जवाब [Some FAQ]

लदाख में घूमने वाली प्रमुख जगहे कौन कौन सी है ?

लदाख में आप मैग्नेटिक हिल गुरुपाथर साहिब कारगिल शांति स्तूप जैसे जगहों पर घूम सकते है. ज्यादा जानकारी के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें.

दिल्ली से लदाख की कितनी दुरी है ?

कुल दुरी है – 968km

लदाख घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है ?

आप अप्रैल से जुलाई महीने में घूमने के लिए जा सकते है.

लदाख जाने में कितने रूपये खर्च हो जायेंगे ?

ये आपके बजट के ऊपर निर्भर करता है.

क्या लदाख जाने के लिए पासपोर्ट की जरुरत पड़ती है ?

नहीं बिलकुल नहीं . पासपोर्ट विदेशो में प्रवेश के समय हमारी पहचान बताने के लिए दिखलाई जाती है और लदाख तो अपना ही है.

लदाख में बर्फ़बारी होती है ?

हाँ बिलकुल ज्यादा ऊंचाई पर स्थित होने के कारन वर्षभर बर्फ़बारी होती रहती है.

लदाख की सबसे फेमस डिश क्या है ?

Sku, Thukpa, Pava

क्या लदाख सेफ है घूमने के लिए ?

बिलकुल मित्र

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